सभी ब्लॉगर मित्रों को मेरा नमस्कार।
पामुलापति वेंकट नरसिंह राव (अंग्रेज़ी: Pamulaparti Venkata Narasimha Rao, जन्म- 28 जून, 1921, मृत्यु- 23 दिसम्बर, 2004) भारत के नौवें प्रधानमंत्री के रूप में जाने जाते हैं। इनके प्रधानमंत्री बनने में भाग्य का बहुत बड़ा हाथ रहा। 29 मई, 1991 को राजीव गांधी की हत्या हो गई थी। ऐसे में सहानुभूति की लहर के कारण कांग्रेस को निश्चय ही लाभ प्राप्त हुआ। 1991 के आम चुनाव दो चरणों में हुए। प्रथम चरण के चुनाव राजीव गांधी की हत्या से पूर्व हुए थे और द्वितीय चरण के चुनाव उनकी हत्या के बाद। प्रथम चरण की तुलना में द्वितीय चरण के चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहतर रहा। इसका प्रमुख कारण राजीव गांधी की हत्या से उपजी सहानुभूति की लहर थी। इस चुनाव में कांग्रेस को स्पष्ट बहुमत नहीं प्राप्त हुआ, लेकिन वह सबसे बड़े दल के रूप में उभरी। कांग्रेस ने 232 सीटों पर विजय प्राप्त की थी। फिर नरसिम्हा राव को कांग्रेस संसदीय दल का नेतृत्व प्रदान किया गया। ऐसे में उन्होंने सरकार बनाने का दावा पेश किया। सरकार अल्पमत में थी, लेकिन कांग्रेस ने बहुमत साबित करने के लायक़ सांसद जुटा लिए और कांग्रेस सरकार ने पाँच वर्ष का अपना कार्यकाल सफलतापूर्वक पूर्ण किया।
पी. वी. नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून, 1921 को आंध्र प्रदेश के वांगरा ग्राम करीम नागर में हुआ था। राव का पूरा नाम परबमुल पार्थी वेंकट नरसिम्हा राव था। इन्हें पूरे नाम से बहुत कम लोग ही जानते थे। इनके पिता का नाम पी. रंगा था। नरसिम्हा राव ने उस्मानिया विश्वविद्यालय तथा नागपुर और मुम्बई विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने विधि संकाय में स्नातक तथा स्नातकोत्तर की उपाधियाँ प्राप्त कीं। इनकी पत्नी का निधन इनके जीवन काल में ही हो गया था। वह तीन पुत्रों तथा चार पुत्रियों के पिता बने थे। पी. वी. नरसिम्हा राव विभिन्न अभिरुचियों वाले इंसान थे। वह संगीत, सिनेमा और थियेटर अत्यन्त पसन्द करते थे। उनको भारतीय संस्कृति और दर्शन में काफ़ी रुचि थी। इन्हें काल्पनिक लेखन भी पसन्द था। वह प्राय: राजनीतिक समीक्षाएँ भी करते थे। नरसिम्हा राव एक अच्छे भाषा विद्वानी भी थे। उन्होंने तेलुगु और हिन्दी में कविताएँ भी लिखी थीं। समग्र रूप से इन्हें साहित्य में भी काफ़ी रुचि थी। उन्होंने तेलुगु उपन्यास का हिन्दी में तथा मराठी भाषा की कृतियों का अनुवाद तेलुगु में किया था।
नरसिम्हा राव में कई प्रकार की प्रतिभाएँ थीं। उन्होंने छद्म नाम से कई कृतियाँ लिखीं। अमेरिकन विश्वविद्यालय में व्याख्यान दिया और पश्चिमी जर्मनी में राजनीति एवं राजनीतिक सम्बन्धों को सराहनीय ढंग से उदघाटित किया। नरसिम्हा राव ने द्विमासिक पत्रिका का सम्पादन भी किया। मानव अधिकारों से सम्बन्धित इस पत्रिका का नाम 'काकतिया' था। ऐसा माना जाता है कि इन्हें राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की 17 भाषाओं का ज्ञान था तथा भाषाएँ सीखने का जुनून था। वह स्पेनिश और फ़्राँसीसी भाषाएँ भी बोल व लिख सकते थे।
