प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !
प्रणाम !
विश्व रक्तदान दिवस
14 जून को घोषित किया गया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा हर साल 14 जून
को 'रक्तदान दिवस' मनाया जाता है। वर्ष 1997 में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने
100 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान नीति की नींव डाली है। वर्ष 1997 में संगठन
ने यह लक्ष्य रखा था कि विश्व के प्रमुख 124 देश अपने यहाँ स्वैच्छिक
रक्तदान को ही बढ़ावा दें। मकसद यह था कि रक्त की जरूरत पड़ने पर उसके लिए
पैसे देने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए, पर अब तक लगभग 49 देशों ने ही इस पर
अमल किया है। तंजानिया जैसे देश में 80 प्रतिशत रक्तदाता पैसे नहीं लेते,
कई देशों जिनमें भारत भी शामिल है, रक्तदाता पैसे लेता है। ब्राजील में तो
यह क़ानून है कि आप रक्तदान के पश्चात किसी भी प्रकार की सहायता नहीं ले
सकते। ऑस्ट्रेलिया के साथ साथ कुछ अन्य देश भी हैं जहाँ पर रक्तदाता पैसे
बिलकुल भी नहीं लेते।
14 जून ही क्यों ?
बहुत कम लोग जानते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए 14 जून को ही विश्व रक्तदाता दिवस के तौर पर क्यों चुना ! दरअसल कार्ल लेण्डस्टाइनर (जन्म- 14 जून 1868 - मृत्यु- 26 जून 1943) नामक अपने समय के विख्यात ऑस्ट्रियाई जीवविज्ञानी और भौतिकीविद की याद में उनके जन्मदिन के अवसर पर दिन तय किया गया है। वर्ष 1930 में शरीर विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित उपरोक्त मनीषि को यह श्रेय जाता है कि उन्होंने रक्त में अग्गुल्युटिनिन की मौजूदगी के आधार पर रक्त का अलग अलग रक्त समूहों - ए, बी, ओ में वर्गीकरण कर चिकित्साविज्ञान में अहम योगदान दिया।
भारत में रक्तदान की स्थिति
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के तहत भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत है लेकिन उपलब्ध 75 लाख यूनिट ही हो पाता है। यानी क़रीब 25 लाख यूनिट रक्त के अभाव में हर साल सैंकड़ों मरीज़ दम तोड़ देते हैं। राजधानी दिल्ली में आंकड़ों के मुताबिक यहां हर साल 350 लाख रक्त यूनिट की आवश्यकता रहती है, लेकिन स्वैच्छिक रक्तदाताओं से इसका महज 30 फीसदी ही जुट पाता है। जो हाल दिल्ली का है वही शेष भारत का है। यह अकारण नहीं कि भारत की आबादी भले ही सवा अरब पहुंच गयी हो, रक्तदाताओं का आंकड़ा कुल आबादी का एक प्रतिशत भी नहीं पहुंच पाया है। विशेषज्ञों के अनुसार भारत में कुल रक्तदान का केवल 59 फीसदी रक्तदान स्वेच्छिक होता है। जबकि राजधानी दिल्ली में तो स्वैच्छिक रक्तदान केवल 32 फीसदी है। दिल्ली में 53 ब्लड बैंक हैं पर फिर भी एक लाख यूनिट रक्त की कमी है। वहीं तीसरी दुनिया के कई सारे देश हैं जो इस मामले में भारत को काफ़ी पीछा छोड़ देते हैं। मालूम हो हाल में राजशाही के जोखड़ से मुक्त होकर गणतंत्र बने नेपाल में कुल रक्त की जरूरत का 90 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान से पूरा होता है तो श्रीलंका में 60 फीसदी, थाईलेण्ड में 95 फीसदी, इण्डोनेशिया में 77 फीसदी और अपनी निरंकुश हुकूमत के लिए चर्चित बर्मा में 60 फीसदी हिस्सा रक्तदान से पूरा होता है।
