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बुधवार, 5 सितंबर 2012

शिक्षक दिवस पर विशेष - तीन ताकतों को समझने का सबक - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !


यह संयोग भारत में ही संभव हो सकता था कि एक शिक्षक राष्ट्रपति बन जाए और एक राष्ट्रपति शिक्षक। 
बात हो रही है क्रमश: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (जिनका जन्मदिन आज शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जा रहा है) और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की, जो राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद कई शिक्षण संस्थानों में अतिथि शिक्षक के रूप में सेवा दे रहे है। चलिए , जानते है डॉ. कलाम के स्कूली दिनों और उन शिक्षकों के बारे में, जिन्होंने उन पर प्रभाव डाला -उन्ही की जुबानी |

मेरा जन्म मद्रास राज्य के रामेश्वरम् कस्बे में एक मध्यमवर्गीय तमिल परिवार में हुआ था। मेरे पिता जैनुलाबदीन की कोई बहुत अच्छी औपचारिक शिक्षा नहीं हुई थी और ही वे कोई बहुत धनी व्यक्ति थे। इसके बावजूद वे बुद्धिमान थे और उनमें उदारता की सच्ची भावना थी। मेरी मां, आशियम्मा, उनकी आदर्श जीवनसंगिनी थीं। हम लोग अपने पुश्तैनी घर में रहते थे। रामेश्वरम् की मसजिदवाली गली में बना यह घर पक्का और बड़ा था।

[बहुत बुरा लगा था पीछे बैठना]
बचपन में मेरे तीन पक्के दोस्त थे- रामानंद शास्त्री, अरविंदन और शिवप्रकाशन। जब मैं रामेश्वरम् के प्राइमरी स्कूल में पांचवीं कक्षा में था तब एक नए शिक्षक हमारी कक्षा में आए। मैं टोपी पहना करता था, जो मेरे मुसलमान होने का प्रतीक था। कक्षा में मैं हमेशा आगे की पंक्ति में जनेऊ पहने रामानंद के साथ बैठा करता था। नए शिक्षक को एक हिंदू लड़के का मुसलमान लड़के के साथ बैठना अच्छा नहीं लगा। उन्होंने मुझे पीछे वाली बेंच पर चले जाने को कहा। मुझे बहुत बुरा लगा। रामानंद भी मुझे पीछे की पंक्ति में बैठाए जाते देख काफी उदास नजर आ रहा था। स्कूल की छुट्टी होने पर हम घर गए और सारी घटना अपने घरवालों को बताई। यह सुनकर रामानंद के पिता लक्ष्मण शास्त्री ने उस शिक्षक को बुलाया और कहा कि उसे निर्दोष बच्चों के दिमाग में इस तरह सामाजिक असमानता एवं सांप्रदायिकता का विष नहीं घोलना चाहिए। उस शिक्षक ने अपने किए व्यवहार पर न सिर्फ दु:ख व्यक्त किया, बल्कि लक्ष्मण शास्त्री के कड़े रुख एवं धर्मनिरपेक्षता में उनके विश्वास से उस शिक्षक में अंतत: बदलाव आ गया।

[रसोई के रास्ते टूटी रूढि़यां]
प्राइमरी स्कूल में मेरे विज्ञान शिक्षक शिव सुब्रह्मण्य अय्यर कट्टर ब्राह्मण थे, लेकिन वे कुछ-कुछ रूढि़वाद के खिलाफ हो चले थे। वे मेरे साथ काफी समय बिताते थे और कहा करते, 'कलाम, मैं तुम्हे ऐसा बनाना चाहता हूं कि तुम बड़े शहरों के लोगों के बीच एक उच्च शिक्षित व्यक्ति के रूप में पहचाने जाओगे।' एक दिन उन्होंने मुझे अपने घर खाने पर बुलाया। उनकी पत्नी इस बात से बहुत ही परेशान थीं कि उनकी रसोई में एक मुसलमान को भोजन पर आमंत्रित किया गया है। उन्होंने अपनी रसोई के भीतर मुझे खाना खिलाने से साफ इनकार कर दिया। अय्यर जी अपनी पत्नी के इस रुख से जरा भी विचलित नहीं हुए और न ही उन्हे क्रोध आया। उन्होंने खुद अपने हाथ से मुझे खाना परोसा और बाहर आकर मेरे पास ही अपना खाना लेकर बैठ गए। मै खाना खाने के बाद लौटने लगा तो अय्यर जी ने मुझे फिर अगले हफ्ते रात के खाने पर आने को कहा। मेरी हिचकिचाहट को देखते हुए वे बोले, 'इसमें परेशान होने की जरूरत नहीं है। एक बार जब तुम व्यवस्था बदल डालने का फैसला कर लेते हो तो ऐसी समस्याएं सामने आती ही है।' अगले हफ्ते जब मैं उनके घर रात्रिभोज पर गया तो उनकी पत्नी ही मुझे रसोई में ले गई और खुद अपने हाथों से मुझे खाना परोसा।

