"चुपके चुपके" फ़िल्म का सीन याद कीजिए..... जीजाजी का टेलीग्राम आया है.. नायिका के इतना कहनें से नायक का चेहरा हैरानी से भर जाता है की जीनियस जीज्जा जी। सत्तर और अस्सी के दशक में सूचना को तेज़ी से पहूंचानें का एक बडा माध्यम था यह टेलीग्राम या कहें तो तार। कोई भी एक संदेश एक शहर के टेलीग्राफ़ आफ़िस से दूसरे टेलीग्राफ़ आफ़िस तक पहुंचाया जाता था और फ़िर वह अपनें गंतव्य तक पहुंचाया जाता था। जी... अब बदलते दौर में यह तार बीते और भूले जमानें की बात हो जाएगा। भारत संचार निगम लिमिटेड नें अपनी इस एक मात्र तार सेवा को बन्द करनें का फ़ैसला लिया है।
सोचिए बीते दौर में इस तार नें कितना बडा किरदार निभाया है, आईए जानें की इस तार का जीवन काल कैसा रहा।
इस तार नें बीते हुए ज़मानें के कई गम्भीर पहलुओं को छूआ है, 1857 के गदर के सूचना को ब्रिटिश राज तक पहुंचानें से लेकर, भारतीय स्वाधीनता आन्दोलन के खिलाफ़ अंग्रेजों की नीति का एक अहम हिस्सा था यह टेलीग्राम। कांग्रेस के अधिवेशन की अंग्रेज सरकार तक खबर पहुंचानें का एक मात्र ज़रिया था यह तार। यह एक जरूरी संदेश के लिए एक रूपक भारतीय जीवन का एक हिस्सा रहा है। कई एक बॉलीवुड फिल्म के कथानक में एक मोड़ के लिए जिम्मेदार, टेलीग्राम अक्सर एक परिवार के सदस्य की मौत की खबर लेकर आता था। यह तार सन 1985 में अपने चरम पर था जब एक दिन में लगभग 60 लाख टेलीग्राम भेजे जा रहे थे और 45,000 कार्यालयों से भारत में एक साल का स्वागत किया था। भारत दुनियां का अन्तिम देश होगा तार भेजनें वाला और पन्द्रह जुलाई को भारत तार को अलविदा कर देगा।
आज कल का जमाना मोबाईल और हाईफ़ाई डिवासिस का है, आज कल संसार के एक कोनें से दूसरे कोनें तक सूचना देनें के लिए कोई देरी नहीं होती। हर जेब में रहनें वाला फ़ोन इंटरनेट से किसी से भी बात कर सकता है, वीडियो चैट, मेसेन्जर और व्हाट़्स-एप्प जैसे मैसेंजर बिना किसी देरी के आपका संदेश और चित्र दुनियां में कहीं भी पहुंचा सकते हैं। इसी बदलते हुए दौर में पिछड गया यह तार। चलिए इस तार को याद करते हुए अपनें बुलेटिन की ओर बढते हैं।
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आशा है आपको आज का बुलेटिन पसन्द आया होगा तो फ़िर आज के बुलेटिन का आनन्द लीजिए... और देव बाबा को कल तक के लिए इज़ाजत दीजिए..
जय हिन्द
देव
17 टिप्पणियाँ:
Hindi sahitya Margdarshan ke post ko shamil karne ke liye sadar abhar.
बहुत बढ़िया
.सार्थक व् सराहनीय लिंक्स संयोजन . आभार . मगरमच्छ कितने पानी में ,संग सबके देखें हम भी . आप भी जानें संपत्ति का अधिकार -४.नारी ब्लोगर्स के लिए एक नयी शुरुआत आप भी जुड़ें WOMAN ABOUT MAN "झुका दूं शीश अपना"
यहाँ तो 'तार'को औपचारिक रूप से श्रद्धांजलि दी गई है:-(
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.आपका आभार।
रोचक् वार्ता के साथ सुन्दर बुलेटिन
सभी रचनाएँ बहुत सुन्दर है और भाव पूर्ण है बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
तार सेवा का बंद होना सचमुच दुखद है पर शायद ... मौजूदा दौर मे यह होना ही था ... :(
बढ़िया लिंक्स देव बाबू ... सार्थक बुलेटिन के लिए आभार !
बहुत ही सुन्दर सूत्र..आभार..
धन्यवाद ब्लॉग बुलेटिन जी..!!
आभारी हूँ..
आपके ब्लॉग पर पहली बार आया .... तार की बिदाई
अंत दुखद रहा .. मेरा पोस्ट शेयर करने हेतु आभार
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