बहुत कम लोग जानते हैं कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए 14 जून को ही विश्व रक्तदाता दिवस के तौर पर क्यों चुना ! दरअसल कार्ल लेण्डस्टाइनर (जन्म- 14 जून 1868 - मृत्यु- 26 जून 1943) नामक अपने समय के विख्यात ऑस्ट्रियाई जीवविज्ञानी और भौतिकीविद की याद में उनके जन्मदिन के अवसर पर दिन तय किया गया है। वर्ष 1930 में शरीर विज्ञान में नोबेल पुरस्कार से सम्मानित उपरोक्त मनीषि को यह श्रेय जाता है कि उन्होंने रक्त में अग्गुल्युटिनिन की मौजूदगी के आधार पर रक्त का अलग अलग रक्त समूहों - ए, बी, ओ में वर्गीकरण कर चिकित्साविज्ञान में अहम योगदान दिया।
भारत में रक्तदान की स्थिति
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मानक के तहत भारत में सालाना एक करोड़ यूनिट रक्त की जरूरत है लेकिन उपलब्ध 75 लाख यूनिट ही हो पाता है। यानी क़रीब 25 लाख यूनिट रक्त के अभाव में हर साल सैंकड़ों मरीज़ दम तोड़ देते हैं। राजधानी दिल्ली में आंकड़ों के मुताबिक यहां हर साल 350 लाख रक्त यूनिट की आवश्यकता रहती है, लेकिन स्वैच्छिक रक्तदाताओं से इसका महज 30 फीसदी ही जुट पाता है। जो हाल दिल्ली का है वही शेष भारत का है। यह अकारण नहीं कि भारत की आबादी भले ही सवा अरब पहुंच गयी हो, रक्तदाताओं का आंकड़ा कुल आबादी का एक प्रतिशत भी नहीं पहुंच पाया है। विशेषज्ञों के अनुसार भारत में कुल रक्तदान का केवल 59 फीसदी रक्तदान स्वेच्छिक होता है। जबकि राजधानी दिल्ली में तो स्वैच्छिक रक्तदान केवल 32 फीसदी है। दिल्ली में 53 ब्लड बैंक हैं पर फिर भी एक लाख यूनिट रक्त की कमी है। वहीं तीसरी दुनिया के कई सारे देश हैं जो इस मामले में भारत को काफ़ी पीछा छोड़ देते हैं। मालूम हो हाल में राजशाही के जोखड़ से मुक्त होकर गणतंत्र बने नेपाल में कुल रक्त की जरूरत का 90 फीसदी स्वैच्छिक रक्तदान से पूरा होता है तो श्रीलंका में 60 फीसदी, थाईलेण्ड में 95 फीसदी, इण्डोनेशिया में 77 फीसदी और अपनी निरंकुश हुकूमत के लिए चर्चित बर्मा में 60 फीसदी हिस्सा रक्तदान से पूरा होता है।
रक्तदान के बारे और विस्तार से जानने के लिए पढ़ें :-
विश्व रक्तदान दिवस पर विशेष - रक्तदान है महादान
सादर आपका
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चलो रक्तदान करें ....... आज 14 जून अर्थात विश्व रक्तदान दिवस है
मेहदी हसन को याद करते हुए
*अन्तरनाद* ======== कोमल गांधार से शुरू होता था उनका अन्तरनाद जो धैवत् और निषाद के दरम्यान कहीं एकाकार हो जाता था हमारी आत्मा के सबसे उत्तप्त राग से. बड़े संकोच के साथ मेहदी हसन उतरते थे अपनी ही आवाज़ के अंतरंग में कि जैसे पहली बार छू रहे हों प्रेमिका की मखमली हथेलियाँ. झुकी हुई पलकें मानो अदृश्य कर देना चाहती हों उस सृष्टि को जो रची जानी है अभी अभी. स्वर पेटी से निकलते सुरों से विषम कुछ थरथराहट होती तिर्यक होते होंठों की दाहिनी कोर में संभवतः ये उनके वो स्वर होते होंगे जिन्हें वो हरगिज नहीं सुनाना चाहते दुनिया को. झुकी पलकों और थरथराते होठों के इसी अदृश्य में मेहदी हसन बुनते हैं ऐसी आ... more »
सुमित को मिला राजीव गाँधी एक्सीलेंस अवार्ड-2013
दिल्ली व दामिनी गान के लेखक, गीतकार व व्यंग्यकार सुमित प्रताप सिंह को एक भव्य सम्मान समारोह में राजीव गाँधी एक्सीलेंस अवार्ड-2013 प्रदान किया गया। सम्मान समारोह का आयोजन दिनाँक 11 जून, 2013 को दोपहर 3 बजे नई दिल्ली में स्थित कंस्टीट्यूशनल क्लब के डिप्टी स्पीकर हाल में किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि थे केन्द्रीय कोयला मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल व विशिष्ट अतिथि थे असम, उड़ीसा व झारखंड के पूर्व राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी, पूर्व मंत्री बिहार व राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग के सदस्य डॉ. शकील उज़ ज़मन अंसारी एवं वोकहार्ट फाउन्डेशन के चेयरमैन डॉ. हुज़ैफा खोकरीवाला। इस अवसर पर विभिन्न क्ष... more »
