Subscribe:

Ads 468x60px

कुल पेज दृश्य

शनिवार, 5 मई 2012

ज़िंदा रहना है तो चलते फिरते नज़र आओ - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !

आज नेट पर खबरे पढ़ते हुए एक आलेख पर नज़र पड़ी तो बड़ी हैरत हुई और साथ साथ दुःख भी हुआ ... बताता हूँ क्यों ... अगर हम रोजाना 11 घंटे या उससे अधिक समय तक बैठे रहते है, तो अगले तीन वर्षो में हमारी मौत की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही इस पर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम शारीरिक रूप से इस दौरान सक्रिय रहे या नहीं। आस्ट्रेलिया में हाल में हुए एक अध्ययन से यह जानकारी सामने आई।
सूत्रों के मुताबिक सिडनी विश्वविद्यालय द्वारा कराए गए एक अध्ययन के अनुसार जो लोग आधे दिन तक बैठे रहे उनमें 40 प्रतिशत तक अधिक खतरा पाया गया, शारीरिक सक्रियता और वजन को ध्यान में रखने पर भी निष्कर्ष में कोई बदलाव नहीं आया।
प्रमुख शोधार्थी हिड्डे वैन डेर प्लोएग के अनुसार, '' यह परिणाम लोगों के स्वास्थ्य के लिहाज से महत्वपूर्ण है। सुबह की सैर और जिम में जाकर व्यायाम करना आज भी महत्वपूर्ण है लेकिन इसके साथ-साथ लगातार लम्बे समय तक बैठने से भी बचना चाहिए।''
उन्होंने कहा, ''अध्ययन के परिणाम दर्शाते हैं कि लोग जितना समय घर, काम और यातायात में बैठकर गुजारते है, उसे चलकर या खड़े होकर घटाया जाना चाहिए।''
परिणाम यह भी बताते है कि शारीरिक क्रियाएं बहुत लाभदायक हैं। कम समय तक बैठने वाले सक्रिय लोगों के समूह की तुलना में अधिकतर वक्त बैठे रहने वाले निष्क्रिय लोगों के समूह में तीन वर्षो के भीतर मरने का खतरा दोगुना पाया गया।
निष्क्रिय लोगों में भी अधिक बैठने वालों में कम बैठने वालों की तुलना में मौत का खतरा एक तिहाई अधिक पाया गया।
यह शोध 'कार्डियोवास्कुलर रिसर्च नेटवर्क' द्वारा कराया गया था, जिसमें 'नेशनल हार्ट फाउंडेशन आस्ट्रेलिया' की एनएसडब्ल्यू विभाग का सहयोग मिला। फाउंडेशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी टोनी थर्लवेल ने कहा कि निष्क्रियता हृदय रोगों का सबसे बड़ा कारण है। इसकी वजह से दुनियाभर में एक वर्ष में 1 करोड़ 70 लाख से अधिक लोग अपनी जान गंवाते है।
उन्होंने कहा, ''खाली समय में लोग टीवी देखते है, कम्प्यूटर पर काम करते है या इलेक्ट्रॉनिक गेम खेलते है। इससे बैठने की अवधि बढ़ जाती है।'' उन्होंने कहा, ''लेकिन हमें पता है कि जो लोग इन चीजों पर कम समय जाया करते है, वे इन पर अधिक समय जाया करने वालों की तुलना में अधिक स्वस्थ्य रहते है।''

मेरा तो अधिकतर समय बैठ हुए ही बीतता है ... यानी मैं तैयारी शुरू कर दूं  ... इस जगत से प्रस्थान की या फिर ब्लॉग जगत से प्रस्थान की ... अरे भाई जितनी देर बैठा रहता हूँ ब्लॉग या फेसबुक ही तो खुला रहता है सामने कम्पूटर पर ! भाई सेहत का भी तो ख्याल रखना है कि नहीं ??? इस लिए भई हमारी मानो तो अगर  ज़िंदा रहना है तो चलते फिरते नज़र आओ !

