प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |
आज से ठीक एक साल पहले उत्तराखंड में आई प्राकृतिक आपदा से वहाँ लगभग 70 हज़ार से अधिक लोग
प्रभावित हुए। इस विनाशलीला में हजारों लोग मारे गए तथा ना जाने कितने ही
लोग घायल हुए। आज भी इसका सटीक ब्योरा कोई भी नहीं बता पाया है ... अभी हाल ही मे कुछ और नरकंकाल उन्हीं घाटियों से बरामद हुये है जो पिछले साल हुई इस घटना की भयानक कहानी कह रहे है | इस त्रासदी ने कईयों का जीवन ही बदल दिया। भारत का शायद ही ऐसा कोई शहर हो जहां के लोग इस आपदा से किसी न किसी रूप मे प्रभावित न हुये हो |
इस प्राकृतिक आपदा
में मारे गए सभी असैन्य और सैन्य लोगों को ब्लॉग बुलेटिन परिवार अपनी हार्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करता है। साथ साथ प्रभावित परिवारों को हम अपनी हार्दिक संवेदनाएं प्रेषित करते है |
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
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एक कल जो आज भी है...
114. फीफा फीवर (के बहाने)
यह कैसी फैशन ?
डायरी के पन्ने- 22
मुनिया
दाह-संस्कार
वो जो वह एक अक्स है -शहरयार
माँ और देवी माँ की ‘माहवारी’ में फर्क क्यों...!!!
उस दिन की याद आई ........(संस्मरण )
फ़रियाद ....
एक अटूट रिश्ता ....टूटता सा ...!
अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
11 टिप्पणियाँ:
बहुत सुंदर बुलेटिन । साल गया पर किसी ने कुछ सीखा या नहीं पता नहीं ।
बढ़िया लिंक और रचनाये मिली , आभार आपका !
धन्यवाद...पठनीय बुलेटिन
उतराखंड के हालात ये है कि सरकार केवल पर्यटन को बढ़ावा दे रही हैं और स्थानीय लोगों को अभी भी वहां नर कंकाल मिल रहे हैं...:-(
सभी रचनाएं पढ डालीं हैं । अच्छी हैं । उत्तराखण्ड की भयानक तबाही के घाव सालों साल पीडा देंगे उन्हें जिनका कुछ खोया है । हालाँकि वह प्राकृतिक आपदा थी पर उसके कारणों और परिणामों पर गंभीरता से शायद नही लिया गया है । कहावत भी है कि जाके पाँव न फटी बिवाईं ,सो क्या जाने पीर पराई ।
sabhi rachnae kafi achchi hai aur bachpan par likhi pahli post bhi... aur aajkal ki mansikta to ujagar karti post ye kaisa faisan bhi lajwab rahi....
aapka jakhira.com ko shamil karne hetu dhanywaad
बीते साल हुई भयानक त्रासदी कभी न भूलने वाली पीड़ा है. आज भी वहां जो नर कंकाल मिल रहे है वह उस समय की भयानक त्रासदी के कहानी बयां कर रुला रही हैं। . सभी मृतक को श्रद्धांजलि। परिवालों वालों को ईश्वर इस दुःख को सहने की असीम शक्ति दे यही प्रार्थना है। ।
बहुत बढ़िया सार्थक बुलेटिन प्रस्तुति हेतु आभार !
आप सब का बहुत बहुत आभार |
उत्तरा खंड की त्रासदी को पूरा एक साल हो गया। फिर से यात्राएं चालू हो गई हैं पर सुरक्षा कितनी है यह सब जानते है। चिठ्ठों पर जाते हैं।
बस एक ही प्रार्थना उठती है कि ऐसी घटना फिर से न हो. बढ़िया सूत्रों का संकलन मिला यहां. हार्दिक आभार..
भगवान् ने क्या क्रूर मजाक किया जो आज ये सब लिखना और पढना पड़ रहा है सभी पोस्ट आँखे भिगोती हैं बढ़िया संकलन के साथ मेरी पोस्ट 'संस्मरण 'को शामिल करने पर हार्दिक आभार शिवम् मिश्रा जी शुभकामनायें
बहुत लाजवाब संग्रह
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