हिन्दू पार्टी का मुसलमान नेता -एक लघु कथा
[image: News Concept Stock Photo]हिन्दू पार्टी का मुसलमान नेता -एक लघु कथा * **टी.वी.साक्षात्कार में जटिल प्रश्नों के उत्तर देने के बाद साक्षात्कारकर्ता के इस प्रश्न पर मिर्जा साहब थोडा अटके जब उनसे पूछा गया -'' मिर्जा साहब गुस्ताखी माफ़ हो ...आप एक मुसलमान होते हुए एक हिन्दू पार्टी से पिछले बीस साल से जुड़े हुए हैं .पार्टी में कई महत्वपूर्ण पदों पर रहें हैं ...तब क्या महसूस किया है एक मुसलमान होकर एक हिन्दू पार्टी की विचारधारा से तालमेल बैठाने में ?'' मिर्जा साहब का चेहरा सख्त हो गया .वे गंभीरता के साथ बोले -'' आप बस ये समझ लीजिये जैसे ब्याह ... more »
मालवा का स्वर्ग है , मांडू ( मांडवगढ़ )
चलिए आज आपको मालवा के स्वर्ग यानि मांडू अथवा मांडवगढ़ की सैर पर ले चलते है . क्या कहा ? ये मालवा कहाँ है ? तो बताते है ...भाई सब बताते है ..काहे इतनी जल्दी किये हो .....अब बताने के लिए ही तो ये पोस्ट लिखे है . तो मध्य प्रदेश भारत के कुछ प्राकृतिक सुन्दरता वाले राज्यों में से एक है . पश्चिमी मध्य प्रदेश जिसमे इंदौर , उज्जैन , रतलाम , झाबुआ , धार और देवास आदि वाला हिस्सा मालवा के नाम से प्रसिद्द है . , बस स्टेंड पहुचते ही थोड़े आगे यह अशर्फी महल दिखाई देता है . कहते है बेगम ने जब इस ऊंचाई पर बने महल में चढ़ने से इंकार कर दिया , तो सुल्तान महमूद खलजी ने उन्हें हर एक सीढ़ी चढ़ने पर एक अ... more
यज्ञोपवित
*भारतीय संस्कृति में यज्ञोपवित का अत्यधिक महत्व है * *यज्ञोपवित प्रतीक है प्रतिबद्धता के और कर्तव्य का * *यज्ञोपवित** और उससे जुडी मान्यताओं को * *समझाने की आवश्यकता है * *यज्ञोपवित का संधि -विच्छेद किये जाने पर यज्ञ+उपवीत होता है * *अर्थात वह वे सूत्र जिनके बिना व्यक्ति * *यज्ञ में बैठने का अधिकारी नहीं होता है * *यज्ञ में विराजमान अग्नि देव यज्ञोपवित को धारण किये बिना* * किसी भी व्यक्ति की आहुति **को ग्रहण नहीं करते है * *यज्ञोपवित में तीन धागे के सूत्र होते है * *तीनो सूत्र अलग -अलग दायित्वों कर्तव्यो की पूर्ति का * *स्मरण कराते रहते है * *प्रथम सूत्र पितृ ऋण का प्रतीक होता है * *द्वित... more »
अब नहीं भेज पाएंगे तार (टेलीग्राम) : 15 जुलाई, 2013 से हमेशा के लिए बंद हो जाएगी टेलीग्राम सर्विस
टेलीग्राम सर्विस याद है आपको। जब भी कोई जरुरी सन्देश देना होता तो पहले लोग झट से तार (telegram) भेजते थे। पर आज के इस हाईटेक दौर में तार (Telegram) पुराने ज़माने की बात हो गई। अंतत: 160 वर्ष पुरानी यह सेवा 15 जुलाई, 2013 से हमेशा के लिए बंद हो जाएगी !! (As per a circular issued by Bharat Sanchar Nigam Ltd (BSNL) Corporate office, New Delhi, the telegraph service is to be discontinued with effect from July 15, 2013.) *************************************************************************** स्मार्ट फोन, ईमेल और एसएमएस ने आज टेलीग्राम सेवा को किनारे कर... more »
बाल श्रमिक दिवस !
