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शनिवार, 8 जून 2013

हबीब तनवीर साहब - श्रद्धा-सुमन

ब्लॉगर मित्रों सादर नमन, 

हबीब तनवीर साहब  भारतीय थिएटर की अज़ीमोशान शख़्सियत थे । मुझे आज भी याद है एक दफ़ा जब हमारे स्कूल में रंगमंच का कार्यक्रम हो रहा था तब वो हमारे स्कूल में मुख्या अतिथि बनकर आये थे और हमारा नाटक देखने के बाद उन्होंने हमें अपने पास बुलाकर बहुत शब्बशी दी थी और हमारा प्रोत्साहन भी किया था । उनका उस समय हमारे स्कूल के मंच पर दिया हुआ भाषण मेरे कानो में आज भी गूंजता है । उन्होंने बहुत सहज लफ़्ज़ों में बहुत ही सटीक बात बतलाई थी जिसके मायने मैं आज भी नहीं भूला हूँ । उन्होंने कहा था के "यदि कोई काम ज़िन्दगी में करने की ठान लो तो फिर पीछे मत हटना फिर चाहे उसको पाने के लिए भूखे मरने की नौबत ही क्यों न आ जाये । अगरचे कुछ करने की सोच ली हो तो फिर उसे दिल से पूरा करो अगर दिल नहीं उसमें तो सब बेकार है ।" उनकी इस बात से मैं आज तक उनसे बेहद मुतास्सिर हूँ ।

मुझे आज भी गर्व है के मुझे अपने इस जीवन में कम से कम एक बार तो ऐसे प्रसिद्ध कलाकार और महान पुरुष से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ । आज उनकी चौथी पूर्णयतिथि पर उन्हें मेरी और हमारी बुलेटिन के बाक़ी सदस्यों की तरफ से भावभीनी श्रद्धांजलि और उनके जीवन के बारे में आप सभी को कुछ बताना चाहेंगे | 

हबीब तनवीर साहब भारत के सबसे मशहूर पटकथा लेखक, नाट्य निर्देशक, कवि और अभिनेता थे। जनाब हबीब तनवीर हिन्दुस्तानी रंगमंच के नामचीन और बेहद महत्त्वपूर्ण स्तंभ थे। उन्होंने लोकधर्मी रंगकर्म को पूरी दुनिया में प्रतिष्ठित किया और भारतीय रंगमंच को दुनिया के नक़्शे पर एक नया मुक़ाम हासिल करवाया।

जीवन परिचय
हबीब तनवीर का जन्म १ सितंबर, १९२३ को छत्तीसगढ़ के रायपुर में हुआ था। उनके पिता हफ़ीज अहमद खान पेशावर (पाकिस्तान) के रहने वाले थे। स्कूली शिक्षा रायपुर और बी.ए. नागपुर के मौरिस कॉलेज से करने के बाद वे एम.ए. करने अलीगढ़ गए। युवा अवस्था में ही उन्होंने कविताएँ लिखना आरंभ कर दिया था और उसी दौरान उपनाम 'तनवीर' उनके साथ जुडा। १९४५ में वे मुंबई गए और ऑल इंडिया रेडियो से बतौर निर्माता जुड़ गए। उसी दौरान उन्होंने कुछ फिल्मों में गीत लिखने के साथ अभिनय भी किया।

इप्टा से संबंध
मुंबई में तनवीर प्रगतिशील लेखक संघ और बाद में इंडियन पीपुल्स थियेटर एसोसिएशन (इप्टा) से जुड़े। ब्रिटिशकाल में जब एक समय इप्टा से जुड़े तब अधिकांश वरिष्ठ रंगकर्मी जेल में थे। उनसे इस संस्थान को संभालने के लिए भी कहा गया था। १९५४ में उन्होंने दिल्ली का रुख़ किया और वहाँ कुदेसिया जैदी के हिंदुस्तान थिएटर के साथ काम किया। इसी दौरान उन्होंने बच्चों के लिए भी कुछ नाटक किए।

विवाह
दिल्ली में तनवीर की मुलाकात अभिनेत्री मोनिका मिश्रा से हुई जो बाद में उनकी जीवनसंगिनी बनीं। यहीं उन्होंने अपना पहला महत्वपूर्ण नाटक 'आगरा बाज़ार' किया। 1955 में तनवीर इग्लैंड गए और रॉयल एकेडमी ऑफ ड्रामेटिक्स आर्ट्स (राडा) में प्रशिक्षण लिया। यह वह समय था जब उन्होंने यूरोप का दौरा करने के साथ वहाँ के थिएटर को क़रीब से देखा और समझा।