सादर आपका 


----------------------------------------------------------------------------

posted by ऑब्जेक्शन मी लॉर्ड at ऑब्जेक्शन मी लॉर्ड
स्वच्छता और स्वास्थ्यका गहरासंबंध है।आप किसीभी देशमें, किसीभी जलवायुमें रहते हों हाईजीनका खयालरखना जरूरीहोता हैअन्यथा बीमारियाँफैलती हैं।विकासवाद संबंधी एक ताजाअनुसंधान पिछलेदिनों पढ़नेमें आया, उसके अनुस...

युगल दंपत्ति एवं चर्चित साहित्यकार व ब्लागर कृष्ण कुमार यादव और आकांक्षा यादव के बाल-गीत संग्रह 'जंगल में क्रिकेट' एवं 'चाँद पर पानी' का विमोचन पूर्व राज्यपाल डा. भीष्म नारायण सिंह और डा. रत्नाकर पाण्डेय...

posted by संगीता तोमर Sangeeta Tomar at कलम घिस्सी
अपने पिता जी के साथ नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर वेटिंग रूम में होम टाऊन जाने के लिए ट्रेन की प्रतीक्षा कर रही थी. पिता जी ट्रेन के आने के निश्चित समय का पता लगाने के लिए इंक्वारी रूम की ओर चले गए. अकेल...

Manoj Agarwal प्लेबैक ओरिजिनलस् एक कोशिश है दुनिया भर में सक्रिय उभरते हुए गायक/संगीतकार और गीतकारों की कला को इस मंच के माध्यम से अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाने की. इसी कड़ी में हम आज लाये हैं दो नए उभर...
 
posted by Atul Shrivastava at अंदाज ए मेरा 
सुकमा कलेक्‍टर एलेक्‍स पाल मेनन ‘फक्र है हमें कि हमने अपने कर्तव्यों की पूर्ति के लिए अपनी जान दे दी। हम एक पल भी नहीं डिगे और हमने वो काम अपनी आखिरी सांस तक करने की कोशिश की, जो हमें मिला था। जब तक ...
 
posted by नवीन प्रकाश at Hindi Tech - तकनीक हिंदी में 
ऑनलाइन खरीददारी करते हुए अगर आपको असुरक्षा की आशंका बनी रहती है तो स्टेट बैंक की virtual card नाम की एक नयी सुविधा आपको सुरक्षा और सुविधा के लिहाज सेएक नया विकल्प उपलब्ध कराएगी । जैसा की इस सुविधा का नाम...

posted by रश्मि प्रभा... at मेरी नज़र से
* * मैं स्त्री एक किताब सी जिसके सारे पन्ने कोरे हैं कोरे इसलिए क्योंकि पढ़े नहीं गए वो नज़र नहीं मिली जो ह्रदय से पढ़ सके बहुत से शब्द रखे हैं उसमे अनुच्चरित. भावों से उफनती सी लेकिन अबूझ . बातों से ...

posted by मनोज पटेल at पढ़ते-पढ़ते 
*यह कविता पढ़िए... * * * * * *एक बेटे के जन्म पर : सू-तुंग पो * (अनुवाद : मनोज पटेल) बच्चे के जन्म पर घर वाले उम्मीद करते हैं कि अक्लमंद निकलेगा वह. अक्लमंदी की बदौलत अपनी पूरी ज़िंदगी बर्बाद करने के...
posted by Tulika Sharma at मन का कैनवस 
एक मील का पत्थर है कहता कुछ नहीं दिखाता रहता है सिर्फ़ दूरियाँ... एक पत्थर है संगेमरमर ताजमहल में जड़ा महान प्रेम के बेजान सुबूत सा ... एक पत्थर है कोयला दर्द के अंधेरों में दबा सदियों से छूने से उँगलि...

posted by मनोज कुमार at मनोज
*फ़ुरसत में ... 101* *कीड़े, कविता और कृपा* *[image: 15012010007_thumb]मनोज कुमार* *‘द आर्ग्यूमेंटेटिव इंडियन’* नामक पुस्तक में सुप्रसिद्ध अर्थशास्त्री *अमर्त्य सेन* कहते हैं,*“मनुष्य **मूलतः तार्किक ...

posted by prabhat gopal at आइये करें गपशप
*कल* का दिन रोचक था. शाम का समय था. सौभाग्य या दुर्भाग्य से पाओली डैम की फिल्म हेट स्टोरी देख रहा था. ट्रेलर देखकर ये जरूर यकीन था कि फिल्म नंगई की हद पार कर लेगी, लेकिन फिल्म के किरदारों की जुबान इतनी गंद...


