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मंगलवार, 1 अप्रैल 2014

अद्भुत रिश्ता



शिशु मैं' का प्रथम रुदन 
माँ के शिथिल 'मैं' में 
अद्भुत प्राण संचार करता है 
'मैं' की अबोध भूख 
माँ के 'मैं' के सीने से लगकर 
शांत हो जाती है 
और माँ का 'मैं' 
शिशु 'मैं' की भूख मिटाकर 
'मैं' का 'मैं' से अद्भुत रिश्ता 
गंगा,यमुना के मध्य सरस्वती सा बहता है !









और ये रहे आज के विशेष दिन के विशेष लिंक्स - जहाँ से शुरू होती है आज की सच्चाई :)



5 टिप्पणियाँ:

आशीष अवस्थी ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति बुलेटिन द्वारा , रश्मि जी व बुलेटिन को धन्यवाद !
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सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत सुंदर दिन अपना दिन :)

शिवम् मिश्रा ने कहा…

सच मे अद्भुत|

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

bahut khoob - jai ho - murkh divas ki shubhkamnayen

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सुन्दर और पठनीय सूत्र।

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