मित्रों.. पन्द्रह अगस्त आई... भाषण बाजी हुई और हर कोई आश्वासन दे कर चला गया... खूब राजनीति चमकी... क्या पक्ष.. क्या विपक्ष और क्या हम और आप..... बीच में जम्मू की हिंसा की खबर आई... फ़िर सरकारी तंत्र से दबाई गई.... लेकिन हम और आप क्या करें.... पिछले कुछ दिनों से एक अजब माहौल बन पडा है... यदि हमारे देश में कोई तंत्र है तो वह बस हमारे और आपके शोषण के लिए है... भ्रष्ट लोगों की जेब भरनें के लिए है.... न शहीद की चिंता है और न उनके शहादत का कोई हिसाब है। नेतागिरी चमकती रहे उसके लिए जो हो सके करते रहेंगे... वाकई लोकतंत्र इस स्थिति में पहुंच जाएगा इसकी किसी नें कोई कल्पना भी न की होगी। कैसा साम्यवाद और कैसा समाजवाद... यहां लूटतंत्र है... वही फ़ल फ़ूल रहा है... अमीर और अमीर होते जा रहा है गरीब और गरीब... बीच में पिसता मध्यम वर्ग जो सरकारी खूनखराबे का सबसे बडा शिकार है। टैक्स में दी जानें वाली छूट का फ़ायदा केवल कार्पोरेट को मिल रहा है वह भी उन्ही कारपोरेट्स को जो सरकार को एक बडी राशि चंदे के रूप में देते हैं। अम्बानी हों या बिरला.. सभी फ़ल फ़ूल रहे हैं... और हम और आप प्याज और टमाटर में फ़ंसे हैं।
वैसे हम भी आज घर की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लानें के लिए कैलकुलेशन कर रहे थे उसी बीच टीवी पर एक न्य़ूज़ देखी... "सरकार भगत सिंह को शहीद नहीं मानती"... मित्रों इस खबर नें खून खौला दिया... प्रधानमंत्री जी अपनें भाषण में केवल एक परिवार का गुणगान गाते न थकते रहे.... और शहीदे-आज़म की शहादत का यह हाल बना दिया गया.. वैसे अंग्रेजों की रायबहादुरी करते कांग्रेसियों से और अपेक्षा भी क्या होगी... लेकिन न शहीद की चिंता है.... न उनके शहादत का कोई किस्सा.... केवल स्कूलों में सोनिया गांधी "त्यागमुर्ति" और राहूल गांधी "युवा प्रेरणा स्रोत" पढाते रहिए.... राजनीति का यह स्तर.... हद है। अपने बच्चों के लिए कैसा तंत्र छोड कर जाएंगे हम.... सोच सोच कर बडी चिंता हो रही है भाई।
आज भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम के अप्रतिम क्रान्तिकारी - मदनलाल ढींगरा की १०३ वी पुण्यतिथि भी है... भारत माता के अमर सपूत को हम सभी का नमन....
ईश्वर से मेरी एक ही प्रार्थना है कि वह मुझे नया जीवन भी भारत - माता की गोद में ही प्रदान करे और मेरा वह जीवन भी भारत - माता की आजादी के पवित्र कार्य के लिये समर्पित हो । मेरे जन्म और बलिदान का यह क्रम उस समय तक चलता रहे जब तक भारत - माता आजाद न हो जाए । मेरी मातृभूमि की आजादी मानवता के हित - चिंतन और परम - पिता परमेश्वर के गौरव - संवर्द्धन के लिये होगी ।
चलिए आपको आज के बुलेटिन की ओर लेकर चलते हैं....
मदनलाल ढींगरा जी की १०४ वी पुण्यतिथि
मैं रीत गई, हो गई खाली.....
यात्रा एक किलोमीटर
कश्मीर से आये राही बता
प्याज की महंगाई ...आँखें भर आईं
फिर भी बनाऊँगी मैं, एक नशेमन हवाओं में.....
खलल दिमाग का !
वाह रे ममता बेनर्जी वाह
हमारे नेताओं के सदाबहार बयान::
मन की सम्यक व्याख्या
हाशिए.......
तो मित्रों आज का बुलेटिन यहीं तक.. कल हम वापस आएंगे एक स्पेशल अंक में....
7 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर सूत्र
भाई आपका लेख पढकर मजा आ गया। लेख लिखने के लिए आपको बहुत बहुत बधाई।
बहुत सुन्दर सूत्र ,आभार
बहुत सुन्दर सूत्र
और कल {सोमवार} {19/08/2013}
हिंदी ब्लॉग समूह
के शुभारंभ, पर कल कुछ ब्लॉग के बारे में हम शुभारंभ के साथ चर्चा करेगे जिन्होंने ब्लॉग्गिंग की दुनिया में पहचान हासिल की है कृपया पधारें....
क्या कहें ... अब तो यह लगता है कि आज़ादी मिलने के पीछे केवल एक ही परिवार का योगदान था बाकी किसी के योगदान को यह लोग मानते ही कहाँ है !?
बढ़िया बुलेटिन | जय हो
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