“ब्लॉग बुलेटिन” के तमाम पाठकों को मेरा सादर प्रणाम और स्वतंत्रता दिवस के इस
राष्ट्रीय पर्व की हार्दिक शुभकामनाएँ.
आज की बुलेटिन में मेरा योगदान शून्य है, क्योंकि यह एक ऐसा मौक़ा है जिसमें
मेरे लिये कहने को कुछ नहीं. आज के इस दिन ज़रा नज़रें उठाकर हम देखें तो डाल डाल पर
सोने की चिड़िया कहीं दिखाई नहीं देती, अलबत्ता काठ के उल्लू अनगिनत दिखाई देते
हैं. स्वतंत्रता की परिभाषा में देश के अन्दर और बाहर के हालात कहीं भी फ़िट नहीं
बैठते.
कितनी क़ुरबानियाँ देकर हमने ये आज़ादी की नेमत पाई है. और कितनी आसानी से हम उन
शहीदों की क़ुर्बानियों को भुला बैठे हैं. बस उनकी चिताओं पर हर बरस मेला लगाकर हम उनकी
शहादत का जलसा कर लेते हैं और समझते हैं कि यही उनका आख़िरी निशाँ है. शहीदों का
सिलसिला भी कहाँ थमता है. ये देश है ही ऐसे दीवानों और अभिमानियों का. आज़ादी के
इतने सालों बाद भी आक्रमण का ख़तरा और आये दिन शहीदों की तिरंगे में लिपटी लाश
कितनी माँओं को सूनी गोद, बहू को माँग का सूनापन, और बहन के हाथों में राखी का
सूनापन परोस रहा है.
सोपियाँ, अनंतनाग, पूँछ, राजौरी में युद्ध विराम का उल्लंघन और बरसती गोलियाँ,
सीमा पर घुसपैठ केवल देश पर आक्रमण नहीं सवा सौ करोड़ हिन्दुस्तानी की आज़ादी पर
हमला है.
देश के भुला दिये गये कई शहीदों के बीच आज की बुलेटिन में पेश है एक भूले
बिसरे कवि की एक भूली बिसरी रचना. कविवर श्री गोपाल सिंह “नेपाली” की इस रचना के साथ
आज के कुछ चुनिंदा लिंक।
आप सभी को हज़ार पचासवीं बुलेटिन के साथ ही स्वतंत्रता दिवस की अशेष शुभकामनाएँ!!
आप सभी को हज़ार पचासवीं बुलेटिन के साथ ही स्वतंत्रता दिवस की अशेष शुभकामनाएँ!!
शासन चलता तलवार से
ओ राही दिल्ली जाना तो कहना अपनी सरकार से ।
चरखा चलता है हाथों से, शासन चलता तरवार से ।।
यह राम-कृष्ण की जन्मभूमि, पावन धरती सीताओं की
फिर कमी रही कब भारत में सभ्यता, शांति, सदभावों की
पर नए पड़ोसी कुछ ऐसे, गोली चलती उस पार से ।
ओ राही दिल्ली जाना तो कहना अपनी सरकार से ।।
तुम उड़ा कबूतर अंबर में संदेश शांति का देते हो
चिट्ठी लिखकर रह जाते हो, जब कुछ गड़बड़ सुन लेते हो
वक्तव्य लिखो कि विरोध करो, यह भी काग़ज़ वह भी काग़ज़
कब नाव राष्ट्र की पार लगी यों काग़ज़ की पतवार से ।
ओ राही दिल्ली जाना तो कहना अपनी सरकार से ।।
तुम चावल भिजवा देते हो, जब प्यार पुराना दर्शाकर
वह प्राप्ति सूचना देते हैं, सीमा पर गोली-वर्षा कर
चुप रहने को तो हम इतना चुप रहें कि मरघट शर्माए
बंदूकों से छूटी गोली कैसे चूमोगे प्यार से ।
ओ राही दिल्ली जाना तो कहना अपनी सरकार से ।।
मालूम हमें है तेज़ी से निर्माण हो रहा भारत का
चहुँ ओर अहिंसा के कारण गुणगान हो रहा भारत का
पर यह भी सच है, आज़ादी है, तो ही चल रही अहिंसा है
वरना अपना घर दीखेगा फिर कहाँ क़ुतुब मीनार से ।
ओ राही दिल्ली जाना तो कहना अपनी सरकार से ।।
स्वातंत्र्य न निर्धन की पत्नी कि पड़ोसी जब चाहें छेड़ें
यह वह पागलपन है जिसमें शेरों से लड़ जाती भेड़ें
पर यहाँ ठीक इसके उल्टे, हैं भेड़ छेड़ने वाले ही
ओ राही दिल्ली जाना तो कहना अपनी सरकार से ।।
नहरें फिर भी खुद सकती हैं, बन सकती है योजना नई
जीवित है तो फिर कर लेंगे कल्पना नई, कामना नई
घर की है बात, यहाँ 'बोतल' पीछे भी पकड़ी जाएगी
पहले चलकर के सीमा पर सर झुकवा लो संसार से ।
ओ राही दिल्ली जाना तो कहना अपनी सरकार से ।।
फिर कहीं ग़ुलामी आई तो, क्या कर लेंगे हम निर्भय भी
स्वातंत्र्य सूर्य के साथ अस्त हो जाएगा सर्वोदय भी
इसलिए मोल आज़ादी का नित सावधान रहने में है
लड़ने का साहस कौन करे, फिर मरने को तैयार से ।
