आदरणीय ब्लॉगरगण नमस्कार
प्रस्तुत कर रहा हूँ आज का बुलेटिन -
सोचता हूँ आप सब को पसंद आएगी |
रे मुसाफ़िर चलता ही जा -
नहीं तो राहों से चूक जायेगा
पहुंचेगा कहाँ, वहाँ जहाँ तू
अपने आप को भूल जाएगा
तू तनहा राह में रह जायेगा
जीवन है काँटों की झाड़ी
उलझ अटक रह जायेगा
आधी को संजोने खातिर
तू पूरा जीवन गंवाएगा
छूट जायेगा अपने से तू
भूल जायेगा जीवन को तू
रे मुसाफ़िर मंज़िल को भी
तू, फिर छोड़ कर जायेगा
इस दुनिया से तू बेगाना सा
तेरे ख्वाबों के रंग उड़ जायेंगे
सब राहे होंगी अनजानी तब
सबसे छूटेगा अपने से टूटेगा
मंजिल कभी खत्म ना हो तेरी
मंजिल से कभी तू भटके ना
यही प्रार्थना करता हूँ मैं
लिए हाथों में यह दीपशिखा
राह में जब अंधियारा छाएगा
निर्भय होकर तू चलता चल
यह दीपशिखा तुझको पल पल
तेरा मार्ग दिखलाएगी
रे मुसाफ़िर तू चलता चल
नहीं तो राह में रह जायेगा
पीछे मुड़कर ना देख ज़रा
वरना जीवन में पछतायेगा
रे मुसाफ़िर चलता ही जा....
आज की कड़ियाँ
मुक्तक - तेरे बिन - नीरज द्विवेदी
नहीं है कहीं प्रेम का अस्तित्व - वंदना गुप्ता
टाट का पैबंद - प्रीती टेलर
परिधि वाला प्यार - रश्मि शर्मा
बेटियां - शिल्पा भर्तिया
भरोसे के तंतु - विमलेश त्रिपाठी
टोपी तिलक सब लीनी - वर्षा
चाँद की मजबूरी - अपर्णा खरे
मेरा घर पुकार रहा है - दीपक पाण्डेय
सपना - दीप्ति शर्मा
कुछ कहमुकरियां - अनुषा
प्रस्तुत कर रहा हूँ आज का बुलेटिन -
मेरी नई कविता के साथ जिसका आधार या विषय जो भी आप कहिये है - एक मुसाफ़िर - जो निकल पड़ा है जीवन को खोजने | वैसे तो इस संसार में हम सभी एक मुसाफ़िर से ज्यादा कुछ नहीं हैं | हम संसार में आते हैं, घुमते फिरते हैं, आराम करते हैं, दिक्कतों का सामना भी करते हैं, अच्छा-बुरा, खट्टा-मीठा समय व्यतीत करते हैं और फिर अपने सफ़र की समाप्ति करते हैं |
मेरा ऐसा मानना है के जीवन रुपी इस सफ़र में कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहियें | सिर्फ आगे बढ़ते रहना चाहियें | बार बार पीछे मुड़कर देखने से, आपके सामने आगे आने वाला सफ़र भी अपनी सुन्दरता खो देता है | बीते हुए सफ़र की सिर्फ अच्छी यादों को दिल में संजोकर, बुरे तजुर्बों को दफ़न कर और बिना परेशानीर हुए हमेशा आगे बढ़ते रहना चाहियें | मेरी यह कविता कुछ ऐसा ही बतलाती है |
सोचता हूँ आप सब को पसंद आएगी |
रे मुसाफ़िर चलता ही जा -
नहीं तो राहों से चूक जायेगा
पहुंचेगा कहाँ, वहाँ जहाँ तू
अपने आप को भूल जाएगा
तू तनहा राह में रह जायेगा
जीवन है काँटों की झाड़ी
उलझ अटक रह जायेगा
आधी को संजोने खातिर
तू पूरा जीवन गंवाएगा
छूट जायेगा अपने से तू
भूल जायेगा जीवन को तू
रे मुसाफ़िर मंज़िल को भी
तू, फिर छोड़ कर जायेगा
इस दुनिया से तू बेगाना सा
तेरे ख्वाबों के रंग उड़ जायेंगे
सब राहे होंगी अनजानी तब
सबसे छूटेगा अपने से टूटेगा
मंजिल कभी खत्म ना हो तेरी
मंजिल से कभी तू भटके ना
यही प्रार्थना करता हूँ मैं
लिए हाथों में यह दीपशिखा
राह में जब अंधियारा छाएगा
निर्भय होकर तू चलता चल
यह दीपशिखा तुझको पल पल
तेरा मार्ग दिखलाएगी
रे मुसाफ़िर तू चलता चल
नहीं तो राह में रह जायेगा
पीछे मुड़कर ना देख ज़रा
वरना जीवन में पछतायेगा
रे मुसाफ़िर चलता ही जा....