कार्यक्षेत्र
५० वर्षों की लंबी रंग यात्रा में हबीब जी ने १०० से अधिक नाटकों का मंचन व सर्जन किया। उनका कला जीवन बहुआयामी था। वे जितने अच्छे अभिनेता, निर्देशक व नाट्य लेखक थे उतने ही श्रेष्ठ गीतकार, कवि, गायक व संगीतकार भी थे। फिल्मों व नाटकों की बहुत अच्छी समीक्षायें भी की। उनकी नाट्य प्रस्तुतियों में लोकगीतों, लोक धुनों, लोक संगीत व नृत्य का सुन्दर प्रयोग सर्वत्र मिलता है। उन्होंने कई वर्षों तक देश भर ग्रामीण अंचलों में घूम-घूमकर लोक संस्कृति व लोक नाट्य शैलियों का गहन अध्ययन किया और लोक गीतों का संकलन भी किया।

नया थियेटर की स्थापना
छठवें दशक की शुरुआत में नई दिल्ली में हबीब तनवीर की नाट्य संस्था ‘नया थियेटर’ और राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय की स्थापना लगभग एक समय ही हुई। यह उल्लेखनीय है कि देश के सर्वश्रेष्ठ नाट्य संस्था राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के पास आज जितने अच्छे लोकप्रिय व मधुर गीतों का संकलन है उससे कहीं ज्यादा संकलन ‘नया थियेटर’ के पास मौजूद हैं। एच.एम.वी. जैसी बड़ी संगीत कंपनियों ने हबीब तनवीर के नाटकों के गीतों के कई आडियो कैसेट भी तैयार किये जो बहुत लोकप्रिय हुए।

हिन्दी रंगमंच का विकास
आजादी से पहले हिन्दी रंगकर्म पर पारसी थियेटर की पारम्परिक शैली का गहरा प्रभाव था। साथ ही हिन्दुस्तान के नगरों और महानगरों में पाश्चात्य रंग विधान के अनुसार नाटक खेले जाते थे। आजादी के बाद भी अंग्रेज़ी और दूसरे यूरोपीय भाषाओं के अनुदित नाटक और पाश्चात्य शैली हिन्दी रंगकर्म को जकड़े हुए थी। उच्च और मध्य वर्ग के अभिजात्यपन ने पाश्चात्य प्रभावित रुढिय़ों से हिन्दी रंगमंच के स्वाभाविक विकास को अवरुद्ध कर रखा था और हिन्दी का समकालीन रंगमंच नाट्य प्रेमियों की इच्छाओं को संतुष्ट करने में अक्षम था। हबीब तनवीर ने इन्हीं रंग परिदृश्य को परिवर्तित करने एक नए और क्रांतिकारी रंग आंदोलन का विकास किया।

प्रमुख कृतियाँ
नाटक
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आगरा बाज़ार (१९५४)
शतरंज के मोहरे (१९५४)
लाला शोहरत राय (१९५४)
मिट्टी की गाड़ी (१९५८)
गाँव का नाम ससुराल मोर नाम दामाद (१९७३)
चरणदास चोर (१९७५)
पोंगा पण्डित
द ब्रोकन ब्रिज (१९९५)
ज़हरीली हवा (२००२)
राज रक्त (२००६)

फ़िल्म
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फ़ुट पाथ (१९५३)
राही (१९५३)
चरणदास चोर (१९७५)
गाँधी (१९८२)
ये वो मंज़िल तो नहीं (१९८७)
हीरो हीरालाल (१९८८)
प्रहार (१९९१)
द बर्निंग सीजन (१९९३)
द राइज़िंग: मंगल पांडे (२००५)
ब्लैक & व्हाइट (२००८)

सम्मान और पुरस्कार
संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार (१९६९)
पद्मश्री (१९८३)
संगीत नाटक एकादमी फेलोशिप (१९९६)
पद्म भूषण (२००२)
कालिदास सम्मान (१९९०)
१९७२ से १९७८ तक भारतीय संसद के उच्च सदन में राज्यसभा सदस्य।
इनका नाटक 'चरणदास चोर' एडिनवर्ग इंटरनेशनल ड्रामा फेस्टीवल (१९८२) में पुरस्कृत होने वाला ये पहला भारतीय नाटक था।