----------------------------------------------------------------------------
 

21 टिप्पणियाँ:

मनोज कुमार ने कहा…

लिंक्स अच्छे मिले हैं, फ़ुरसत में पढ़ रहा हूं।
बैठने पर अच्छी कथा सुनाई। तैयारी कोई नहीं, हम तो सरकार में तीस साल से कुर्सी पर बैठे ही हैं।
हमारे फ़ुरसतनामा को बुलेटिन में जगह मिली, शुक्रगुजार हूं।

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बहुत सुंदर लिंकों से सजा ब्लॉग बुलेटिन,..

MY RECENT POST ....काव्यान्जलि ....:ऐसे रात गुजारी हमने.....

MY RECENT POST .....फुहार....: प्रिया तुम चली आना.....

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

जीवन में गतिमान रहना ही सीखना होगा।

Anupama Tripathi ने कहा…

बढ़िया बात कही है ...ज्यादा बैठना हानिकारक तो है ही ....थोड़ी थोड़ी देर में चलते रहना चाहिए ....बढ़िया लिंक्स और बढ़िया बुलेटिन ...!!
शुभकामनायें ...!!

मनोज पटेल ने कहा…

डरा दिया भाई आपने. अब चलता-फिरता ही नजर आऊँगा.
इतने अच्छे लिंक्स के लिए आभार...

रविकर ने कहा…

बढ़िया जानकारी |
आभार |
सादर ||

बस्तर की अभिव्यक्ति जैसे कोई झरना ने कहा…

मिश्र जी! अच्छे लिंक देने के लिये साधुवाद! बिगबैंग अच्छा लगा।

आशा बिष्ट ने कहा…

अच्छे लिंक्स

विभा रानी श्रीवास्तव ने कहा…

शिवम् भाई दुविधा में हूँ .... ,
आपके द्वारा दिए गए स्वास्थ्यप्रद जानकारी ज्यादा उपयोगी है,
या अच्छे-अच्छे लिंक्स ,जो दिमागी खुराक तो होगी ही .... ,
सारे लिंक्स पढ़ कर आती हूँ , तो कमेन्ट करती हूँ .... !!

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

चलते फिरते रहना मेरी नौकरी का हिस्सा है.. जब बैठने की जगह पर पोस्टिंग थी तब भी ऑफिस में अपने मातहतों को अपने पास बुलाने की अपेक्षा, मैं स्वयं उनके पास जाकर काम का जायजा लेता रहता था.. खैर आपने बहुत काम दे दिया.. देखूं ज़रा घूम-घूमकर!!

अरुण चन्द्र रॉय ने कहा…

बहुत सुंदर लिंकों से सजा ब्लॉग बुलेटिन,..

वाणी गीत ने कहा…

चहलकदमी ज़रूरी है ...
अच्छे लिंक्स !

Arun sathi ने कहा…

thanks for nice links

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

अच्छे लिंक्स . मेरी कविता शामिल करने के लिए शुक्रिया शिवमजी

Maheshwari kaneri ने कहा…

अच्छे लिंक्स.......

अजय कुमार झा ने कहा…

चलिए आपन तो पहले ही रमता जोगी बहता पानी हैं , डोलते रहते हैं , बोलते रहते हैं आ बीच बीच में सिटिया के लिखते भी रहते हैं , लगाता बैठने वाला टेंसन नय है । पोस्ट लिंक्स सब चकाचक है एकदम । सुंदर बुलेटिन बांचे हैं

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

कमाल के लिंक! लेकिन कितना पढ़ें, कैसे पढ़ें!

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

एक ओर तो कहते हैं चलते-फिरते नज़र आओ दूसरी ओर इत्ते ढेर सारे लिंक देते हैं कि पढ़ने के लिए देर तक बैठना पड़े! का करें? :)

Kulwant Happy ने कहा…

bahut hi achhe

shikha varshney ने कहा…

बढ़िया बुलेटिन है..

शिवम् मिश्रा ने कहा…

आप सब का बहुत बहुत आभार !

एक टिप्पणी भेजें

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

लेखागार