ओ राही दिल्ली जाना तो कहना अपनी सरकार से ।।
तैयारी को भी तो थोड़ा चाहिए समय, साधन, सुविधा
इसलिए जुटाओ अस्त्र-शस्त्र, छोड़ो ढुलमुल मन की दुविधा
जब इतना बड़ा विमान तीस नखरे करता तब उड़ता है
फिर कैसे तीस करोड़ समर को चल देंगे बाज़ार से ।
ओ राही दिल्ली जाना तो कहना अपनी सरकार से ।।
हम लड़ें नहीं प्रण तो ठानें, रण-रास रचाना तो सीखें
होना स्वतंत्र हम जान गए, स्वातंत्र्य बचाना तो सीखें
वह माने सिर्फ़ नमस्ते से, जो हँसे, मिले, मृदु बात करे
बंदूक चलाने वाला माने बमबारी की मार से ।
ओ राही दिल्ली जाना तो कहना अपनी सरकार से ।।
सिद्धांत, धर्म कुछ और चीज़, आज़ादी है कुछ और चीज़
सब कुछ है तरु-डाली-पत्ते, आज़ादी है बुनियाद चीज़
इसलिए वेद, गीता, कुरआन, दुनिया ने लिखे स्याही से
लेकिन लिक्खा आज़ादी का इतिहास रुधिर की धार से
ओ राही दिल्ली जाना तो कहना अपनी सरकार से ।
चर्खा चलता है हाथों से, शासन चलता तलवार से ।।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
तस्वीर सच्चे भारत की ...
संध्या शर्मा at मैं और मेरी कविताएंमेरा यार है मेरा वतन...मेरा प्यार है मेरा वतन!
abhishek shukla at वंदे मातरम्जय हिन्द!
गिरिजेश राव, Girijesh Rao at एक आलसी का चिठ्ठा ...so writes a lazy manआजादी का नायक
संतोष त्रिवेदी at मैं चित्रकार हूँ !जय हिन्द! जय हिन्द की सेना
अर्चना चावजी Archana Chaoji at मेरे मन कीजब देश की आजादी पर जारी हुआ डाक टिकट
Krishna Kumar Yadav at डाकिया डाक लायाविभाजन की त्रासदी
nilesh mathur at आवारा बादलनेता तुम्हीं हो कल के .( आजादी का पर्व , स्वतंत्रता दिवस बधाई ,शुभ-कामनाएं )
संजय कुमार चौरसिया at " जीवन की आपाधापी "स्वतंत्रता के रंग
sunil deepak at Chayachitrakar - छायाचित्रकार
जय,जय, जय माँ भारती
हिमकर श्याम at शीराज़ा [Shiraza]चित्रशाला - 02: स्वाधीनता संग्राम में फ़िल्म-संगीत की भूमिका
PLAYBACK at रेडियो प्लेबैक इंडिया
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
जय हिन्द !!!
17 टिप्पणियाँ:
शहीदों को नमन।
आप का आभार भाई
शहीदों को नमन।
आप का आभार भाई
आपको स्वतन्त्रता दिवस की शुभकामनायें ब्लॉग बुलेटिन। पचास हजारवीं पोस्ट की भी।
स्वतंत्रता के मायने और आपकी प्रस्तुति - स्वतंत्रता की नायाब प्रस्तुति
बहुत उम्दा प्रस्तुति ।
लाजवाब बुलेटिन सलिल दा - स्वतंत्रता दिवस की बहुत बहुत बधाई सभी मित्रों को - जय हो मंगलमय हो - हर हर महादेव
स्वतन्त्रता दिवस पर पठनीय सामग्री..सभी को जश्ने आजादी मुबारक..
देश की आज़ादी को समर्पित बहुत सुंदर प्रस्तुति एवं उम्दा लिंक्स, आज़ादी का दिन मुबारक...मेरी रचना को यहाँ स्थान देने के लिए हार्दिक आभार, सादर
जय हिन्द... आभार॥
सभी को स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें |
ब्लॉग बुलेटिन टीम और सभी पाठकों को १०५० वीं बुलेटिन के अवसर पर हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं | इस शानदार और जोरदार बुलेटिन के लिए सलिल दादा को प्रणाम |
जय हिन्द !!
सभी मित्रो को स्वतंत्र भारत के इस राष्ट्रीय पर्व की असीम शुभकामनाएँ. इसकी सफलता इसे बनाये रखने में है!! जाया भारत!!
शासन बिना तलवार के चल नही सकता --तलवार यानी शक्ति . नेपाली जी की यह कविता बहुत ही सामयिक है . 1050 वीं और इस शानदार पोस्ट के लिये बधाई . स्वतन्त्रता-दिवस की अनेकानेक बधाइयाँ .
बहुत सुन्दर बुलेटिन ।जय हिन्द
बहुत सुन्दर बुलेटिन ।जय हिन्द
बहुत अच्छा बुलेटिन ।
शानदार।
बहुत सुंदर प्रस्तुति एवं उम्दा लिंक्स।
जय हिन्द ... आभार
एक टिप्पणी भेजें
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!