निधन
हबीब तनवीर का निधन ८ जून, २००९ को भोपाल, मध्य प्रदेश में हो गया। थिएटर के विश्वकोष कहे जाने वाले तनवीर का निधन ऐसी अपूरणीय क्षति है, जिसकी भरपाई असंभव है।
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आज ही के दिन एक और बड़ी घटना घटी थी । एक बड़ी सड़क दुर्घटना में रंगमंच के लोकप्रिय कवि श्री ओम प्रकाश आदित्य, श्री नीरज पुरी और श्री लाड सिंह गुज्जर का भी निधन हो गया था और श्री ओम व्यास तथा श्री ज्ञानी बैरागी गंभीर रूप से घायल हुए थे । आप सभी मध्य प्रदेश संस्मृति विभाग द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन में से सम्मलित होकर कर वापस लौट रहे थे | आज इस दुखद घटना को घटे ४ साल बीत गए हैं परन्तु रंगमंच और रंगमंच प्रेमियों के दिलों में आज भी यह घाव तरोताज़ा है और ताउम्र रहेगा । रंगमच प्रेमियों के लिए आज का यह दिन बेहद शोकाकुल है । 






जनाब हबीब तनवीर, जनाब आदित्य, जनाब नीरज पुरी, और जनाब लाड सिंह गुज्जर को मेरी और समस्त बुलेटिन टीम की ओर से अश्रुपूरित और भावभीनी श्रद्धांजलि । भगवान् उनकी आत्माओं की शांति प्रदान करें । उम्मीद हैं ये सब आज जहाँ भी होंगे वहां पर भी रंगमंच के रंगों से सभी को सराबोर कर रहे होंगे | 

आमीन !!! 

आज की कड़ियाँ 

चौथी बरसी पर शत शत नमन - शिवम् मिश्रा

सबसे बड़ी खबर - नूपुर

सिनेमा की आभासी दुनिया का तीखा सच - अविनाश

फटा पोस्टर निकला जीरो - तनुज व्यास

ललिता भाटिया की लघुकथा - वारिस - रविशंकर श्रीवास्तव

सदा प्यार से श्रेष्ठ, मित्रता मेरे लेखे - रविकर

वन टेक ओ. के - सागर

अमावस का चाँद - तरुण

रचना - दीप्ति शर्मा

रिश्तों का दामन दागदार हुआ है - पी.बिहारी ‘बेधड़क’

मैं नहीं जानती अपने अन्दर की उस लड़की को - वंदना

आज के लिए बस यही तक और एक बार फिर सभी दिवंगत महान आत्माओं को शत शत नमन । कल फिर मुलाक़ात होगी । आभार और धन्यवाद् ।

जय हो मंगलमय हो  | जय श्री राम  | हर हर महादेव शंभू  | जय बजरंगबली महाराज 

10 टिप्पणियाँ:

vandana gupta ने कहा…

दिवंगत आत्माओं को विनम्र श्रद्धांजलि ………बहुत बढिया बुलेटिन

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

जनाब हबीब तनवीर, जनाब आदित्य, जनाब नीरज पुरी, और जनाब लाड सिंह गुज्जर को मेरी ओर से अश्रुपूरित और भावभीनी श्रद्धांजलि ....
यदि कोई काम ज़िन्दगी में करने की ठान लो तो फिर पीछे मत हटना ....
God Bless U

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आज इस दुखद घटना को घटे ४ साल हो गया है तब भी इन सब विभूतियों के खो जाने का गम एकदम ताज़ा है ...काश यह दिन ना आया करें ... |

हबीब तनवीर जी , आदित्य जी, नीरज पुरी जी, और लाड सिंह गुज्जर जी को मेरी ओर से हार्दिक अश्रुपूरित श्रद्धांजलि |

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

हबीब तनवीर साहब कला जगत की शान थे, सादर नमन.

रामराम.

ताऊ रामपुरिया ने कहा…

बहुत बढिया लिंक्स मिले, आभार.

रामराम.

Tanuj Vyas ने कहा…

बहुत बहुत शुक्रिया

Tanuj Vyas ने कहा…

R.I.P. tanvir saahab

अरुणा ने कहा…

हबीब तनवीर जी , आदित्य जी, नीरज पुरी जी, और लाड सिंह गुज्जर जी को मेरी ओर से हार्दिक श्रद्धांजलि |

ashokkhachar56@gmail.com ने कहा…

बहुत बढिया लिंक्स

बेनामी ने कहा…

सादर नमन

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