प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
प्रणाम |
आज २७ फरवरी है ... आज अमर शहीद पंडित चन्द्र शेखर आज़ाद जी की ८६ वीं पुण्यतिथि
है ... आज ही के दिन सन १९३१ मे इलाहाबाद के आजाद पार्क ( अल्फ्रेड
पार्क ) में हुई भयानक खूनी मुठभेड़ आजादी के इतिहास का स्वर्णिम पृष्ठ बन
गई ...युवाओं और देशभक्तों के महान प्रेरणा स्रोत ' आजाद ' का बलिदान दिवस
२७ फरवरी ... एक महान क्रांतिकारी विरासत की जीती - जागती गाथा है ...
"दुश्मन की गोलियों का हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे..."
"यूँ तो जर्रे - जर्रे में खुदा बसता है ऐ दोस्त ...
पर मैं सजदा करता हूँ उस जगह जहाँ कोई ' शहीद ' हुआ हो ..!!"
पर मैं सजदा करता हूँ उस जगह जहाँ कोई ' शहीद ' हुआ हो ..!!"
कुछ ऐसे ही भाव दिल मे बसाये मैं २६ अगस्त २०१२ को इलाहाबाद के आज़ाद पार्क
पहुंचा था ... यहाँ आप को कुछ चित्र दिखा रहा हूँ जो मैंने वहाँ लिए थे !
वहाँ मैं जितने समय भी था जो जो विचार दिल मे आ रहे थे उनको मैं यहाँ
शब्दों मे बयान नहीं कर सकता ... एक अलग ही अनुभूति थी ... दिल भर आ रहा था
कि कैसे लालच मे आ कर अपने ही लोगो की मुखबरी के कारण आज़ाद जी को इस
प्रकार यह दिन देखना पड़ा पर जो भी हो इतना जरूर है कि गद्दारों और ब्रितानी
ख़ुफ़िया विभाग के प्रयासों का अंतिम परिणाम और
सांप्रदायिक घिनौनी राजनीती के ताबूत पर क्रांतिकारियों के त्याग और शौर्य
की अंतिम कील के रूप में ' आजाद ' का यह बलिदान अमर रहेगा |
अमर शहीद पंडित चन्द्रशेखर 'आजाद' जी को ब्लॉग बुलेटिन टीम और हिन्दी ब्लॉग जगत की ओर से शत शत नमन !
इंकलाब ज़िंदाबाद ...
वंदे मातरम ||
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अनाथ – सनाथ
पूरी उम्र समझौते में
इस अनजान दुनिया में
चाहत ...
फागुन आते ही
कैसी यह मनहूस डगर है
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
पूरी उम्र समझौते में
इस अनजान दुनिया में
चाहत ...
फागुन आते ही
कैसी यह मनहूस डगर है
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
11 टिप्पणियाँ:
शुभ प्रभात
अश्रुपूरित श्रद्धांजली
इन शहीदो के द्वारा दिलाई आजादी का
गलत फायदा उठाया जा रहा है
कल ही एक ब्लॉग में पढ़ी निम्नांकित पंक्तियां
''भारत तेरे टुकड़े होंगे, हम क्या चाहें- आज़ादी'' जैसे नारों ने पिछले साल तो बवाल मचाया ही, अब इस साल भी दिल्ली यूनीवर्सिटी के रामजस कॉलेज से जो कुछ शुरू हुआ है, उसे सिर्फ और सिर्फ देश में अस्थिरता लाने व सेना के खिलाफ एक ''खास सोच वाले'' तबके की शरारती सोच ही कहा जाएगा जो किसी ना किसी तरह खबरों में रहना चाहता है।...
सोच का क्या....कुछ भी सोचा जा सकता है
किसी का कहा कुछ भी करवा सकता है
सादर
चंद्रशेखर आज़ाद और उनके जैसे अनगिनती शहीदों को कोटिश: प्रणाम जिन्होंने देश की आज़ादी के लिए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए ! इतने सुन्दर सार्थक बुलेटिन में मेरी लघु कथा 'अनाथ-सनाथ' को सम्मिलित करने के लिए आपका हृदय से आभार शिवम जी !
अमर चंद्रशेखर आज़ाद की यादों के साथ जुड़े दिन के साथ मेरी रचना का शामिल होना .... मेरा सौभाग्य है ये ... कोटिश: नमन ...
अमर शहीद चन्द्र शेखर आजाद को शतशत नमन |मेरी रचना शामिल करने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद |
अमर शहीद चन्द्र शेखर आजाद को नमन। सुन्दर प्रस्तुति शिवम जी।
बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति '
चन्द्र शेखर आजाद को नमन।
आजादी के नाम पर अथवा अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता के नाम पर राष्ट्र विरोधी भावनाओं को भड़काना एक दंडनीय अपराध है, भारत तब भी एक था जब यहाँ कई छोटे छोटे रजवाड़े हुआ करते थे भारत अब भी एक है और इन तथाकथित आजादी की बात करने वालों के बाद भी एक ही रहेगा, शहीद 'आजाद' को विनम्र श्रद्धांजलि ! आभार !
अमर शहीद चंद्र शेखर आजाद जी को विनम्र श्रद्धांजलि...बहुत ख़ूबसूरत बुलेटिन ...आभार
अमर चन्द्र शेखर आज़ाद जी को विनम्र श्रद्धांजलि ।
आप सब का बहुत बहुत आभार |
अमर शहीद चंद्र शेखर आजाद जी को विनम्र श्रद्धांजलि...बहुत ख़ूबसूरत बुलेटिन!
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