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सोमवार, 24 सितंबर 2012

रोमिंग फ्री... ब्‍लॉग बुलेटिन

भैया अगले साल से रोमिंग फ्री हो गयी है... मतलब एक देश और एक नंबर... देखने मे अच्छा लग रहा है लेकिन शायद थोड़ी गड़बड़ भी हो सकती है... जी बिलकुल पहले आप एक नंबर को देख कर अंदाज़ा लगा लेते थे की फलां नंबर मुंबई का है या दिल्ली का, लैंडलाइन का है या मोबाइल का। लेकिन अब यह संभव नहीं होगा क्योंकि बदलते दौर के नंबर अंदेशा ही नहीं लगने  देंगे की आखिर यह मोबाइल नंबर किस क्षेत्र का है और किसका है। जी बिलकुल, सूचना और प्रौद्योगिकी के इस दौर मे कहना गलत नहीं होगा की इसके दुरुपयोग की भी संभावना है और जब तक सारा डाटा सेंट्रल लोकेशन से जोड़ा नहीं जाता मामला गड़बड़ ही रहेगा। 

वैसे हमारे और आपके लिए तो यह खुशखबरी ही है... सो आनंद लीजिये॥ 
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वैसे बुलेटिन की ओर बढ्ने से पहले आइये थोड़ा हंसी के गोलगप्पे खाये जाए॥
संता ( लाइब्रेरियन से )- ये रखो अपनी किताब , इतने सारे करेक्टर ओर कोई कहानी ही नहीं 

लाइब्रेरियन - ओह तो वो आप हें जो टेलीफोन डाइरेक्टरी इश्यू करा कर ले गए थे
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एक दिन दो पुराने दोस्त गधे बाजार में मिले। एक गधा बोला - यार तुम तो बहुत कमजोर हो गए हो। क्या तुम्हारा मालिक तुम्हें ठीक से खाने पीने को नहीं देता ?
दूसरे गधे ने ठंडी सांस भरकर कहा - हां दोस्त, खाने पीने को तो ठीक से मिलता ही नहीं है साथ ही काम भी बहुत करवाता है। मेरा मालिक सचमुच बहुत खराब आदमी है।
पहले गधे ने कहा - तो फिर ऐसे मालिक को तुम छोड़ क्यों नहीं देते ? किसी दिन मौका देखकर भाग जाओ न ?
दूसरा गधा - मैं भाग नहीं सकता ।
पहला गधा - पर क्यों ?
दूसरा गधा - मेरे मालिक की एक बहुत ही खूबसूरत बेटी है। जब भी वह उस पर नाराज होता है तो मेरी तरफ इशारा करके उससे कहता है कि ”देखना, एक दिन तेरी शादी मैं इस गधे से कर दूंगा” ……. अब यार, मैं उस दिन का इंतजार कर रहा हूं ……

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आज का बुलेटिन 

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पेड़ पर नहीं उगते पैसे क्‍या ? उगते हैं, उगते हैं, उगते हैं
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मेरा नाम...
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स्वपन कुसुम....
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तनहा हूँ भी तनहा नहीं भी
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पत्नी पर दुमदार दोहे
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अंधविश्वास की गलियों मे..
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एक धुन जिंदगी को गुनगुनाने की ....
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हमारे वोट, पेड़ पर उगते हैं क्या ? (व्यंग गीत)
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बंजारा सूरज 
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अकेला आगमन, अकेला प्रयाण ..
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गरीब का सलाम ले / गोपाल सिंह नेपाली
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भारत परिक्रमा- आखिरी दिन
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बरसात का उत्तरार्ध
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फ़र्क
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मधुबनी में पान खिलाने पर तुगलकी फरमान
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मित्रो तो आशा है आपको आज का फटफटिया बुलेटिन पसंद आया होगा। तो फिर देव बाबा को इजाजत दीजिये , तो फिर मिलते हैं एक ब्रेक के बाद...

जय हिन्द 

7 टिप्पणियाँ:

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

शुभप्रभात :))

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सुन्दर सूत्र..रोमिंग का आनन्द अब अधिक उठेगा..

HARSHVARDHAN ने कहा…
इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
HARSHVARDHAN ने कहा…

सार्थक जानकारी देती पोस्ट।एक बार मेरे नए ब्लॉग "समाचारNEWS" पर भी पधारे और हो सके तो इसका अनुसरण भी कर ले ।धन्यवाद
मेरा ब्लॉग पता है :- smacharnews.blogspot.com

alka mishra ने कहा…

लेकिन आपके चुटकुलों का जवाब नहीं.....
कुछ पोस्ट भी पढ़ ली है कुछ बाकी है....

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत बढिया।...

शिवम् मिश्रा ने कहा…

मस्त बुलेटिन देव बाबू ... जमाये रहिए !

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