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शनिवार, 23 फ़रवरी 2019

अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने का कदम और ब्लॉग बुलेटिन


नमस्कार साथियो,
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने अनियमित जमा योजना और चिट फंडों (संशोधन) पर प्रतिबंध लगाने के नए विधेयकों, अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक 2018 और चिट फंड (संशोधन) विधेयक 2018 को मंजूरी दी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने निवेशकों की बचतों की रक्षा करने के लिए एक प्रमुख नीतिगत पहल करते हुए अनियमित जमा योजनाओं पर प्रतिबंध लगाने संबंधी विधेयक 2018 को संसद में पेश करने की मंजूरी दे दी. इसका उद्देश्य देश में गैर-कानूनी जमा राशि से जुड़ी समस्याओं से निपटना है. ऐसी योजनाएं चला रही कंपनियां/संस्थान वर्तमान नियामक अंतरों का लाभ उठाते हैं और कड़े प्राशासनिक उपायों के अभाव में गरीबों और भोले-भाले लोगों को ठगते हैं.

इस विधेयक के द्वारा निम्न कानूनी कदम उठाये जायेंगे.
(क) अनियमित जमा राशि से संबंधित गतिविधियों पर पूर्ण रोक.
(ख) अनियमित जमा राशि लेने वाली योजना को बढ़ावा देने अथवा उनके संचालन के लिए सजा.
(ग) जमाकर्ताओं को अदायगी करते समय धांधली के लिए कड़ी सजा.
(घ) जमा करने वाले प्रतिष्ठानों द्वारा चूक की स्थिति में जमा राशि की अदायगी सुनिश्चित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा एक सक्षम प्राधिकार की नियुक्ति.
(ङ) चूक करने वाले प्रतिष्ठान की संपत्ति कुर्क करने के लिए अधिकार देने सहित सक्षम प्राधिकार की शक्तियां और कामकाज.
(च) जमाकर्ताओं की अदायगी की निगरानी और अधिनियम के अंतर्गत अपराधों पर कार्रवाई करने के लिए अदालतों का गठन.
(छ) विधेयक में नियमित जमा योजनाओं को सूचीबद्ध करना, जिसमें सूची का विस्तार करने अथवा काट-छांट करने के लिए केन्द्र सरकार को सक्षम बनाने का खंड हो.


विधेयक में प्रतिबंध लगाने संबंधी एक मूलभूत खंड हैं, इसका प्रमुख नियम यह है कि विधेयक अनियमित जमा राशि लेने वाली गतिविधियों पर रोक लगाएगा. इसे वर्तमान कानून और नियामक ढांचे के बजाय प्रत्याशित अपराध माना जाएगा, जो पर्याप्त समय के साथ यथार्थ निवेश पर लागू होगा. इसमें तीन अलग-अलग प्रकार के अपराध, (1) अनियमित जमा योजनाओं को चलाना, (2) नियमित जमा योजनाओं में धांधली (3) अनियमित जमा योजनाओं को गलत तरीके से प्रोत्साहन, निर्धारित किए गए हैं. इसके साथ-साथ विधेयक में सक्षम प्राधिकार द्वारा संपत्तियों/परिसंपत्तियों को कुर्क करने और जमाकर्ताओं को अदायगी के लिए सम्‍पत्ति की अनुवर्ती वसूली का प्रावधान किया गया है. एक विस्तृत केन्द्रीय कानून होने के कारण विधेयक में कानून की सर्वश्रेष्ठ प्रक्रियाओं को अपनाया गया है साथ ही कानून के प्रावधानों को लागू करने की प्रमुख जिम्मेदारी राज्य सरकारों को सौंपी गई है.

इस विधेयक के द्वारा पोंजी स्कीम पर नियंत्रण लगने की बात कही जा रही है. पोंजी स्कीम से आशय ऐसे फर्जी निवेश ऑपरेशन से है, जिसमें ऑपरेटर पुराने निवेशकों को रिटर्न नए निवेशकों से प्राप्त धनराशि से देता है. इस स्कीम में वास्तव में कोई कारोबार या किसी व्यावसायिक गतिविधि में पैसा नहीं लगाया जाता बल्कि कुछ व्यक्तियों से पैसा इकठ्ठा कर एक व्यक्ति को रिटर्न के रूप में दे दिया जाता है. इस तरह यह एक चेन बन जाती है जिसमें ज्यादातर लोगों का पैसा डूब जाता है. इटली का एक व्यावसायी चा‌र्ल्स पोंजी ऐसी ही स्कीम चलाकर लोगों का पैसा हजम करता था. इसी कारण ऐसी स्कीम को पोंजी स्कीम के नाम से जाना जाता है.


इस कामना के साथ कि लोगों का धन किसी धोखेबाज द्वारा लूटा न जाये, आज की बुलेटिन का आनंद उठायें.

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5 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

सुन्दर बुलेटिन।

yashoda Agrawal ने कहा…

शुभ प्रभात.
बढ़िया बुलेटिन...
आभार..
सादर..

शिवम् मिश्रा ने कहा…

उम्मीद है ये विधेयक अपने उद्देश्य में सफल रहेगा |

आपका आभार राजा साहब |

Anita ने कहा…

सार्थक भूमिका, विविधरंगी सूत्रों की खबर देता बुलेटिन, आभार !

अनीता सैनी ने कहा…

बहुत अच्छी प्रस्तुति
सादर

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