जहाँ परियों का मेला हो
जहाँ एहसासों की नदियाँ बहती हों
जहाँ शब्दों के स्रोत हों
वहाँ मैं अपनी चाहत न पूरा करूँ
यह कैसे संभव है ?!
चाह है तो राह है, अंकिता चौहान हैं :)
https://www.youtube.com/watch?v=CwXHJsGBwLo
ब्लॉग जगत में लिखी पढी जा रही पोस्टों , उनमें दर्ज़ की जा रही टिप्पणियां ,बहस ,विमर्श ..सबको समेट कर तैयार है बुलेटिन ... ब्लॉग बुलेटिन ...
3 टिप्पणियाँ:
नीलेश जी का कहानी पेश करना चार चाँद लगा देता है । बहुत सुन्दर।
बहुत अच्छी परिचय प्रस्तुति
Such a surprise. Thank you :)
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