[तीन ताकतों को समझने का सबक]
15 साल की उम्र में मेरा दाखिला रामेश्वरम् के जिला मुख्यालय रामनाथपुरम् स्थित श्वा‌र्ट्ज हाई स्कूल में हुआ। मेरे एक शिक्षक अयादुरै सोलोमन बहुत ही स्नेही, खुले दिमागवाले व्यक्ति थे और छात्रों का उत्साह बढ़ाते रहते थे। रामनाथपुरम् में रहते हुए अयादुरै सोलोमन से मेरे संबंध काफी प्रगाढ़ हो गए थे। वे कहा करते थे, 'जीवन में सफल होने और नतीजों को हासिल करने के लिए तुम्हे तीन प्रमुख शक्तिशाली ताकतों को समझना चाहिए- इच्छा, आस्था और उम्मीदें।' उन्होंने ही मुझे सिखाया कि मैं जो कुछ भी चाहता हूं, पहले उसके लिए मुझे तीव्र कामना करनी होगी, फिर निश्चित रूप से मैं उसे पा सकूंगा। वे सभी छात्रों को उनके भीतर छिपी शक्ति एवं योग्यता का आभास कराते थे। वे कहा करते थे- 'निष्ठा एवं विश्वास से तुम अपनी नियति बदल सकते हो।'

[पिटाई के बाद मिली प्रशंसा]
श्वा‌र्ट्ज हाई स्कूल में कक्षाएं अहाते में अलग-अलग झुंडों के रूप में लगा करती थीं। एक दिन मेरे गणित के शिक्षक रामकृष्ण अय्यर किसी दूसरी कक्षा को पढ़ा रहे थे। अनजाने में ही मैं उस कक्षा से होकर निकल गया। तुरंत ही उन्होंने मुझे गरदन से पकड़ा और भरी कक्षा के सामने बेंत लगाए। कई महीनों बाद जब गणित में मेरे पूरे नंबर आए तब रामकृष्ण अय्यर ने स्कूल की सुबह की प्रार्थना में सबके सामने यह घटना सुनाई और कहा, 'मैं जिसकी बेंत से पिटाई करता हूं, वह एक महान् व्यक्ति बनता है। मेरे शब्द याद रखिए, यह छात्र विद्यालय और अपने शिक्षकों का गौरव बनने जा रहा है।' आज मैं सोचता हूं कि उनके द्वारा की गई यह प्रशंसा क्या एक भविष्यवाणी थी?
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शिक्षक दिवस पर मैं अपने सभी शिक्षकों
का पुण्य स्मरण करते हुए नमन करता हूँ |
भगवान् उन सब को दीर्घजीवी बनाये  ... ताकि वह सब ज्ञान का
प्रकाश दूर दूर तक पंहुचा सकें |
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सादर आपका 
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posted by Sawai Singh Rajpurohit at Active Life 
www.google.com *आज डा0 सर्वपल्ली राधाकृष्ण का जन्म-दिवस है. इस तिथि को शिक्षक-दिवस के रूप में मनाया जाता है. शिक्षक दिवस की आप सभी को हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनायें !! ...सुगना फाउंडेशन मेघलासिया*


posted by संतोष त्रिवेदी at बैसवारी baiswari 
आज शिक्षक-दिवस की गहमा-गहमी है .शिक्षक जी मगन हो रहे हैं.कम से कम तीन सौ पैंसठ दिन में एक दिन ऐसा है जब उन्हें किसी अनहोनी की आशंका नहीं है.घर और बाहर उन्हें 'फूल' नहीं समझा जायेगा बल्कि कुछेक चेले उनको ह...

posted by मनोज पटेल at पढ़ते-पढ़ते 
*आज शिक्षक दिवस पर रॉबर्ट ब्लाय की यह कविता... ** * * * *पुराने गुरुजनों के प्रति आभार : रॉबर्ट ब्लाय * (अनुवाद : मनोज पटेल) जब हम चहलकदमी करते हैं किसी जमी हुई झील पर, हम वहां रखते हैं अपने कदम जहां ...

posted by Ragini at अस्तित्व 
एक कच्ची मिट्टी के ढेले को सानकर, उसे चाक पर आकार देकर, आग में तपाकर सुंदर कलाकृति के रूप में परिवर्तित करने का श्रेय उस कुम्भकार को है जिसने इतनी मेहनत करके उसे दूसरों के लिए बनाया .....धन्य है वह . ठीक उ...

