प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
प्रणाम |
आज का ज्ञान :-
जब नाख़ून बढ़ जाते हैं तो नाख़ून ही काटे जाते हैं उँगलियाँ नहीं।
इसलिए अगर रिश्तों में दरार आ जाये तो दरार को मिटाइये, रिश्तों को नहीं।
इसलिए अगर रिश्तों में दरार आ जाये तो दरार को मिटाइये, रिश्तों को नहीं।
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
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नदी हमारे मन में बहती
बुद्धिवर्धक कहानियाँ - ( ~ परमेश्वर का प्रेम भरा उपहार ~ )
यादों का सफ़र
और चपरासी के घर बिजली नहीं इतवार से।
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
8 टिप्पणियाँ:
कमाल की ज्ञान की बात ......आभार
दरार मिटायें, रिश्ते नहीं। बेहतरीन सन्देश के साथ बढ़िया सूत्र। स्पंदन को शामिल करने का शुक्रिया।
ब्लॉग "स्पंदन" अब अपने इस नए पते पर- www.shikhavarshney.com
कृपया अपने ब्लॉग का फोलोअर फीड रिफ्रेश कर के पुन: इस ब्लॉग को फॉलो करें।
बहुत सुन्दर सन्देश के साथ रोचक सूत्र...आभार
बढिया व सुंदर संदेश के साथ प्रस्तुति व लिंक्स , मेरे पोस्ट को स्थान व सम्मान देने हेतु शिवम भाई व बुलेटिन को धन्यवाद !
I.A.S.I.H - ब्लॉग ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
बहुत उम्दा सूत्र ।
जब नाख़ून बढ़ जाते हैं तो नाख़ून ही काटे जाते हैं उँगलियाँ नहीं।
इसलिए अगर रिश्तों में दरार आ जाये तो दरार को मिटाइये, रिश्तों को नहीं।
kash
ज्ञान तो लाजवाब है आज का :)
लिंक्स भी देखे पढ़ कर !
आप सब का बहुत बहुत आभार |
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बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!