सभी ब्लॉगर मित्रों को मेरा सादर नमस्कार।
भवानी प्रसाद मिश्र (जन्म: 29 मार्च, 1913 - मृत्यु: 20 फ़रवरी, 1985) हिन्दी के प्रसिद्ध कवि तथा गांधीवादी विचारक थे। भवानी प्रसाद मिश्र दूसरे तार-सप्तक के एक प्रमुख कवि हैं। मिश्र जी विचारों, संस्कारों और अपने कार्यों से पूर्णत: गांधीवादी हैं। गाँधीवाद की स्वच्छता, पावनता और नैतिकता का प्रभाव और उसकी झलक भवानी प्रसाद मिश्र की कविताओं में साफ़ देखी जा सकती है। उनका प्रथम संग्रह 'गीत-फ़रोश' अपनी नई शैली, नई उद्भावनाओं और नये पाठ-प्रवाह के कारण अत्यंत लोकप्रिय हुआ।
भवानी प्रसाद मिश्र उन गिने चुने कवियों में थे जो कविता को ही अपना धर्म मानते थे और आमजनों की बात उनकी भाषा में ही रखते थे। वे 'कवियों के कवि' थे। मिश्र जी की कविताओं का प्रमुख गुण कथन की सादगी है। बहुत हल्के-फुलके ढंग से वे बहुत गहरी बात कह देते हैं जिससे उनकी निश्छल अनुभव संपन्नता का आभास मिलता है। इनकी काव्य-शैली हमेशा पाठक और श्रोता को एक बातचीत की तरह सम्मिलित करती चलती है। मिश्र जी ने अपने साहित्यिक जीवन को बहुत प्रचारित और प्रसारित नहीं किया। मिश्र जी मौन निश्छलता के साथ साहित्य-रचना में संलग्न हैं। इसीलिए उनके बहुत कम काव्य-संग्रह प्रकाशित हुए हैं। 'गीत-फ़रोश' के प्रकाशन के वर्षों बाद 'चकित है दुख', और 'अंधेरी कविताएँ' नामक दो काव्य-संग्रह इधर प्रकाशित हुए हैं।
20 फरवरी सन् 1985 को हिन्दी काव्य-जगत् का यह अनमोल सितारा अपनी कविताओं की थाती यहाँ छोड़ हमेशा के लिए हमसे बिछड़ गया।
( जानकारी स्त्रोत - http://bharatdiscovery.org/india/भवानी_प्रसाद_मिश्र )
अब चलते हैं आज की बुलेटिन की ओर ...
भवानी प्रसाद मिश्र उन गिने चुने कवियों में थे जो कविता को ही अपना धर्म मानते थे और आमजनों की बात उनकी भाषा में ही रखते थे। वे 'कवियों के कवि' थे। मिश्र जी की कविताओं का प्रमुख गुण कथन की सादगी है। बहुत हल्के-फुलके ढंग से वे बहुत गहरी बात कह देते हैं जिससे उनकी निश्छल अनुभव संपन्नता का आभास मिलता है। इनकी काव्य-शैली हमेशा पाठक और श्रोता को एक बातचीत की तरह सम्मिलित करती चलती है। मिश्र जी ने अपने साहित्यिक जीवन को बहुत प्रचारित और प्रसारित नहीं किया। मिश्र जी मौन निश्छलता के साथ साहित्य-रचना में संलग्न हैं। इसीलिए उनके बहुत कम काव्य-संग्रह प्रकाशित हुए हैं। 'गीत-फ़रोश' के प्रकाशन के वर्षों बाद 'चकित है दुख', और 'अंधेरी कविताएँ' नामक दो काव्य-संग्रह इधर प्रकाशित हुए हैं।
20 फरवरी सन् 1985 को हिन्दी काव्य-जगत् का यह अनमोल सितारा अपनी कविताओं की थाती यहाँ छोड़ हमेशा के लिए हमसे बिछड़ गया।
( जानकारी स्त्रोत - http://bharatdiscovery.org/india/भवानी_प्रसाद_मिश्र )
आज हिन्दी भाषा के महान साहित्यकार श्री भवानी प्रसाद मिश्र जी की 32वीं पुण्यतिथि पर हमारा ब्लॉग बुलेटिन समूह और समस्त हिंदी ब्लॉग जगत उनको स्मरण करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। सादर।।
अब चलते हैं आज की बुलेटिन की ओर ...
हिन्दू खिचड़ी , मुस्लिम रायता !
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे तब तक के लिए शुभरात्रि। सादर ... अभिनन्दन।।
8 टिप्पणियाँ:
मेरा लेख शेयर करने के लिए धन्यवाद
आज के बुलेटिन में बहुत कुछ है । बढ़िया प्रस्तुति हर्षवर्धन ।
सादर ... धन्यवाद
शुभ संध्या
बेहतरीन संकलन
सादर
बहुत अच्छी बुलेटिन प्रस्तुति
मिश्र जी को हार्दिक श्रद्धांजलि!
आदरणीय आशीर्वाद के लिए आभार !
ने कहा…
मेरा लेख ''कुतुबुद्दीन ऐबक की मौत और स्वामीभक्त घोड़े 'शुभ्रक' का बलिदान
'' शेयर करने के लिए धन्यवाद
ने कहा…
मेरा लेख ''कुतुबुद्दीन ऐबक की मौत और स्वामीभक्त घोड़े 'शुभ्रक' का बलिदान
'' शेयर करने के लिए धन्यवाद
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