पैसा बहुत बड़ी चीज है
पैसा बोलता है
गाली देता है
औरंगजेब बन
दारा का सर कलम कर
थाली में सजाता है
कौन टूटा
कितने टुकड़े हुए
गुरुर में पैसे के
इसे सोचने की फुर्सत ....
नहीं नहीं - ज़रूरत कहाँ है !
रोटी बनाना कौन सी बड़ी बात है
रोटी खरीदनेवाला शहंशाह है .
पैसे की राजनीति में
सारे के सारे रिश्ते दाव पर लगे हैं
जीत के हर दावपेंच के खेल में
सहज खेल लोग भूल गए हैं !
...........
-'पैसे में ताकत ना सही
खरीदने की क्षमता तो है '
क्या फर्क पड़ता है
यदि पैसे से
एक दो स्वाभिमान को
न खरीदा जा सके
उस स्वाभिमान का मखौल उड़ानेवाले
तादाद में दो पैसे में मिल जाते हैं !
9 टिप्पणियाँ:
वाह आज के बुलेटिन में तो पैसा ही पैसा है बहुत खूब ।
शुभ प्रभात
आपको और शिवम भाई को धन्यवाद कहना भी था .....
ऋणी हूँ ...
khoobsoorat link sanyojan ........aabhar
बहुत लाजवाब
बढ़िया प्रस्तुति व लिंक्स , बुलेटिन को धन्यवाद !
I.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
कविता झन्नाट है ! पैसे की जगह पैसा ही बोलता है आजकल , व्यवहार और रिश्ते भी अपनी जगह होंगे मगर !
अच्छा लगा चिंतन लिंक्स के माध्यम से !
"कि पैसा बोलता है ... "
आज का यही सत्य है |
पैसा अच्छे अच्छे बोलने वालों की बोलती भी बंद कर देता है!
-'पैसे में ताकत ना सही
खरीदने की क्षमता तो है '
क्या फर्क पड़ता है
यदि पैसे से
एक दो स्वाभिमान को
न खरीदा जा सके
उस स्वाभिमान का मखौल उड़ानेवाले
तादाद में दो पैसे में मिल जाते हैं !
........
अंततः लोक में व्याप्त यथार्थ यही है
बहुत सुन्दर बुलेटिन प्रस्तुति ...
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