posted by मनोज कुमार at विचार 
*सूफ़ी सिलसिला-6* *ख़्वाजा हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया* [image: दरगाह ख़्वाजा हज़रत निज़ामुद्दीन] बाबा फ़रीद के अनेक शिष्यों में से *हज़रत जमाल हंसवी*, *हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया*, *हज़रत अली अहमद साबिर*, *शेख़ ब...

posted by noreply@blogger.com (प्रवीण पाण्डेय) at न दैन्यं न पलायनम् 
अभी एक कार्यक्रम से लौटा हूँ, अन्य गणमान्य व्यक्तियों के साथ मंच पर एक स्वामीजी भी थे। चेहरे पर इतनी शान्ति और सरलता कि दृष्टि कहीं और टिकी ही नहीं, कानों ने कुछ और सुना ही नहीं। कार्यक्रम समाप्त भी हो ग...


posted by रश्मि at रूप-अरूप 
ठीक से याद नहीं....वो शायद भूगोल पढ़ाती थीं......यही बरसात के दि‍न थे...हल्‍की-हल्‍की बारि‍श..स्‍कूल का आंगन जि‍से हम प्रांगण कहते थे...भीगा था, कीचड़ भी। अचानक वो मि‍स जि‍न्‍हें स्‍कूल में पढ़नेवाली लड़क...

posted by महेन्द्र मिश्र at समयचक्र 
किसी ने कहा है " की गुरुजन बिन ज्ञान प्राप्त नहीं होता है चाहे वह गुरु किसी भी क्षेत्र में किसी भी विधा में पारंगत हो " डाक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी भारतीय सामाजिक संस्कृति से ओत प्रोत एक महान दार्श...

posted by "रुनझुन" at रुनझुन 
गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवो महेश्वरः *|* गुरुर्साक्षात परब्रह्म तस्मै श्री गुरुवे नमः *||* सभी गुरुजनों को शिक्षक दिवस पर शत-शत नमन !!! मित्रों, सबसे पहले बहुत सारा ''SORRY!!'' ( इतने दिनों तक...

posted by रेखा श्रीवास्तव at मेरा सरोकार 
मेरे शिक्षक भी मेरी शिक्षा के अनुसार मिलते रहे और सिखाते रहे लेकिन वो जो जीवन के उस पक्ष में मिले जब कि सीखने के साथ साथ उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से जीवन के कुछ ऐसे मंत्र भी सिखाये जो जीवन को सही रूप में दे...

posted by शिवम् मिश्रा at बुरा भला 
*शिक्षक दिवस पर मैं अपने सभी शिक्षकों का पुण्य स्मरण करते हुए नमन करता हूँ | भगवान् उन सब को दीर्घजीवी बनाये ... ताकि वह सब ज्ञान का प्रकाश दूर दूर तक पंहुचा सकें |*

posted by सदा at SADA 
कुछ रिश्‍तों में कुछ भी तय नहीं होता फिर भी वे समर्पित होते हैं एक दूसरे के लिए बिना कुछ पाने या खोने की अभिलाषा लिए ... कुछ रिश्‍ते रूहानी होते हैं जिनकी हर बात साझा होती है खुशी हो या गम ...

posted by रश्मि प्रभा... at मेरी भावनायें...
शब्दों की यात्रा में सिर्फ एहसासों का आदान प्रदान नहीं होता रास्तों के नुकीले पत्थर भी चुभते हैं ठेस लगती है पर बंधु - यह यात्रा आत्मा परमात्मा के दोराहों को एक करती है ... तो थकान हो पानी ना मिले क...

posted by Soniya Bahukhandi Gaur at बुरांस के फूल 
रिश्ते बनते हैं तो बिगड़ते क्यूँ हैं, बिगड़ भी जाएँ तो दुख किस बात का,? जब पता है दुनिया नियम कायदे... मन की सूखी नदी भी बाढ़ ग्रस्त हो जाती है और कोई नहीं रह जाता बिन बुलाई आपदा को तारने वाला।.... ये...


posted by Atul Shrivastava at अंदाज ए मेरा 
मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह ने एक बार फिर जनता को साधने की शुरूआत करने की तैयारी कर ली है। वे फिर से जनदर्शन नाम की पुरानी 'फिल्म' लेकर जनता के पास आ रहे हैं। वैसे तो वे राजधानी में अपने निवास में बरसों से जन...


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अब आज्ञा दीजिये ... 

ब्लॉग बुलेटिन की पूरी टीम की ओर से आप सब को शिक्षक दिवस की बहुत बहुत हार्दिक बधाइयाँ और शुभकामनाएं !

जय हिन्द !!

21 टिप्पणियाँ:

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

शिक्षक दिवस की शुभकामना... बहुत बढ़िया लिनक्स

Kulwant Happy ने कहा…

nice Sir...