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
पी. वी. नरसिम्हा राव का जन्म 28 जून, 1921 को आंध्र प्रदेश के वांगरा ग्राम करीम नागर में हुआ था। राव का पूरा नाम परबमुल पार्थी वेंकट नरसिम्हा राव था। इन्हें पूरे नाम से बहुत कम लोग ही जानते थे। इनके पिता का नाम पी. रंगा था। नरसिम्हा राव ने उस्मानिया विश्वविद्यालय तथा नागपुर और मुम्बई विश्वविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की थी। उन्होंने विधि संकाय में स्नातक तथा स्नातकोत्तर की उपाधियाँ प्राप्त कीं। इनकी पत्नी का निधन इनके जीवन काल में ही हो गया था। वह तीन पुत्रों तथा चार पुत्रियों के पिता बने थे। पी. वी. नरसिम्हा राव विभिन्न अभिरुचियों वाले इंसान थे। वह संगीत, सिनेमा और थियेटर अत्यन्त पसन्द करते थे। उनको भारतीय संस्कृति और दर्शन में काफ़ी रुचि थी। इन्हें काल्पनिक लेखन भी पसन्द था। वह प्राय: राजनीतिक समीक्षाएँ भी करते थे। नरसिम्हा राव एक अच्छे भाषा विद्वानी भी थे। उन्होंने तेलुगु और हिन्दी में कविताएँ भी लिखी थीं। समग्र रूप से इन्हें साहित्य में भी काफ़ी रुचि थी। उन्होंने तेलुगु उपन्यास का हिन्दी में तथा मराठी भाषा की कृतियों का अनुवाद तेलुगु में किया था।
नरसिम्हा राव में कई प्रकार की प्रतिभाएँ थीं। उन्होंने छद्म नाम से कई कृतियाँ लिखीं। अमेरिकन विश्वविद्यालय में व्याख्यान दिया और पश्चिमी जर्मनी में राजनीति एवं राजनीतिक सम्बन्धों को सराहनीय ढंग से उदघाटित किया। नरसिम्हा राव ने द्विमासिक पत्रिका का सम्पादन भी किया। मानव अधिकारों से सम्बन्धित इस पत्रिका का नाम 'काकतिया' था। ऐसा माना जाता है कि इन्हें राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की 17 भाषाओं का ज्ञान था तथा भाषाएँ सीखने का जुनून था। वह स्पेनिश और फ़्राँसीसी भाषाएँ भी बोल व लिख सकते थे।
आज भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत में उदारीकरण के जनक श्री पी. वी. नरसिंह राव जी के 96वें जन्मदिवस पर हम सब उनके कार्यों और योगदान को स्मरण करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते है। सादर।।
~ आज की बुलेटिन कड़ियाँ ~
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
5 टिप्पणियाँ:
ब्लॉग बुलेटिन को हार्दिक धन्यवाद ।
श्रद्धाँजलि पी वी नरसिम्हा राव को उनके 96वें जन्मदिवस पर। आभार हर्षवर्धन 'उलूक' के सूत्र को आज की बुलेटिन में जगह देने के लिये।
वाह , नरसिम्हा राव के जीवन परिचय से मुलाकात कराती बुलेटिन अच्छी लगी ।
पी. वी. नरसिंह राव के व्यक्तित्त्व से जुड़ी जानकारी के लिए आभार..उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि ! ब्लॉग बुलेटिन के इस अंक में कुझे शामिल करने के लिए भी आभार !
अच्छा बुलेटिन ...
आभार मुझे शामिल करने का ...
एक टिप्पणी भेजें
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!