रहस्यों के केंद्रबिंदु से
मन के लक्ष्यभेदी वाण
हमेशा अदृश्य से होते हैं
सशरीर प्रस्तुति सर्वथा भिन्न होती है
कभी मन का अनकहा रहस्य रुदाली बनता है
कभी शरीर …
रहस्यों के ताने-बाने में
चरित्र" दृष्टिगत नहीं होता
चरित्रवान की आत्मा
चरित्रवान है या नहीं
यह प्रश्न भी एक रहस्य है !!!
मुमकिन है रहस्यों के केंद्र से
चरित्रहीनता के वाण निकलते हों
....
व्यक्तिगत जीवन इन्हीं नामुमकिन रहस्यों से भरा होता है !!!
4 टिप्पणियाँ:
सुंदर बुलेटिन प्रस्तुति । खुद के लिये भी होते है खुद के रहस्य कुछ गूढ़ कुछ सरल ।
बहुत रोचक बुलेटिन...
बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार!
बढ़िया बुलेटिन प्रस्तुति रश्मि दीदी ... आभार आपका !
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