Subscribe:

Ads 468x60px

कुल पेज दृश्य

2526818

शनिवार, 13 जनवरी 2018

बैक ग्राउंड से




बैक ग्राउंड से - बारिश  की बूंदें भी बोलती  हैं उस दिन भी कुछ कह रही थीं ...

उसकी आँखों में सपनों की 
एक नदी बहती थी 
रंगबिरंगी मछलियाँ डुबकियां लेतीं 
कोई अनचाहा  मछुआरा मछलियाँ न पकड़ ले 
जब तब वह अपनी आँखें 
कसके मींच लेती...
....
एक दिन -
किसी ने बन्द पलकों पर उंगलियाँ घुमायीं
और बड़ी बड़ी आँखों ने देखना चाहा 
कौन है .....
और पलक झपकते 
सपनों की नदी से 
छप से एक मछली  बाहर निकली 
मछुआरे ने उसे अपनी आँखों की झील में डाला 
और अनजानी राहों पर चल पड़ा................


1 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत सुन्दर बुलेटिन।

एक टिप्पणी भेजें

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

लेखागार