शिशु मैं' का प्रथम रुदन
माँ के शिथिल 'मैं' में
अद्भुत प्राण संचार करता है
'मैं' की अबोध भूख
माँ के 'मैं' के सीने से लगकर
शांत हो जाती है
और माँ का 'मैं'
शिशु 'मैं' की भूख मिटाकर
'मैं' का 'मैं' से अद्भुत रिश्ता
गंगा,यमुना के मध्य सरस्वती सा बहता है !
और ये रहे आज के विशेष दिन के विशेष लिंक्स - जहाँ से शुरू होती है आज की सच्चाई :)
5 टिप्पणियाँ:
बढ़िया प्रस्तुति बुलेटिन द्वारा , रश्मि जी व बुलेटिन को धन्यवाद !
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बहुत सुंदर दिन अपना दिन :)
सच मे अद्भुत|
bahut khoob - jai ho - murkh divas ki shubhkamnayen
सुन्दर और पठनीय सूत्र।
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