ये बचपन जो भूखा है और ये बचपन जिंसकी भूख किसी और को मिटानी चाहिए अपने नन्हें नन्हें हाथों से काम कर असहाय माता - पिता भूख मिटाने के लिए काम कर रहे हैं और कहीं कहीं तो नाकारा बाप के अत्याचारों से तंग आकर उसकी जरूरतों को पूरा करने के लिए भी . मैं अपनी बहन के यहाँ गयी तो उसकी सास ने कहा - कोई लड़की काम करने के लिए आपके जानकारी में हो तो बताना . घर में रखना है कोई तकलीफ नहीं होगी , घर वालों को हर महीने पैसे भेजती रहूंगी . क्या कहती उनसे ? उनकी बहू और बेटियां बहुत नाजुक है कि वह अपने बच्चों को तक नहीं संभाल सकती हैं और घर के काम के लिए उन्... more »
गर्मी छुट्टी डायरिज़ - ऐनक लगाकर पढ़ना ये चिट्ठियां (१)
कैसे कहूं कि इन दिनों कुछ लिखने को जी नहीं चाहता। कुछ है ही नहीं बताने को। ऐसी स्थिति आमतौर पर तब आती है जबकि अंदर कुछ गुबार भरा हो और निकलने का रास्ता न जानता हो। या फिर तब कि जब बहुत सुकून हो - इतना कि सुख-दुख, पाप-पुण्य, अच्छा-बुरा, सही-ग़लत, कुछ भी मायने न रखता हो। कोई भी बात तकलीफ़ न पहुंचाती हो, कोई भी ख़ुशी उतावली न करती हो। मन कमल का चिकना पत्ता हो गया है। कुछ ठहरता ही नहीं यहां... क्या बांटूं फिर? क्या लिखूं चिट्ठी में? बस ये समझ लो कि सब कुशल-मंगल है और तुम्हारे लिए भी मंगलकामना है। मन के व्याकुल होने का इंतज़ार करती हूं, कि फिर लिखने को कोई बात होगी तब शायद... फिलहाल बसं... more »
खेल जब पेशा है तो ‘फिक्सिंग’ भी होगी
खेल को पेशा बनाने का नतीजासतीश आचार्य का कार्टून स्पॉट फिक्सिंग मामले में जेल से छूटने के बाद एस श्रीशांत ने कहा कि मैं इस प्रकरण को कभी नहीं भूलूँगा। इसने मुझे कई चीजें सिखाई हैं। श्रीशांत, अंकित चह्वाण और अजित चंडीला को एक आप खारिज कर दीजिए, भर्त्सना कीजिए। पर सब जानते हैं कि इस पापकर्म के वे सूत्रधार नहीं हैं। अपने पैरों पर कुल्हाड़ी इन्होंने मारी है। इनके पास इज़्जत, शोहरत और पैसे की कमी नहीं थी। खेल जीवन में यह सब इन्हें मिलता। फिर भी इन्होंने अपना करियर चौपट करना मंज़ूर किया। किस लालच ने इन्हें इस गलीज़ रास्ते पर डाला? उसी क्रिकेट ने जिसे यह खेल समझ कर आए थे। हमारे जीवन में प... more »
आम आदमी पार्टी के ऑटो विज्ञापन के बहाने
