प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
प्रणाम |
एक शराबी ने ठेके का दरवाज़ा खटखटाया।
ठेके वाला: क्या है?
शराबी: दारू है?
ठेके वाला: चल भाग साले... रात के 2 बजे हैं।
शराबी: कामचोर साले, तू सुप्रीम कोर्ट से बङा है क्या? जब वो रात को जाग कर काम कर सकती है तो तू क्यों नही?
ठेके वाला: क्या है?
शराबी: दारू है?
ठेके वाला: चल भाग साले... रात के 2 बजे हैं।
शराबी: कामचोर साले, तू सुप्रीम कोर्ट से बङा है क्या? जब वो रात को जाग कर काम कर सकती है तो तू क्यों नही?
वैसे इस शराबी ने कुछ गलत नहीं कहा ... अपनी सुप्रीम कोर्ट है ही इतनी मेहनती ... आप क्या कहते है !?
सादर आपका
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
… वो शाम कुछ अज़ीब थी
#व्यंग्य - नेता जी की कड़ी निंदा - ब्रहमास्त्र
कारवाँ : ग्राफिक नावेल समीक्षा
ये रिश्ता , दोस्ती का ....
कल सपने मे मुझको घर की मिट्टी दिखी है
हमें चाहिए पूरी आजादी !
मृत्यु नहीं, यह उत्सव है
ऑनलाइन कमाई जीवन को कैसे बदल सकती है
एक दिन
उपयोगिता का सिध्दांत
लघुकथा- सभ्यता
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
6 टिप्पणियाँ:
सुंदर बुलेटिन प्रस्तुति शिवम जी ।
सुंदर !!
आप सब का बहुत बहुत आभार |
आभार मित्र।
behad dilchasp buletin...
behatrin buletin ke liye dhanyvaad-
suneel kumar sajal
एक टिप्पणी भेजें
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!