अमेरिका में डे लाईट सेविंग आज से शुरू हो जाएगी, मतलब अब भारत (Indian Standard time) और न्यूयॉर्क(Eastern Standard time) के बीच का अंतर साढ़े दस घंटे का हो जाएगा। पिछले रविवार से लंदन पहले ही साढ़े पाँच घंटे पीछे हो गया। वैसे इसका एक अजीब सा अनुभव मैंने किया है, मुंबई में सीप्ज़, हीरानंदानी और माइंडस्पेस जैसी जगहों पर इस समय के अंतर के हिसाब से ट्रैफ़िक जाम लगता है क्योंकि अधिकांश "कारवाले लोग" इसी हिसाब से अपनी शिफ़्ट ऐडजस्ट करते हैं और सब जाम कर देते हैं।
मित्रों शायद हम लोगों में से कई लोग इस बात को न जानते हों कि एक समय पर भारत में भी अलग अलग समय के जोन थे। बम्बई मानक समय (Bombay standard time, GMT+4:51) और कलकत्ता मानक समय (Calcutta Standard Time, GMT+5:54)। व्यवहारिक तौर पर भारत जैसे देश में दो समय ज़ोन्स का होना थोड़ा मुश्किल था। अशिक्षित देश में इस बात को समझ पाना और कठिन होता कि ट्रेन किस समय कौन से टाइम ज़ोन में चलेगी। लोगों की ट्रेन छूट जाया करती और इससे किसी का लाभ न होता। भारतीय रेलवे के अफ़सरों ने इसका एक ज़बरदस्त उपाय खोजा, उन्होंने भारतीय रेलवे के लिए मद्रास टाइम ज़ोन(Madras Time Zone, UTC+5:21) बना लिया जो इन दोनों कालखंडों के बीच में था। मित्रों धक्के मारके रेल चलती रही लेकिन जल्द ही सरकार हो यह आभास हो गया कि ऐसे काम नहीं चलेगा और इसका कोई दूरगामी परिणाम देखते हुए उपाय सोचना होगा। फिर अंततः भारत सरकार ने बम्बई और मद्रास मानक समयों को समाप्त किया और भारतीय मानक समय( India Standard Time, GMT+5:30) बना दिया। यह भारतीय मानक समय को GMT+5:30 बनाये रखने के लिए केंद्रीय वेधशाला को चेन्नई से मिर्ज़ापुर के पास शंकरगढ़ किले (25.15°N 82.58°E) में स्थित किया गया।
वैसे फ़िलहाल भारत को भी ग़र्मियों में डे-लाइट सेविंग का इस्तेमाल करना चाहिए क्योंकि भौगोलिक रूप से भारत बहुत विशाल है और ग़र्मियों में हमारे पूर्वी और पश्चिमी क्षेत्रों के बीच सूर्योदय और सूर्यास्त का अंतर दो घंटे से अधिक हो जाता है, इसीलिए हमारे पूर्वोत्तर के राज्य बहुत सालों से एक अलग समय ज़ोन की मांग कर रहे हैं। भारत के संविधान के अनुसार राज्य सरकार को अपने कर्मचारियों के लिए उपयुक्त ड्यूटी के घंटे तय करने का अधिकार है सो हमारे पूर्वी राज्य भारतीय मानक समय से अलग चाय बग़ानो के कर्मचारियों के लिए टी गार्डन टाइम ज़ोन (IST+1:00) का पालन कर रहे हैं। हैं न रोचक बात?
जाते जाते एक और तथ्य, भारत ने सन बासठ, पैंसठ और बहत्तर की लड़ाई के समय सेना की सुविधा के लिए आंशिक रूप से डे-लाइट सेविंग का प्रयोग किया था।
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आज सरदार पटेल की १४० वीं जयंती के अवसर पर हम सब उनको शत शत नमन करते हैं |
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चुभती हैं कुछ किरिचें 'काँच के शामियाने' की
राजा कुमारेन्द्र सिंह सेंगर = RAJA Kumarendra Singh Sengar at पुस्तक विमर्श
“आंचलिक बोली के चुटीलेपन के साथ रोजमर्रा की छोटी-छोटी घटनाओं के ताने-बाने
से बुनी इस कथा में हर लड़की कहीं-न-कहीं अपना चेहरा देख पाती है. यही इस
उपन्यास की सार्थकता है.” सुधा अरोड़ा द्वारा रश्मि रविजा के पहले उपन्यास
‘काँच के शामियाने’ भूमिका की मानिंद लिखी ये पंक्तियाँ पढ़ने के बाद आँखें
समूचे उपन्यास में रोजमर्रा की छोटी-छोटी घटनाओं के ताने-बाने को तलाशती हैं.