आज की कड़ियाँ
मुक्तक - तेरे बिन - नीरज द्विवेदी
नहीं है कहीं प्रेम का अस्तित्व - वंदना गुप्ता
टाट का पैबंद - प्रीती टेलर
परिधि वाला प्यार - रश्मि शर्मा
बेटियां - शिल्पा भर्तिया
भरोसे के तंतु - विमलेश त्रिपाठी
टोपी तिलक सब लीनी - वर्षा
चाँद की मजबूरी - अपर्णा खरे
मेरा घर पुकार रहा है - दीपक पाण्डेय
सपना - दीप्ति शर्मा
कुछ कहमुकरियां - अनुषा
अब इजाज़त | आज के लिए बस यहीं तक | फिर मुलाक़ात होगी | आभार
जय श्री राम | हर हर महादेव शंभू | जय बजरंगबली महाराज
15 टिप्पणियाँ:
sundar v sarthak links se susajjit buletin .......aabhar
आपकी थाली आपका भोजन।
इसलिए पहले परोसो या बाद में हमें क्या अन्तर पड़ता है।
शास्त्रीजी अपनी टिपण्णी का अर्थ बताने का कष्ट करें ज़रा :)
अच्छी प्रस्तुति व अच्छे लिंक्स , तुषार भाई व बुलेटिन को धन्यवाद !
Information and solutions in Hindi ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
Bahut khoob....achhe links hain...meri rachna ko shamil karne ka aabhar
आदरणीय शास्त्री जी एवम तुषार जी!
इस तरह की कहा-सुनी वातावरण को दूषित करती है. दिखने में जितनी भी बड़ी लगे यह ब्लॉग की दुनिया, है बहुत छोटी सी. हर किसी की अपनी राय होती है और हर कोई अपनी बात को कहने को स्वतंत्र है. उसमें बातों का अर्थ खोजने से कटुता ही उत्पन्न होती है.
ब्लॉग का कमेण्ट बॉक्स और फेसबुक/जी टॉक का चैट बॉक्स, दोनों में बहुत अंतर है. एक ओर जहाम ब्लॉग पर हम अपने समस्त पाठकों के समक्ष एक्स्पोज़्ड होते हैं वहीं चैट बॉक्स में बातें अति वैयक्तिक होती हैं. वहाँ की बातें यहाँ शेयर करने के पहले हमें यह सोचना चाहिये कि हमारे व्यक्तिगत विवादों से किसी दूसरे को कोई लेना-देना नहीं, उल्टा हमारे विषय में उनकी राय बन या बिगड़ सकती है. क्योंकि चैट की बातों का आप दोनों ने जो भी मतलब लगाया हो पढने वालों ने तो अप्ने ढंग से ही मतलब लगाया होगा ना.
बुलेटिन की टीम का हिस्सा होने के नाते मैं तो यही कहूँगा कि आप दोनों समझदार हैं और आपको समझाने की हैसियत मुझमें नहीं. मैं तो बस हाथ जोड़कर माफ़ी ही माँग सकता हूँ दोनों से कि कृपया इन बातों से स्वयम को दूर रखें.
साथ ही मेरा अनुरोध ऐडमिन से भी रहेगा कि ऐसे अवसरों पर अपना वीटो पावर इस्तेमाल करें तथा मॉडरेशन का प्रयोग करें!!
आदरणीय सलिल दादा ... आप के निर्देश अनुसार और ब्लॉग एडमिन होने के अपने अधिकार का प्रयोग करते हुए ... मैं वो कमेंट्स हटा दिये है जो पोस्ट का माहौल बिगाड़ रहे थे |
सभी पाठकों और ब्लॉग बुलेटिन के सदस्यों से मेरा अनुरोध है कि कृपया बुलेटिन को निजी विवादों से दूर रखें |
सादर |
हटा दी ना टिप्पणी। मैने तो पहले ही कहा था कि
टिप्पणी हटाने का अधिकार आपके पास सुरक्षित है।
इतनी अच्छी रचना, इतने बेहतरीन लिंक्स
वाह
आदरणीय शास्त्री जी ... मैं नहीं जानता क्या कारण है पर ब्लॉग बुलेटिन को ले कर आपने शुरू से ही पूर्वाग्रह रखा है और अक्सर ही इसका प्रदर्शन करने से भी आप ने कभी परहेज नहीं किया है ... आप हम सब से काफी वरिष्ठ है और यह आपको शोभा नहीं देता | मैं हमेशा ही विवादों से बचता रहा हूँ और आगे के लिए भी ऐसा ही इरादा रखता हूँ ... मेरा अनुरोध है कि कृपया ब्लॉग बुलेटिन को ले कर आपने पूर्वाग्रह दूर करें |
हर मंच के अपने तौर तरीके होते है ... जैसे चर्चा मंच के भी होंगे और ब्लॉग बुलेटिन के भी है ... आप वहाँ बखूबी संचालन संभालें हुए है ... यहाँ हम सब प्रयास मे लगे रहते है | ऐसे मे किस बात की शिकायत ... सब का अपना अपना तरीका है ... अपना अपना अधिकार है |
स्नेह बनाए रखिएगा ... सादर |
मैं भी ये ही कहती हूँ इस तरह की बातें यहाँ आने वाले सभी ब्लोगर्स को निराशा है करती हैं .....वार्ता अपने तक सीमित रखे ये आग्रह है ...
वैसे आज के लिंक्स बहुत शानदार रहे ......तुषार जी की कविता भी दमदार है
आप सभी का बहुत बहुत शुक्रिया |
सुंदर कविता ।
सुंदर बुलेटिन ।
जीवन चलने का नाम ...। कविता तो बढिया है ।
बेहद ही शानदार प्रस्तुति. आपका दिल से आभार.
HelpfulGuruji
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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!