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रविवार, 18 अगस्त 2013

कभी खुशी - कभी ग़म: 600 वीं ब्लॉग बुलेटिन



पिछले साल भर ज़िन्दगी के कई शेड्स देखने को मिले. कभी लगा कि ज़िन्दगी बड़ी रंगीन है, फिर लगा नहीं, रंगीन नहीं – ब्लैक ऐण्ड व्हाइट है. फिर अपनी सोच पर हंसी आई कि चश्मा लगाकर दुनिया देखना और अपना फ़ैसला सुना देना, कहाँ तक मुनासिब है. जब खुशी का चश्मा लगाया तो गुजरात की हरियाली, सुन्दर प्राकृतिक छटा, पंछियों के मधुर गीत, भोले और मददगार लोग दिखाई दिये और जब परेशानियों ने धर दबोचा तो यही सब वनवास दिखाई देने लगा. इसी सांझ-उषा की लुका छिपी में और सुख-दु:ख के दो पाटों के बीच कब ब्लॉग-बुलेटिन की 550 वीं बुलेटिन छूट गयी पता ही नहीं चला. शायद बुलेटिन की शुरुआत से लेकर अब तक ऐसा पहली बार हुआ होगा. आज की 600वीं बुलेटिन पर सोचा अपनी लम्बी गैरहाज़िरी की माफ़ी माँग ली जाये.

इन दिनों फिल्मे बहुत देखीं. लेकिन ज़िन्दगी फिल्मों से कहीं ज़्यादा थ्रिल्लिंग होती है. किसे यकीन होगा कि एक शख्स हवाई जहाज में बैठा है और हवाई-जहाज में उड़ते समय आग लग जाती है. उसे हस्पताल में थर्ड डिग्री बर्न के ईलाज के लिये भरती किया जाता है. वहाँ उसकी मौत हो जाती है और तीन दिन बाद उसके शरीर को अग्नि को समर्पित कर दिया जाता है. शव-दाह गृह के कामगारों को भी नहीं पता कि वह किसका शरीर था. शरीर पर से कम्बल तक नहीं हटाया जाता. जब मृत्यु प्रमाण-पत्र जारी किया जाता है तो उसमें मृत्यु का कारण दिल का दौरा बताया गया. और कहानी यहीं खत्म नहीं होती. 43 साल बाद उन्ही डॉक्टर के दस्तख़त किये मृत्यु प्रमाण-पत्र सार्वजनिक किये जाते हैं जिसमें बताया जाता है कि जिस आदमी की 43 साल पहले मौत हुई थी वह आदमी काटा काना था और मौत का कारण थर्ड डिग्री बर्न था.

मौत की एक ऐसी गहरी गुत्थी जिसमें मौत की वज़ह, मौत की जगह, मौत के हालात और ख़ुद मौत एक ऐसी फाँस बन गई जो हर भारतवासी के दिल में चुभी है. सच एक गहरे धुन्ध में छिपा रहा, छिपाया गया – क्या मालूम! आज 18 अगस्त के दिन उस दुर्घटना के 68 साल हो गये. वो शख्स भारत माता का अमर सपूत सुभाष चन्द्र बोस था. जिन्हें आज भी हम नेता जी के नाम से जानते हैं.  

आज की इस 600 वीं बुलेटिन में हम श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं उस बहुआयामी स्वतंत्रता-सेनानी को.

और आखिर में अपनी एक पुरानी नज़्म:

कब सोचा था दादी नानी के सारे अफसाने बिल्कुल झूटे होंगे,
चाँद पे कोई बुढिया रहती है, ये सब बस कोरी गप्प थी.
आज ही मैं ने जाना है ये
चाँद पे रहता है एक शख्स सफेद पजामे कुर्ते
और तिल्लेवाली एक जूती पहने
बुढिया की अफवाह उसी ने फैलाई थी सदियों पहले.
आज ही मैंने जाना है
इक नाम भला सा है उसका
और भरी हुई है सिर से लेकर पाँव तलक
 भरपूर मोहब्बत, गहरा प्यार
ज़ुबाँ पे क्यों आता ही नहीं... सम्पूरन सिंह गुलज़ार.