छोटी-छोटी घटनाओं का ताना-बाना मिलता है मगर इस कदर उलझा कि महज एक परिवार या
फिर कहें कि पति-पत्नी के मध्य ही सिमटा नजर आता है. एक समीक्षक की दृष्टि से
मेरा मानना है कि कम से कम ऐसे ताने-बाने में कोई भी लड़की अपना चेहरा नहीं देख
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उम्र चढ़ती रहेगी साल घटते रहेंगे और होती रहेगी गुफ्तगू...
abhi at मेरी बातें
मेरी ज़िन्दगी में मेरी बहनों का हमेशा से एक अलग स्थान रहा है और ख़ास कर के दो
बहनों का, मोना और प्रियंका दीदी का जिन्होंने ना सिर्फ मुझे सबसे अच्छे तरीके
से समझा है बल्कि मेरे अच्छे बुरे हर तरह की स्थितियों में बिना जजमेंटल हुए
मेरा साथ दिया है. मोना जहाँ छोटी है वहीँ प्रियंका दीदी मुझसे बड़ी. दो दिन
ख़ास तौर पर मेरे लिए सबसे खूबसूरत दिन होते हैं, एक तीन जून का दिन और दूसरा
इकतीस अक्टूबर का दिन. तीन जून मोना का जन्मदिन है तो इकतीस अक्टूबर यानी आज
प्रियंका दीदी का जन्मदिन. वैसे तो प्रियंका दीदी को इस बात का ज़रा भी अंदाज़ा
नहीं है कि आज के दिन मैं क्या करने जा रहा हूँ. एक काम जो बहुत दिनों ... more »
अब डाकघर के बचत खाता धारकों के लिए भी प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना
Krishna Kumar Yadav at डाकिया डाक लाया
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना और प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना अब
डाकघरों के माध्यम से भी उपलब्ध कराई जा रही है । सभी प्रधान डाकघरों व सीबीएस
डाकघरों में इस योजना का लाभ वर्तमान बचत खाता धारक और नए खाता धारक खाता
खोलकर उठा सकते हैं।
उक्त सम्बन्ध में जानकारी देते हुए राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के
निदेशक डाक सेवाएँ कृष्ण कुमार यादव ने बताया की प्रधानमंत्री जीवन ज्योति
बीमा योजना के तहत प्रति वर्ष 330 रूपये जमा कराना होगा। इसके अंतर्गत किसी
भी कारण से धारक की मृत्यु होने पर, उसके परिजनों को 2 लाख रूपये की बीमा राशि
मिलने का प्रावधान है। इस योजना को 18 वर्ष से 50 ... more »
एक डॉक्टर का करवा चौथ :
डॉ टी एस दराल at अंतर्मंथन
एक डॉक्टर का करवा चौथ :
कल चौथ का चाँद था और पार्क में,
खूबसूरती का हुजूम था लगा हुआ ।
कंगन , चूड़ा , पायल , झुमके , हार ,
नई साड़ियों का रंग था बिखरा हुआ।
जिंदगी में ३६४ दिन थे सास के पर ,
कल बहुओं का रूप था निखरा हुआ।
वो तो करती रही प्रसूति सेवा दिन भर ,
जहाँ नन्हे जीवन से रिश्ता गहरा हुआ।
उसने भी देखा और दिखाया व्रताओं को ,
चाँद जब आसमाँ में छत पर उभरा हुआ।
कल फिर हमने उनकी ओर देखा सीधा ,
बिन छलनी के प्यार फिर सुनहरा हुआ।
यह किसकी आत्महत्या है- देवेश की कविता
Ashok Kumar Pandey at असुविधा....
देवेश कविता लिख तो कई सालों से रहा है लेकिन अपने बेहद चुप्पे स्वभाव के कारण
प्रकाश में अब तक नहीं आ सका. आज जब प्रतिबद्धता साहित्य में एक अयोग्यता में
तब्दील होती जा रही है तो उसकी कवितायें एक ज़िद की तरह असफलता को अंगीकार करती
हुई आती है. उसकी काव्यभाषा हमारे समय के कई दूसरे कवियों की तरह सीधे अस्सी
के दशक की परम्परा से जुड़ती है और संवेदना शोषण के प्रतिकार की हिंदी की
प्रतिबद्ध परम्परा से. इस कविता में उसने विदर्भ के गाँवों की जो विश्वसनीय और
विदारक तस्वीर खींची है वह इस विषय पर लिखी कविताओं के बीच एक साझा करते हुए
भी एकदम अलग है. इस मित्र और युवा कवि का स्वागत असुविधा पर. जल्द ही उस... more »
नाटक नहीं, संवाद का प्रयास कीजिए
lokendra singh at अपना पंचू
क थित बढ़ती असहिष्णुता के विरोध में साहित्यकारों की सम्मान वापसी की मुहिम