सदा ने कहा…

बेहतरीन लिंक्‍स संयोजन के लिए आभार ... शिक्षक दिवस की शुभकामनाएं के साथ

मनोज पटेल ने कहा…

पूर्व राष्ट्रपति के शिक्षकों के बारे में जानना दिलचस्प रहा.
अच्छे लिंक्स का संयोजन.
शिक्षक दिवस की शुभकामनाओं के साथ आभार!!

ऋता शेखर 'मधु' ने कहा…

शिक्षक दिवस के लिए बेहतरीन पोस्ट...
शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ !!

Maheshwari kaneri ने कहा…

शिक्षक दिवस की शुभकामनाएँ !! सुन्दर पोस्ट

संतोष त्रिवेदी ने कहा…

आभार शिवम भाई ।

रुनझुन ने कहा…

शिक्षक दिवस पर आप सभी गुरुजनों को शत-शत नमन!!! और मेरी पोस्ट को यहाँ लिंक करने के लिए आभार.

HARSHVARDHAN ने कहा…

अच्छे लिंक्स है ,शिक्षक दिवस के दिन ऐसे पोस्ट पढ़कर बहुत ख़ुशी हुई । मेरे ब्लॉग पर भी आप सब एक बार अवश्य पधारे - http://gaureya.blogspot.com/

Soniya Gaur ने कहा…

पूर्व राष्ट्रपति के शिक्षकों के बारे में जानना दिलचस्प रहा.
अच्छे लिंक्स का संयोजन.
शिक्षक दिवस की शुभकामनाओं के साथ आभार!! साथ ही मेरे लिंक को भी स्थान देने के लिए आभार

वाणी गीत ने कहा…

डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की क्या बात है . वे एक आदर्श व्यक्ति , नागरिक और राष्ट्रपति रहे हैं .
बेहतरीन लिंक्स !

अजय कुमार झा ने कहा…

शिवम भाई ,
आप अब बुलेटिन के प्रस्तावना विशेषज्ञ हो गए हैं , बेहतरीन सार्थक और सामयिक प्रस्तावना के लिए बहुत बहुत शुक्रिया और आभार । उस पर चुनिंदा और कमाल की पोस्टों का लिंक सहेज कर पन्ना संग्रहणीय हो गया है ।

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

कलाम साहब के प्रेरक प्रसंग, बहुत ही सुन्दर सूत्र भी..

रश्मि शर्मा ने कहा…

शि‍क्षक दि‍वस की शुभकामनाएं.....अच्‍छे लिंक्‍स दि‍ए हैं आपने...मेरी रचना शामि‍ल करने के लि‍ए धन्‍यवाद...

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

श्री शिवम मिश्रा जी बहुत ही बेहतरीन लिंक से बुलेटिन बनाया है.आपका बहुत बहुत आभार मेरी "शिक्षक दिवस के अवसर पर समस्त गुरुजनों का हार्दिक अभिनन्दन एवं नमन...सुगना फाऊंडेशन" पोस्ट को यहाँ शामिल करने के लिए... सवाई सिंह

Sawai Singh Rajpurohit ने कहा…

शि‍क्षक दि‍वस की शुभकामनाएं......

मनोज कुमार ने कहा…

आज के दिन को समर्पित आपका यह विशेष बुलेटिन हमें जहां कुछ सोचने विचारने का सूत्र सौंपता है वहीं दूसरी तरफ़ दिए गए लिंक्स हमें पढ़ने के कई कहत्वपूर्ण सूत्र (लिंक्स) थमाता है।

Atul Shrivastava ने कहा…

वास्‍तव में गुरू से बडा कोई नहीं....
संत कबीर ने भी कहा था,
""गुरू गोविंद दोऊ खडे काके लागू पाय, बलिहारी गुरू आपने गोविंद दियो बताय।""
नमन है सभी गुरूओं का और आभार आपका कि आपने कलाम साहब से जुडी जानकारियों को साझा किया...
पर अफसोस, अब गुरूओं का जमाना नहीं रहा... सरकारें खुद गुरूओं से किनारा कर रही हैं, इसीलिए गुरुजी और शिक्षक के बजाय अब शिक्षाकर्मी और संविदा शिक्षक जैसे पद आ रहे हैं........
बहरहाल हमेशा की तरह बेहतरीन भूमिका के साथ ब्‍लाग बुलेटिन.... लिंक्‍स पर फिर कभी...... अपने डेशबोर्ड के माध्‍यम से पहुंचूंगा......
आभार......

Dev K Jha ने कहा…

वाह, कितना अच्छा बुलेटिन.
गुरु को प्रणाम.. माता पिता को प्रणाम...

बहुत सुन्दर लिंक्स...

Archana Chaoji ने कहा…

बुलेटिन भी इतना उपयोगी और खूबसूरत हो सकता है, ये आज जाना ....आभार शिवम......

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार !

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