गुलज़ार साह्ब को सालगिरह मुबारक !!!
                                                                        -         सलिल वर्मा 

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ज़िंदगी ख्वाब है – दीपक बाबा की बकबक



दिमागी खलल की खोज-खबर – ओझा उवाच



ट्रेवेलॉग: कैमरे की नज़र से – मानसिक हलचल



गुज़रा ज़माना बचपन का – खामोश दिल की सुगबुगाहट



आज़ादी का त्यौहार – आपबीती



तन्हाई – माइ ड्रीम्स एन’ एक्सप्रेशंस



ऐसा देश है मेरा – ये मेरा जहाँ



ये है बौम्बे मेरी जान – अपनी, उनकी, सबकी बातें



कौन हो तुम – सिमटे लम्हे



अँखियाँ मिला के – बेचैन आत्मा



कविता लिखने की ‘अभिलाषा’ – क्वचिदन्यतोSपि

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अब आज्ञा दीजिये ... ६५० वीं बुलेटिन पर फिर मुलाक़ात होगी ... बस ऐसे ही स्नेह बनाए रखिए ... हम यूं ही साथ साथ कदम दर कदम सफर तय करते रहेंगे !

21 टिप्पणियाँ:

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

दादा ६००वीं पोस्ट की बधाई | बहुत खूब बुलेटिन सजाई | जय हो भाई |

Darshan jangra ने कहा…

600 वीं पोस्ट की बहुत बहुत बधाई | बहुत खूब बुलेटिन आभार

Darshan jangra ने कहा…

कल {सोमवार} {19/08/2013}
हिंदी ब्लॉग समूह
के शुभारंभ, पर कल कुछ ब्लॉग के बारे में हम शुभारंभ के साथ चर्चा करेगे जिन्होंने ब्लॉग्गिंग की दुनिया में पहचान हासिल की है कृपया आप सब पधारें....आभार

Maheshwari kaneri ने कहा…

बुलेटिन टीम को ६००वीं पोस्ट की बधाई...

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

दादा हमारी रचना को नया नाम दे दिए आप link में,अकेलेपन को तन्हाई कर दिया.....चलिए हम भी कविता को नज़्म कहे देते हैं
:-)
बढ़िया बुलेटिन बढ़िया लिंक्स...
शुक्रिया
सादर
अनु

Mohan Srivastav poet ने कहा…

ब्लाग बुलेटिन की ६००वीं प्रविष्ठि पर मेरी बहु-बहुत हार्दिक शुभकामनायें व बधाई ,मेरी ईश्वर से कामना है कि आप का यह ब्लाग नित नई उचाइयों छुए....

Rajendra kumar ने कहा…

600 वीं पोस्ट/ बुलेटिन की बहुत बहुत बधाई |

Satish Chandra Satyarthi ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन.. ६०० की संख्या छूने के लिए बधाई.. ;)

rashmi ravija ने कहा…

बड़े अच्छे लिनक्स हैं ...बुलेटिन टीम को ६००वीं पोस्ट की बहुत बहुत बधाई !!

Dr ajay yadav ने कहा…

बधाई

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

नेता जी को याद करने का आपका अंदाज दिल को छू गया। गुलजार साहब को समर्पित आपकी नज़्म और बेहतरीन लिंक्स ने पोस्ट को धाँसू बना दिया है। 600 वीं बुलेटिन में अपनी पोस्ट देखकर खुशी हो रही है।
..आभार।

Arvind Mishra ने कहा…

कविता लिखने की अभिलाषा :-) आभार!

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

उम्दा लिंक्स,आपको और ब्लॉग बुलेटिन टीम को ६००वीं पोस्ट की बहुत बहुत बधाई !

RECENT POST: आज़ादी की वर्षगांठ.

मुकेश पाण्डेय चन्दन ने कहा…

bahut bahut badhaiyan ....jai hind

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

शुक्रिया, तमाम साथियों का... जब सोचता हूँ कि अब फिर से पहले सा हो जाएगा सब कुछ, तब एक नया ट्विस्ट आ जाता है मेरी कहानी में.. देखूं कब फिर से घूमना हो पायेगा ब्लॉग की गलियों में, फिर से.. पहले की तरह!! तब तक बस ऐसे ही मेहमानों की तरह आना-जाना लगा रहेगा!!
धन्यवाद फिर से!!

शिवम् मिश्रा ने कहा…

जय हो सलिल दादा ... ६०० वीं बुलेटिन अपने पूरे शबाब पर है ... जय हो दादा !

सभी पाठकों और पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम को बहुत बहुत बधाइयाँ और शुभकामनायें !

दीपक बाबा ने कहा…

वाह ६०० वीं पोस्ट.

सलिल जी..... कमाल किये हैं.

पूरी टीम को शुभकामनाएं



Darshan jangra ने कहा…

बड़े अच्छे लिनक्स हैं ...बुलेटिन टीम को ६००वीं पोस्ट की बहुत बहुत बधाई !!



{प्रथम ब्लॉग चर्चा} हिंदी ब्लॉग समूह

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बहुत बहुत शुभकामनाएं

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

बुलेटिन टीम को ६००वीं पोस्ट की बहुत बहुत बधाई !!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

आपको शुभकामनायें, सुभाष को नमन, सुन्दर सूत्र संकलन।

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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

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