में अब कलाकार, इतिहासकार और वैज्ञानिक भी शामिल हो गए हैं। पद्म भूषण सम्मान
लौटाने की घोषणा करने वाले वैज्ञानिक पुष्पमित्र भार्गव ने प्रधानमंत्री
नरेन्द्र मोदी पर आरोप लगाया है कि वे भारत को हिन्दू धार्मिक तानाशाह बनाना
चाहते हैं। यह बात अलग है कि उनके पास ऐसी कोई दलील नहीं है, जिससे वह अपने
आरोप को साबित कर सकें। उन्होंने भी साहित्यकारों के रटे-रटाए आरोपों को ही
दोहराया है। प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाने वाले साहित्यकारों,
इतिहासकारों, कलाकारों और वैज्ञानिकों ने सरकार से संवाद करने के लिए कितने
प्रयास ... more »
सरदार पटेल की १४० वीं जयंती
शिवम् मिश्रा at बुरा भला
*परिचय*
*सरदार वल्लभ भाई पटेल* (गुजराती: સરદાર વલ્લભભાઈ પટેલ ; 31 अक्टूबर, 1875 -
15 दिसम्बर, 1950) भारत के स्वतन्त्रता संग्राम सेनानी एवं स्वतन्त्र भारत के
प्रथम गृहमंत्री थे। सरदार पटेल बर्फ से ढंके एक ज्वालामुखी थे। वे नवीन भारत
के निर्माता थे। राष्ट्रीय एकता के बेजोड़ शिल्पी थे। वास्तव में वे भारतीय
जनमानस अर्थात किसान की आत्मा थे।
भारत की स्वतंत्रता संग्राम मे उनका महत्वपूर्ण योगदान है। भारत की आजादी के
बाद वे प्रथम गृह मंत्री और उपप्रधानमंत्री बने। उन्हे भारत का '*लौह पुरूष'*
भी कहा जाता है।
*जीवन परिचय*
पटेल का जन्म नडियाद, गुजरात में एक पाटीदार कृषक परिवार में हुआ था। वे
झ... more »
औरत : तेरी कहानी (8 )
Preeti Tailor at जिंदगी : जियो हर पल
मेरा ये कॉलेज का आखरी साल था . मैंने संगीत महाविद्यालय से भी गायन विभाग
में स्नातक की पदवी ले ली थी . छोटे मोटे इवेंट में मुझे बतौर कलाकार बुलाया
जाता था . इस दौरान मेरे कॉलेज में एक बहुत ही बड़े रिआलिटी शो में हिस्सा
लेने के लिए इवेंट हुआ . और मेरा सिलेक्शन तय होने की खबर मुझे आज ही मिली थी
. दीदी के कारण मैं कुछ भी नहीं बोली . पापा दूसरी सुबह उठे और आँगनमे एक
ठन्डे पानी की पूरी बाल्दी खुद पर उंडेल ली। जोर से बोले मेरी बेटी आज से
मेरे लिए मर गयी है और इस घर के लिए भी .... मेरे केवल एक ही बेटी है . अगर
कोई बड़ी से रिश्ता रखेगा तो उसे भी इस घर से बहार जाना पड़ेगा .
घर के माह... more »
जाग जाओ देश मिलकर है बचाना
Rekha Joshi at Ocean of Bliss
जाग जाओ देश मिलकर है बचाना
नींद में सोये हुओं को है जगाना
…
साँस दुश्मन को मिटा कर आज लेंगे
साथ मिलकर है बुराई को मिटाना
…
मिट गये है देश पर लाखो सिपाही
आज कुर्बानी ज़माने को बताना
…
देश के दुश्मन छिपें घर आज अपने
पाठ उनको ढूँढ कर अब है पढ़ाना
…
प्यार से मिलकर रहें आपस सदा हम
आज मिलकर देश को आगे बढ़ाना
रेखा जोशी
शे’र कहता शेर सा हुंकार कर
चन्द्र भूषण मिश्र ‘ग़ाफ़िल’ at अंदाज़े ग़ाफ़िल
आज तू तीरे नज़र का वार कर
नीमकश बिल्कुल न, दिल के पार कर
रस्मे उल्फ़त तो निभा जालिम ज़रा
कुछ सितम दिल पर मेरे दिलदार कर
आज जीने का हुनर है सीखना
ज़िन्दगी से जीत कर या हार कर
अब शराबे लब नहीं अब ज़ह्र दे
मुझपे इतना सा करम तू यार कर
नफ़्रतों से ख़ुश है तो जी भर करे
मैं कहाँ कहता हूँ मुझको प्यार कर
है यही ग़ाफ़िल का अंदाज़े बयाँ
शे’र कहता शेर सा हुंकार कर
-‘ग़ाफ़िल’कहाँ खोजूँ तुम्हें ...
Upasna Siag at नयी उड़ान +
तुम्हें सोचा
तो सोचा,
देखूं एक बार तुम्हें।
लेकिन
जाने कहाँ
छुप गए हो
तुम तो कहीं !
फिर देखूं तो
कहाँ देखूं ,
कहाँ खोजूँ तुम्हें ।
बिखरा तो है
बेशक़
तुम्हारा वजूद,
यहाँ-वहां।
मूर्त रूप
चाहूँ देखना तुम्हें,
फिर
कहाँ देखूँ !
खोजना जो चाहा
चाँद में तुम्हें।
सोचा मैंने चाँद को
तुम भी तो
देखते होंगे।
तुम चाँद में भी नहीं थे
लेकिन,
क्यूंकि
अमावस की रात सी
तकदीर है मेरी।