जीवन ठहरता, चक्र घुमाया जा सकता,तो दर्द की हर तहरीर की तस्वीर बदली जा सकती है. पर ऐसा नहीं होता. एक दुखद घटना हुई,बी.एस.पाबला जी के युवा पुत्र गुरप्रीत का आकस्मिक निधन .... स्तब्द्धता की स्थिति में गले, मस्तिष्क में सारे शब्द स्थिर हो गए .
आज भी शब्द स्थिर हैं...वक़्त अपनी धुरी पर चलता जा रहा है, .....बड़ी मुश्किल है !करवटें बदलती ज़िन्दगी का सामना करना
फिर भी पाबला जी के जन्मदिन पर हम अपनी संवेदना उन्हें देते हैं इन पंक्तियों के साथ -
एक लम्बी सी कहानी
भूमिका बन रह गयी
धूप छाँही रंग का
हर ढंग दुनिया कह गयी
मौन धरती रह गयी
गुमसुम रहा आकाश....... दर्द रोने से कम नहीं होता,पर हम सब अपने अश्रु कणों के साथ आपके साथ हमेशा हैं पाबला जी...
सहज होना आसान नहीं, पर होना पड़ता ही है- तो है इंतज़ार आपके लौटने का ...
शुभकामनाओं के साथ
ब्लॉग बुलेटिन परिवार
21 टिप्पणियाँ:
जीवन क्या है
पानी का बुलबुला
क्षण भंगुर...
आँखों की नमी
धुंधला देती सब
हँसना होगा...
लड़ना होगा
खुद को ही खुद से
खुद के लिए...
बढ़ना होगा
निड़रता से फ़िर
बेखौफ़ होके...
धीरज रखो
दुख में भी अपने
मुस्कान लिए...
ईश्वर से प्रार्थना है इस विकट घड़ी में पाबला जी को धैर्य रखने कि शक्ति दें ..
वे हमारे परिवार का हिस्सा हैं,हम उनके साथ हैं...
मौन धरती रह गयी
गुमसुम रहा आकाश.......
दर्द रोने से कम नहीं होता,पर हम सब अपने अश्रु कणों के साथ आपके साथ हमेशा हैं पाबला जी..............
मौन धरती रह गयी
गुमसुम रहा आकाश.......
दर्द रोने से कम नहीं होता,पर हम सब अपने अश्रु कणों के साथ आपके साथ हमेशा हैं पाबला जी...
संवेदनाएं मौन रह कर भी सब कहती है !
प्रार्थनारत हूँ अभी .....:-(
सहज होना आसान नहीं, पर होना पड़ता ही है |जीवन ठहरा कब है |
ईश्वर से प्रार्थना है
संबल सबका साथ रहेगा...
:)
दुखी हदय बहुत हुआ है ईश्वर आपकी इस दुख से उबरने में मदद करे
यादों का सहारा है। हौसले के साथ बढ़ते रहना होगा।
कहने,सुनने और सहने में ,फर्क बड़ा है
इंतज़ार है आपकी ,हमारा अभी सफ़र पड़ा है ....
जन्मदिन का अलार्म मेरी मोबाइल में भी बजा। मगर अब तक हिम्मत नहीं जुटा पाया हूं बात करने की।
कई बार उनकी फेसबुक प्रोफाइल पर जा चूका हूँ, लेकिन कुछ भी लिखने की हिम्मत नहीं कर पाया... शब्द साथ ही नहीं देते हैं...
ईश्वर सहज होने की शक्ति दे,,,,
साध के बिखरे सुमन
पूजा विखंडित हो गयी
हाथ फैले रह गये
प्रतिमा विसर्जित हो गयी
धूम बन कर उड़ गया
मन का मधुर विश्वास....... हम आपके साथ हैं
हार्दिक सम्वेदनाएं पाबला जी!
सहज होना आसान नहीं, पर होना पड़ता ही है- तो है इंतज़ार आपके लौटने का ...
हम सब आपके साथ है.पाबला जी ..
.......जो भी है ... बस यही एक पल है
-
-
क्या कहा जाए .... हर शब्द बहुत कमजोर लगता है !
pawla ji ke aaj jnmdin par prarthna hii kar sakata hoon Ishwar ne unhe jo dukh diya hai use sahane kee shakti de
शब्द कितने भी मुखर हो
कर नहीं सकते सदा अभिव्यक्त
मन की टीस को..
मैं मौन हूँ
और सिर झुकाये
अपनी नम आँखें लिए
उस नौजवाँ के नाम पर
छोटा था जो हमसे
मगर हमसे भी आगे जाने कैसे
वो निकल भागा
न उसको रोक पाए
और न उसका थाम भी पाए थे दामन
बस उठा, ऐसे गया कि रोक भी पाए नहीं उसको!
एक टिप्पणी भेजें
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!