*मूलत: प्रकाशित- जनसत्ता; 14 जून 2013* इसमे दो राय नहीं है कि दिल्ली सरकार ने तिपहिया वाहन पर किसी भी तरह के पोस्टर नहीं लगाने और "कलर कोड" जारी करने की जो बात उठाई है, वह राजनीति से प्रेरित और आम आदमी पार्टी के प्रचार अभियान को हतोत्साहित करने के लिए है. वरना दिल्ली सरकार के नुमाइंदों को बेहतर पता है कि तिपहिया के अलावा सड़क, संस्थान और सार्वजनिक स्थलों की जानकारी देनेवाले सरकारी बोर्ड और सूचना पट्ट भी किस तरह पोस्टरों से रंग दिए जाते हैं. कभी विश्वविद्यालय और कॉलेज परिसरों के आसपास मेट्रो और सार्वजनिक स्थलों की बोर्ड को लेकर मुआयना करें तो अंदाजा लगाया जाएगा कि कैसे नियमों की सरे... more »
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
16 टिप्पणियाँ:
acchha laga
badhaai
सुन्दर सूत्रों का बुलेटिन..
सार्थक जानकारी .
हमेशा की तरह लिंक से पहले तुम्हारे आलेख ने दिल जीत लिया है ...आभार ...
रक्तदान पर प्रस्तुत सामग्री बहुत ही उपयोगी है क्योंकि अभी भी हम में से सब नहीं जानते इसकी अहमियत बल्कि वो जनता है जिसके किसी प्रिय का जीवन खून मिलने पर बच जाता है न मिलने पर खो जाता है . मैंने अपने जीवन में इसको बखूबी देखा है
ये विश्व स्तर पर निश्चित किये गए दिवस अपने आप में एक महत्व रखते हैं और उनकी उपयोगिता को स्वीकार करते हुए ही उन्हें विश्व पटल पर रखा जाता है . जरूरत इस बात की भी है कि हम इनकी सार्थकता में अपना कुछ योगदान दे सकें तो हमारी ही नहीं बल्कि सभी की दृष्टि में उसकी उपयोगिता सिद्ध हो जाती है .
बढ़िया जानकारी बढ़िया लिंक
recent post
फोल्डर को रिस्टोर कर डिलीट फाइल वापस ले
हमेशा की तरह सार्थक प्रस्तुति....
लिंक्स भी अच्छे(कविता एक भी नहीं??)
:-)
सस्नेह
अनु
rakt daan divas par gyaan vardak jaankaari achchhi lagi
yagyopavit ko sthaan dene ke liye aabhaar
बढ़िया लिंक
बहुत सार्थक प्रस्तुति ....!!
इस तरह निरंतर कुछ सार्थक करते रहना ....अच्छा लगता है आपका जज़्बा शिवम ...!!
आप सब का बहुत बहुत आभार !
बढ़िया जानकारी बढ़िया लिंक,बहुत सार्थक प्रस्तुति.
रोचक प्रस्तुति। सहेजने योग्य बुलेटिन। सादर आभार।
क्या आपको भी आते हैं इस तरह के ईनामी एसएमएस!!
म श्री एडम्स केविन, Aiico बीमा ऋण ऋण कम्पनी को एक प्रतिनिधि हुँ तपाईं व्यापार को लागि व्यक्तिगत ऋण चाहिन्छ? तुरुन्तै आफ्नो ऋण स्थानान्तरण दस्तावेज संग अगाडी बढन adams.credi@gmail.com: हामी तपाईं रुचि हो भने यो इमेल मा हामीलाई सम्पर्क, 3% ब्याज दर मा ऋण दिन
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नमस्कार,
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हामीलाई सम्पर्क इमेल मार्फत: constantloanfirm1@gmail.com
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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!