आइये आज के बुलेटिन में चर्चा करें नैतिक मूल्यों की और सामाजिक ताने बाने की... कबीर दास जी कहते थे...
पोथी पढ पढ जग मुआ , पंडित भया न कोय.. ढाई अक्षर प्रेम के पढे सो पंडित होय
बात तो सही है.. बे मतलब की बहस-बाज़ी में क्यों पड़ा जाये... सृजनात्मकता और रचनात्मकता को बढाया जाये और प्रोत्साहित किया जाए... समाज है तो विरोध भी होंगे लेकिन विरोध दर्ज कराने का भी अपना स्टैण्डर्ड होना चाहिए... नैतिकता और सामाजिक सरोकार की भावना सर्वोप्परी है.. जी बिलकुल... बशीर बद्र साहब का एक शेर है..
दुश्मनी जम के करो लेकिन यह गुंजाईश रखना
जब कभी हम दोस्त हो जाये तो फिर शर्मिंदा ना हो..
नफरत से दुनिया टूट जाएगी.. और प्रेम से दुनिया एक हो जाएगी... आइये एक स्वर में ब्लॉग जगत की एकता को माने.. और अपनी असल शक्ति को पहचाने..
चलिये आज के बुलेटिन की ओर आपको लेकर चलते हैं...
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तो मित्रों ब्लाग एकता ज़िन्दाबाद है और हमेशा रहेगी... आज का बुलेटिन यहीं तक... कल फ़िर मिलेंगे एक नये तेवर और मिज़ाज के साथ... तब तक देव बाबा को इज़ाजत दीजिए...
जय हिन्द
6 टिप्पणियाँ:
आपके ज़ज्बे को सलाम सेतुओं के चयन को सलाम ,ब्लोगर ब्लोगर भाई भाई .....कई लिंक पहले ही पढके उन पर टिपण्णी हम कर चुकें हैं फिर भी ....
ram ram bhai
सोमवार, 3 सितम्बर 2012
Protecting Your Vision from Diabetes Damage मधुमेह पुरानी पड़ जाने पर बीनाई को बचाए रखिये
Protecting Your Vision from Diabetes Damage
मधुमेह पुरानी पड़ जाने पर बीनाई को बचाए रखिये
?आखिर क्या ख़तरा हो सकता है मधुमेह से बीनाई को
* एक स्वस्थ व्यक्ति में अग्नाशय ग्रंथि (Pancreas) इतना इंसुलिन स्राव कर देती है जो खून में तैरती फ़ालतू शक्कर को रक्त प्रवाह से निकाल बाहर कर देती है और शरीर से भी बाहर चली जाती है यह फ़ालतू शक्कर (एक्स्ट्रा ब्लड सुगर ).
मधुमेह की अवस्था में अग्नाशय अपना काम ठीक से नहीं निभा पाता है लिहाजा फ़ालतू ,ज़रुरत से कहीं ज्यादा शक्कर खून में प्रवाहित होती रहती है .फलतया सामान्य खून के बरक्स खून गाढा हो जाता है .
अब जैसे -जैसे यह गाढा खून छोटी महीनतर रक्त वाहिकाओं तक पहुंचता है ,उन्हें क्षतिग्रस्त करता आगे बढ़ता है .नतीज़न इनसे रिसाव शुरु हो जाता है .
क्या गारंटी है साहब के कल भी कुछ पता चलेगा ही .रोबोट में अपना सोच तो कुछ होता नहीं . गुस्ताखी माफ ... प्रधानमंत्री जी
पढ़ने योग्य सूत्र..
बहुत बढिया बुलेटिन
आप से पूरी तरह सहमत हूँ ... ब्लॉग एकता ज़िंदाबाद !
:)
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