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गुरुवार, 14 फ़रवरी 2019

वीनस गर्ल की सौन्दर्य-आभा : ब्लॉग बुलेटिन


नमस्कार साथियो,
समय ब्लैक एंड व्हाइट के ज़माने से रंगीन राह से गुजरता हुआ बहुरंगी होता चला गया. विकास इतना हुआ कि अब हर हाथ में मोबाइल के सहारे चौबीस घंटे का नियमित वीडियो उपलब्ध हो गया. सेल्युलाइड की दुनिया वीनस गर्ल से निकल कर धक-धक गर्ल, मिर्ची गर्ल, कांटा गर्ल, चोली गर्ल की राह से गुजरती हुई नग्न-अर्धनग्न कमनीय बालाओं के साथ लगातार आगे बढ़ती रही. इस बदलाव के दौर में यदि कुछ बदलता न दिखा तो वो है प्रसिद्द अभिनेत्री मधुबाला के प्रति लोगों का आकर्षण. अपने समय में वीनस गर्ल के रूप में मशहूर मधुबाला के प्रशंसक आज भी उतने ही मिल जाते हैं, जितने कि उनके दौर में मिलते होंगे. उम्र, व्यवसाय, जाति, धर्म, कार्य, क्षेत्र से इतर आज भी मधुबाला के प्रशंसकों में कमी नहीं आई है. और ऐसा तब है जबकि उनको इस दुनिया को हमेशा-हमेशा को अलविदा कहे हुए आधी सदी होने को आई है. 


हमारे समय की और उसके बाद जन्मने वाली पीढ़ी ने मधुबाला को सिर्फ परदे पर ही देखा है, टीवी पर देखा है और अब इंटरनेट के माध्यम से देख रही है. इस पीढ़ी ने कभी भी उनको लाइव रूप में नहीं देखा है, किसी कार्यक्रम में उनसे परिचय नहीं हुआ है, किसी समारोह में उनके साथ फोटो खिंचवाने का अवसर नहीं मिला है, किसी आयोजन में उनके ऑटोग्राफ लेने का मौका भी नहीं मिला है इसके बाद भी मधुबाला की मनमोहक छवि इस पीढ़ी के बीच जीवित है. उनके हँसने का अंदाज, आँखों की शरारत और उनकी अदाकारी ने उनके प्रति अजब सी दीवानगी पैदा की है. संभव है कि आज की एकदम नवोन्मेषी पीढ़ी ने सौन्दर्य के प्रतिमान बदल दिए हों. उसके लिए सौन्दर्य का सम्बन्ध कम वस्त्रों से, कामुक मुद्राओं से, अर्धनग्न प्रदर्शन से, आधुनिकता के नाम पर फूहड़ता से होने लगा हो किन्तु इसके बाद भी बहुतायत में ऐसे युवा आज भी मिलते हैं जो मधुबाला के प्रशंसक हैं. 

आज 14 फरवरी को मधुबाला का जन्मदिन है. इस अवसर पर गूगल ने भी उनको श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए डूडल बनाया है. उनको श्रद्धा-सुमन इस आकांक्षा के साथ कि उनका अप्रतिम मनमोहक रूप-सौन्दर्य सदैव समाज में अंकित रहे. वीनस गर्ल के रूप में उनकी छवि और भी चमकती रहे.


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5 टिप्पणियाँ:

Meena Bhardwaj ने कहा…

बहुत बढ़िया प्रस्तुति ।

शिवम् मिश्रा ने कहा…

मधुबाला जी को सादर नमन |

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

नमन मधुबाला जी को। सुन्दर प्रस्तुति।

yashoda Agrawal ने कहा…

मधुबाला..
यादें ही बाकी..
नमन उनको...
आभार..
सादर..

Meena sharma ने कहा…

वैदिक शब्दों की निर्मिति - खुल ही नहीं पा रहा है।
बाकी रचनाएँ पढ़ीं। अच्छा संकलन।

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