ज़िन्दगी इम्तहान लेती है ........... लेती ही जाती है,
अपना घर,
अपनी जिम्मेदारियाँ,
अपने उत्तरदायित्व ही इतने हैं कि ज़िन्दगी कम पड़ जाती है ....
ऐसे में दूसरे के रास्ते में पाँव रखना रास्ते से बेरास्ते होना है, इसे समझकर भी हम बाज नहीं आते - दूसरे क्या हैं,क्या नहीं हैं इसीमें लगे रहते हैं = हम भी कमाल के हैं न !
चलिए कुछ पुरानी कुछ नई अभिव्यक्ति की गलियों से गुजरते हैं ...
10 टिप्पणियाँ:
बेहद उम्दा..... वाह वाह वाह
हम भी कमाल के हैं न !!
आध्यात्म में डूबे हम
कमाल के ही होगें ना हम .....
क्या लिखूँ .........
धन्यवाद और आभार छोटे लग रहे ....
आपके कद के अनुसार कोई शब्द नहीं मिल रहे ....
हम भी कमाल के हैं न !!
आध्यात्म में डूबे हम
कमाल के ही होगें ना हम .....
क्या लिखूँ .........
धन्यवाद और आभार छोटे लग रहे ....
आपके कद के अनुसार कोई शब्द नहीं मिल रहे ....
बढ़िया प्रस्तुति रश्मि दी ... अब जाता हूँ सभी लिंक्स पर !
बहुत खूब लिखा | बुलेटिन लाजवाब है | जय हो |
ऐसे में दूसरे के रास्ते में पाँव रखना रास्ते से बेरास्ते होना है, इसे समझकर भी हम बाज नहीं आते - दूसरे क्या हैं,क्या नहीं हैं इसीमें लगे रहते हैं = हम भी कमाल के हैं न !
सटीक कहा है .... बढ़िया प्रस्तुति
एक से बढ़ कर एक लिंक... कुछ पढ़ लिए और कुछ पढ़ने जा रही हूँ ...
बहुत बहुत शुक्रिया...
बहुत सुंदर सूत्र .....पढ़ती हूँ चलकर...
साभार....
रोचक सूत्रों से सजा बुलेटिन, आभार आपको।
गजब की कडियों का संचय!!
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