मीडिया चिल्ला चिल्ला कर भाजपा और मोदी और नितीश पर रिपोर्टिंग कर रहा है। ऐसा लग रहा है जैसे कोई और खबर है ही नही। अबे भ्रष्ट सरकार के घोटाले नज़र नहीं आते क्या, सुरसा के मुंह जैसी मंहगाई डायन नज़र नहीं आती क्या? सब्ज़ी से लेकर दाल, चावल, आटा, दूध हो या फ़िर पेट्रोल, डीजल हर कुछ जेब से बाहर हो रहा है। आज शाम को सब्ज़ी लेनें गये थे... लीजिए भाव सुनिए...
टमाटर: साठ रुपए किलो
अदरक: पचास रुपए का एक पाव... अब अदरक वाली चाय इतनी भारी पड गई जेब पर की क्या कहें
फ़्रेन्च बीन्स: अस्सी रुपए किलो
आलू: तेईस रुपए किलो
प्याज: बीस रुपए किलो
कद्दू: चालीस रुपए किलो
सेम: चालीस रुपए किलो
लौकी: तीस रुपए किलो
परवल: चालीस रुपए किलो
गिलकी: चालीस रुपए किलो
कुल मिलाकर हफ़्ते भर की सब्ज़ी का भाव दो सौ रुपए हो गया और वह भी पाव पाव करके। जब सब्ज़ी वाले से पूछा की सब्ज़ी इतनी मंहगी क्यों है तो वह बोलता है साहब मिल रही है वही गनीमत है। अब साहब शाकाहारी होनें का इतना खर्चा। आखिर हमारी जेब पर इतना बडा डाका क्यों... मजाक तो तब हो गया जब टीवी में मंहगाई कम हो गई और जून में मुद्रा स्फ़ीति की दर केवल ४.८७ प्रतिशत दिखाया गया। हद है यार...
मंहगाई डायन का यह जोर मीडिया को नहीं दिखा? या यूं कहें की मोदी में ज्यादा टीआरपी है... कुछ भी कहो लेकिन कांग्रेस है बहुत स्मार्ट... वोटिंग डायनामिक्स में कांग्रेस का कोई तोड नहीं। मंहगाई से सबका ध्यान मोदी की तरफ़ घुमा दिया गया और चुपके से तेल के दाम बढ गये। आम आदमी को ईएमआई के चक्कर में फ़ंसा दो... ऐसा घुमाओ की हर दिन केवल सेलरी के दिन का इंतज़ार करता रहे और चुपचाप अपनी सियासत चमकाते रहो। वोट की राजनीति खेलो और सबको बेवकूफ़ बनाओ... अपनी सियासत चमकाओ| वैसे आप लोग याद रखिए... अगले चुनाव में हिसाब बराबर करना है.. फ़िलहाल अपनें बुलेटिन को आगे बढाते हैं।
(थाली के दो बैंगन) |
(सभी चित्र गूगल बाबा से लिए गये हैं)
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चलिए आज का बुलेटिन यहीं तक... कल फ़िर मिलेंगे एक नये मुद्दे के साथ... तब तक के लिए देव बाबा को इजाजत दीजिए.....
जय हिन्द
देव
13 टिप्पणियाँ:
uttarakhand ke liy no share karne ka saadar aabhar
धन्यवाद, हमारी लिंक साझा करने के लिये..
पैट्रोल के दाम बढ़ गए कहीं कोई सुगबुगाहट नहीं ...सब मोदी और नितीश के बारे में ही बोल रहे हैं ....
सुंदर लिंक्स .... मुझे शामिल करने के लिए आभार
rochak , saarthak buletin.
मनमोहन सिंह साहब फिलहाल राहुल गांधी जी के लिए भरत बने जा रहे है ... सब की नज़रों मे प्रधानमंत्री तो वो है ... पर राज वो राहुल बाबा के नाम पर ही चला रहे है ... हर तीसरे चौथे महीने अपना पद चाँदी के वर्क मे लपेट कर पेश कर देते है ... अपनी वफादारी के सबूत के रूप मे ... ऐसे मे आम आदमी की परवाह किसे हो ... बहुत ज्यादा कुछ हँगामा हो गया तो एक बयान जारी कर पूछ लेंगे ... "ठीक है ???"
बढ़िया बुलेटिन लगाए हो देव बाबू !
मेरी लघुकथा के लिंक को भी सम्मिलित करने के लिए आपका आभार
सुन्दर सूत्र, रोचक राजनीति।
मँहगाई ने आम आदमी की दुश्वारियों को कई गुना बढ़ाया है यह निर्विवाद सत्य है ! लेकिन हमारे नेता निस्पृह भाव से अपने चुनावी जोड़ तोड़ में जुटे हैं यह भी एक विडम्बना ही है ! सार्थक सूत्रों के साथ सुसज्जित आज का बुलेटिन मन भाया ! आभार आपका !
वोट की राजनीति खेलो और सबको बेवकूफ़ बनाओ... अपनी सियासत चमकाओ|बस ये याद रखने की जरूरत है वोट देते वक्त ……………सुन्दर लिंक्स से संयोजित बुलेटिन ………आभार
मस्त लिंक्स ..
अच्छे लिंक्स दिए है ...
आभार आपका !
बहुत सुन्दर लिंक्स.
सुंदर और सचेतक बुलेटिन। मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए हार्दिक धन्यवाद।
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