परंपरागत प्राचीन पद्धति से संस्कृत की शिक्षा प्राप्त कर हिन्दी, मैथिली, संस्कृत तथा बांग्ला में साहित्य
सर्जना करने वाले अप्रतिम लेखक और कवि नागार्जुन का जन्म आज ही के दिन 30 जून 1911 को मधुबनी ज़िले के सतलखा गाँव में हुआ था.
उनका असली नाम वैद्यनाथ मिश्र था परंतु हिन्दी साहित्य में उन्होंने नागार्जुन तथा
मैथिली में यात्री उपनाम से रचनाएँ कीं. इनके पिता श्री गोकुल मिश्र तरउनी गाँव के
एक किसान थे और खेती के अलावा पुरोहिती भी किया करते थे. नागार्जुन को साहित्यजगत ‘बाबा’
के नाम से पुकारता है. उनकी आरंभिक शिक्षा प्राचीन पद्धति से संस्कृत में हुई तथा आगे
की शिक्षा स्वाध्याय पद्धति से ही हुई. पालि भाषा के ज्ञान हेतु वे श्रीलंका चले गए
जहाँ वे स्वयं पालि पढ़ते थे और मठ के भिक्खुओं को संस्कृत पढ़ाते थे. यहीं उन्होंने
बौद्ध धर्म की दीक्षा ली. बाबा नागार्जुन की भाषा लोक भाषा के निकट है. तद्भव तथा ग्रामीण
शब्दों के प्रयोग के कारण इसमें एक विचित्र प्रकार की मिठास देखने को मिलती है.
साहित्यजगत उनके छः से अधिक उपन्यासों, एक दर्जन कविता-संग्रहों, दो खण्ड काव्यों,
दो मैथिली कविता-संग्रहों, एक मैथिली उपन्यास,
एक संस्कृत काव्य तथा संस्कृत से कुछ अनूदित कृतियों से दैदीप्यमान
है. अपने खेत में, युगधारा, सतरंगे
पंखों वाली, तालाब की मछलियाँ, पुरानी जूतियों
का कोरस, आखिर ऐसा क्या कह दिया मैंने, इस गुबार की छाया में, ओम मंत्र, भूल जाओ पुराने सपने, रत्नगर्भ आदि उनके प्रमुख काव्य-संग्रह तथा रतिनाथ की चाची, बलचनमा, बाबा बटेसरनाथ, वरुण के
बेटे, कुंभीपाक, पारो, आसमान में चाँद तारे आदि प्रमुख उपन्यास हैं.
इसके अतिरिक्त बाबा नागार्जुन ने बाल साहित्य को कथा मंजरी भाग-1,
कथा मंजरी भाग-2, मर्यादा पुरुषोत्तम, विद्यापति की कहानियाँ भी प्रदान कीं. उनकी मैथिली
रचनाओं में चित्रा, पत्रहीन नग्न गाछ (कविता-संग्रह), पारो, नवतुरिया (उपन्यास) प्रमुख हैं.
बाबा नागार्जुन को उनकी ऐतिहासिक मैथिली रचना पत्रहीन नग्न गाछ के लिए 1969 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से तथा 1994 में साहित्य अकादमी फेलो के रूप में नामांकित कर सम्मानित किया गया. 5
नवम्बर 1998 को अपनी फ़क़ीरी और बेबाक़ी से अनोखी
पहचान बनाने वाला, कबीर की पीढ़ी का यह महान कवि साहित्यजगत को सदा-सदा के लिए
अलविदा कह गया. नागार्जुन को उनके जन्मदिन पर श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए आज की
बुलेटिन आपके समक्ष प्रस्तुत है.
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