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रविवार, 30 सितंबर 2012

लाहौर चौराहे का नाम भगत सिंह चौक | ब्लॉग बुलेटिन


आज शाम एक न्यूज़ साईट पर एक न्यूज़ दिखी.... समाचार था .. "लाहौर चौराहे का नाम पाकिस्तान ने भगत सिंह चौक रखा" जी बिलकुल हमारे लिए यह किसी खुश खबरी से कम न थी..  सोचा इलेक्ट्रानिक मीडिया में देखा जाये इस पर कोई रिपोर्ट आ रही होगी.. लेकिन नहीं.. यहाँ पर तो कोई और ही राग अलापा जा रहा था.. जैसे आज हिंदुस्तान और पाकिस्तान का मैच नहीं कोई युद्ध होने वाला है...  यार गंभीर सोच में पड़ गए की क्या नमक मिर्ची मसाला लगा के मीडिया मैच के पहले युद्ध का माहौल गरम करता है.. और फिर पूरा देश एंटी पाकिस्तान लहर में निपट लेता है... शायद पाकिस्तान में भी ऐसा ही होता होगा और वह लोग एंटी हिन्दुस्तानी रंग में रंगते होंगे.. मैच शुरू होने के बाद समाधी लगा कर हर कोई केवल मैच देखता है और फिर मैच ख़त्म होने के बाद शोर गुल का माहौल बड़े अच्छे रंग में रंग जाता है | क्या बूढ़े और क्या बच्चे.. हर कोई हिंदुस्तान और पाकिस्तान में मैच में खूब इन्वाल्व हो जाता है... वैसे आज अन्ना हजारे की तरफ से काफी न्यूज़ सुनने को मिली.. समाचार चैनल वाले ब्रेकिंग न्यूज़ दिखा रहे थे.. उनको एयर-पोर्ट पर लेने न अरविन्द केजरीवाल पहुंचे और न ही मनीष शिशोदिया.. 

हम इतना ही सोचे.. की अबे तुमको क्या लेना देना.. ये चले आते हैं हर बात में तीन पांच करने.. लेकिन यह लोग हमेशा अजीब से रंग में रंगे रहेंगे और ब्रेकिंग न्यूज़ के नाम पर पूरे देश को बेकूफ बनाते रहेंगे...  वैसे खेल को खेल ही रहने दिया जाए और मीडिया को देश-हित और सरोकार के दायरे में ही रहकर अपना कर्तव्य निभाना चाहिए... आज शहीदे-ए-आज़म की न्यूज़ से कोई टी-आर-पी नहीं आएगी सोच कर केवल क्रिकेटिया रंग में धूम धाम करते रहना... कहाँ तक नीति संगत है.. 



चलिए आज के बुलेटिन की और चला जाए 

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फूलों से नाम
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क्या समाज में अमीरी -- गरीबी दैवीय प्रतिफल है ?
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उनका मुस्काराना गज़ब ढा गया
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जीवन एक बहुत ही ख़ूबसूरत उपहार है....
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रिटायर होने पर
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आकांक्षा यादव को 'हिंदी भाषा-भूषण' की मानद उपाधि
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फैंसी ड्रेस कम्पीटिशन
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मैंने ज़िन्दगी को नहीं जिया, ज़िन्दगी ने मुझे जिया है
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भारतीय काव्यशास्त्र – 125
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शहरी भैंसें
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सारनाथ
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उसकी यादों में आये इतवार तो अच्छा हो....
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बहुलतावाद का मुखौटा
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मित्रों आज का ब्लॉग बुलेटिन यहीं तक। कल फिर से मुलाकात होगी। तब तक देव बाबा को इजाज़त दीजिये

जय हिंद 

2 टिप्पणियाँ:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

शहीद हमारी साझा संस्कृति के प्रतीक हैं।

शिवम् मिश्रा ने कहा…

बहुत खूब देव बाबू ... बढ़िया बुलेटिन लगाए !

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