आओ एक नदी बनाते हैं आंसुओं की
तुम भी जी भरके रो लेना
हम भी रो लेंगे
अंजुरी में ले आंसुओं का अर्घ्य सूर्य को देंगे
एक ही कामना लिए -
इस नदी में जब डूबना
तो दर्द के भीगे अनकहे हालात को भस्म कर देना
ताकि एक दिन यह नदी
न्याय की तलाश में उफनती गंगा बन सके !!!
और गंगा में मिले कुछ विशेष लिंक्स =
8 टिप्पणियाँ:
मजाक मत करिये
मोदी के आँसू
सोनियाँ के आँसू
से कैसे मिलेंगे :)
सुंदर बुलेटिन :)
सुन्दर और पठनीय सूत्र।
बहुत ही सुन्दर सूत्र.. सुशील जी की बात पर ध्यान दीजिए..
:) सुशील जी
are waah mai to achanak hi pahunch gai blog bulletin men yahan pieasent surprise mila dhanyavad rashmi jee .....
खारी गंगा में डूबना अच्छा लगा!!
सार्थक बुलेटिन दीदी ... आभार |
आपकी लिखी रचना बुधवार 09 अप्रेल 2014 को लिंक की जाएगी...............
http://nayi-purani-halchal.blogspot.in आप भी आइएगा ....धन्यवाद!
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