आदरणीय ब्लॉगर मित्रगण सादर प्रणाम,
एक आदमी सोना तोलने के लिए सुनार के पास तराजू मांगने आया। सुनार ने कहा, ‘‘मियाँ, अपना रास्ता लो। मेरे पास छलनी नहीं है।’’ उसने कहा, ‘‘मजाक न कर, भाई, मुझे तराजू चाहिए।’’
सुनार ने कहा, ‘‘मेरी दुकान में झाडू नहीं हैं।’’ उसने कहा, ‘‘मसखरी को छोड़, मै तराजू मांगने आया हूँ, वह दे दे और बहरा बन कर ऊटपटांग बातें न कर।’’
सुनार ने जवाब दिया, ‘‘हजरत, मैंने तुम्हारी बात सुन ली थी, मैं बहरा नहीं हूँ। तुम यह न समझो कि मैं गोलमाल कर रहा हूँ। तुम बूढ़े आदमी सुखकर काँटा हो रहे हो। सारा शरीर काँपता हैं। तुम्हारा सोना भी कुछ बुरादा है और कुछ चूरा है। इसलिए तौलते समय तुम्हारा हाथ काँपेगा और सोना गिर पड़ेगा तो तुम फिर आओगे कि भाई, जरा झाड़ू तो देना ताकि मैं सोना इकट्ठा कर लूं और जब बुहार कर मिट्टी और सोना इकट्ठा कर लोगे तो फिर कहोगे कि मुझे छलनी चाहिए, ताकि ख़ाक को छानकर सोना अलग कर सको। हमारी दुकान में छलनी कहां? मैंने पहले ही तुम्हारे काम के अन्तिम परिणाम को देखकर दूरदर्शिता से कहा था कि तुम कहीं दूसरी जगह से तराजू मांग लो।’’
जो मनुष्य केवल काम के प्रारम्भ को देखता है, वह अन्धा है। जो परिणाम को ध्यान में रखे, वह बुद्धिमान है। जो मनुष्य आगे होने वाली बात को पहले ही से सोच लेता है, उसे अन्त में लज्जित नहीं होना पड़ता।
आज की कड़ियाँ
क्या आप जानते हैं ...हिन्दी भाषा - सवाई सिंह राजपुरोहित
ये पहली बार सुना है - कीर्तिश भट्ट
मजबूर आदमी - गोपाल क्रिशन शुक्ल
प्रेम का पाखंड - जिया बनी शिकार - शिखा कौशिक
वह विचार करता है उन योजनाओं की बाबत जिन्हें उसने अधूरा छोड़ दिया था - अशोक पांडे
महाराष्ट्र का वह बुद्धिमान रोबोट हमारा मन मोह गया - बी.एस. पाब्ला
जूलीया गिलर्ड - कौशल मिश्रा
परबत की पीर बहे - ज्योति-कलश
सहजि सहजि गुन रमें - अनिरुद्ध उमट
युन्ही - राहुल मिश्रा
कौन 'हिटलर- मुसोलिनी' कौन 'पोप' - खुशदीप सहगल
आज के लिए बस यही तक कल फिर मुलाक़ात होगी । आभार और धन्यवाद् ।
ये पहली बार सुना है - कीर्तिश भट्ट
मजबूर आदमी - गोपाल क्रिशन शुक्ल
प्रेम का पाखंड - जिया बनी शिकार - शिखा कौशिक
वह विचार करता है उन योजनाओं की बाबत जिन्हें उसने अधूरा छोड़ दिया था - अशोक पांडे
महाराष्ट्र का वह बुद्धिमान रोबोट हमारा मन मोह गया - बी.एस. पाब्ला
जूलीया गिलर्ड - कौशल मिश्रा
परबत की पीर बहे - ज्योति-कलश
सहजि सहजि गुन रमें - अनिरुद्ध उमट
युन्ही - राहुल मिश्रा
कौन 'हिटलर- मुसोलिनी' कौन 'पोप' - खुशदीप सहगल
आज के लिए बस यही तक कल फिर मुलाक़ात होगी । आभार और धन्यवाद् ।
जय हो मंगलमय हो | जय श्री राम | हर हर महादेव शंभू | जय बजरंगबली महाराज
13 टिप्पणियाँ:
हा हा हा...कहानी बढिया है पर ऐसा हर समय संभव नही है. हमारे जान पहचान के एक सज्जन थे जो एक सेठ के यहां नौकरी किया करते थे.
यदि सेठ के यहां कोई बीमार हो और उन्हें (नौकर) डाक्टर लाने भेजो तो वो डाक्टर को लाने के साथ साथ ही कफ़न काठी भी ले आते थे. उनका तर्क भी यही था कि जब आदमी बीमार है तो मरेगा अवश्य, अत: कफ़न काठी का इंतजाम भी पहले ही कर लिया करते थे.:)
रामराम.
बढिया लिंक्स मिले, आभार.
रामराम.
बढिया लिंक्स
जीवन मे दूरदर्शिता बेहद जरूरी है ... बढ़िया बुलेटिन तुषार !
achchhe links .meri post ka link yahan dene hetu aabhar .
@tau ji - bahut sateek bat kahi hai .
<a href="http://www.facebook.com/HINDIBLOGGERSPAGE”>हम हिंदी चिट्ठाकार हैं</a>
तुषार उम्दा लिंक सँजोये हैं आपने...!!!
विविध विषयों पर सुन्दर लिकं संयोजित किये हैं आपने ...उनमें 'परबत की पीर ' को स्थान देने के लिए ह्रदय से आभार !
सादर
ज्योत्स्ना शर्मा
Nice links tushar ji
आदरणीय तुषार राज रस्तोगी जी मेरी पोस्ट "क्या आप जानते हैं ...हिन्दी भाषा" को शामिल करने के लिए हार्दिक आभार आपका
बहुत ही अच्छी बात है...
बड़े ही सुन्दर सूत्र..
कहानी में दम है ...
अच्छे लिंक दिए हैं ...
बढ़िया बुलेटिन की खबरे ..
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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!