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बुधवार, 28 अगस्त 2013

कृष्ण जन्म सबकी अंतरात्मा में हो



जब जब धर्म का नाश होता है 
मैं अवतार लेता हूँ  …… 
तो फिर आज मैं कहाँ हूँ ?
किस में हूँ ? 
क्या अपनी गिरेबान में तुम मुझे नहीं ढूंढ पाते ?
क्या तुम सब कथन में आस्तिक 
और करने में नास्तिक हो गए हो ?
क्या उत्तरदायित्व सिर्फ भगवान् का है ???
वो भी इसलिए कि तुम मेरे मंदिर में मुझे भोग लगाते हो 
!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!!
उठा लो अपने चढ़ाये भोग 
सम्भव हो तो जाओ वहां - जहाँ भूखों की भीड़ है 
जाओ वहाँ - जहाँ कंस हैवानियत पर उतर आया है 
मौसम का ख्याल मत करो 
उठो - जागो 
फिर जानो - मैं अवतार हूँ 
तुम्हारे ही ह्रदय में 
तुम्हारी ही चाह में  …। 

कृष्ण जन्म सबकी अंतरात्मा में हो - यही कामना है रसखान की कामना के साथ =

"मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन।
जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन॥
पाहन हौं तो वही गिरि को, जो धर्यो कर छत्र पुरंदर कारन।
जो खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदीकूल कदम्ब की डारन॥

या लकुटी अरु कामरिया पर, राज तिहूँ पुर को तजि डारौं।
आठहुँ सिद्धि, नवों निधि को सुख, नंद की धेनु चराय बिसारौं॥
रसखान कबौं इन आँखिन सों, ब्रज के बन बाग तड़ाग निहारौं।
कोटिक हू कलधौत के धाम, करील के कुंजन ऊपर वारौं॥

सेस गनेस महेस दिनेस, सुरेसहु जाहि निरंतर गावै।
जाहि अनादि अनंत अखण्ड, अछेद अभेद सुबेद बतावैं॥
नारद से सुक व्यास रहे, पचिहारे तू पुनि पार न पावैं।
ताहि अहीर की छोहरियाँ, छछिया भरि छाछ पै नाच नचावैं॥

धुरि भरे अति सोहत स्याम जू, तैसी बनी सिर सुंदर चोटी।
खेलत खात फिरैं अँगना, पग पैंजनी बाजति, पीरी कछोटी॥
वा छबि को रसखान बिलोकत, वारत काम कला निधि कोटी।
काग के भाग बड़े सजनी, हरि हाथ सों लै गयो माखन रोटी॥"



पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम की ओर से आप सभी को श्री कृष्णजन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ !

15 टिप्पणियाँ:

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें
सादर

अनुपमा पाठक ने कहा…

कृष्णं वंदे जगद्गुरुम्!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की बधाई और शुभकामनाएं !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

कृष्ण जन्माष्टमी की ढेरों बधाइयाँ..

अजय कुमार झा ने कहा…

श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर इससे सुंदर संदेश और बुलेटिन नहीं हो सकता था । शुक्रिया दीदी बहुत बहुत शुक्रिया आपका

शिवम् मिश्रा ने कहा…

जय जय बिहारी जी महाराज !
मुरली मनोहर कृष्ण कन्हैया;
यमुना तट पर विराजे है;
मोर मुकुट पर, कानों में कुंडल;
कर में मुरलिया साजे है।

आप सभी को श्री कृष्णजन्माष्टमी की हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभकामनाएँ !

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

सुंदर संदेश।

मैं अपनी इस कविता को भूला हुआ था। आपने याद दिलाया।
..आभार। दूसरे लिंक देखता हूँ।

संगीता स्वरुप ( गीत ) ने कहा…

कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें ... बहुत सुंदर लिंक्स मिले ... आभार ।

Madan Mohan Saxena ने कहा…

उत्कृष्ट अभिव्यक्ति..श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक बधाई और शुभकामनायें!

विभूति" ने कहा…

श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनायें......

Suman ने कहा…

बहुत बहुत आभार आपकी पारखी नजरों की कायल हूँ हमेशा से :)
लिंक की गई यह रचना बुलेटिन में देर से देख पायी,
कृष्ण मेरे चहेते है,जीवन में समग्र स्वीकार के प्रतीक है कृष्ण इसलिए !
आभार तहे दिल से, और बहुत बहुत बधाई सभी मित्रों को जन्माष्टमी की !

شہروز ने कहा…

नाचीज़ की पोस्ट को जगह देने के लिए आभारी हूँ!

Sarik Khan Filmcritic ने कहा…

Happy Janmashtami

कडुवासच ने कहा…

adbhut ...

डॉ. मोनिका शर्मा ने कहा…

उत्कृष्ट बुलेटिन

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