सभी चिट्ठाकार मित्रों को सादर नमस्कार।।
आज "ओम जय जगदीश हरे" आरती के रचयिता और हिन्दी के पहले गुमनाम गद्यकार श्री पंडित श्रद्धाराम शर्मा उर्फ़ श्रद्धाराम फिल्लौरी जी की 133वीं पुण्यतिथि है। श्रद्धाराम फिल्लौरी जी का जन्म 30 सितम्बर, 1837 ई. को जालंधर, पंजाब के फिल्लौरी नामक ग्राम में हुआ था। पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी जी धर्म प्रचारक, उपन्यासकार, ज्योतिष, संगीतज्ञ तथा स्वतन्त्रता सेनानी थे। पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी जी ने "ओम जय जगदीश हरे" आरती की रचना सन 1870 ई. में मात्र 32 वर्ष की आयु में की थी। पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी जी "आधुनिक पंजाबी भाषा" के जनक है।
पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी जी को संभवत : भारत का पहला उपन्यासकार भी माना जाता है। श्रद्धाराम फिल्लौरी जी ने सन 1877 ई. में "भाग्यवती" नामक एक उपन्यास की रचना की थी। जिसे हिन्दी भाषा का पहला उपन्यास माना जाता है। पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी जी का निधन 24 जून, 1881 ई. को लाहौर ( अब पाकिस्तान में ) में हुआ था। ऐसा माना जाता है कि अपने जीवन की आखिरी साँस गिनते हुए उन्होंने कहा था कि - " अब हिन्दी भाषा की सेवा करने वाला एक ही कर्मठ व्यक्ति रह गया। "
आप जानते हैं उनका इशारा भारतेन्दु हरिश्चन्द्र की तरफ था जिन्हें "आधुनिक हिन्दी भाषा का जनक" माना जाता है।
आज आदरणीय श्री पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी जी की पुण्यतिथि पर भारत के तमाम हिन्दीप्रेमी तथा हिन्दी ब्लॉगजगत उन्हें सच्चे दिल से स्मरण करते हुए, श्रद्धामयी श्रद्धांजलि अर्पित करते है सादर।।
अब रुख करते हैं आज कि बुलेटिन की ओर ........
आज की बुलेटिन में बस इतना ही कल फिर मिलेंगे। शुभरात्रि।।
9 टिप्पणियाँ:
धन्यवाद हर्ष वर्धन जी।आज आपसे हिंदी विकास के बारे में नयी जानकारी मिली। Towards posts now.:)
पण्डित श्रद्धाराम शर्मा फिल्लौरी को नमन । सुंदर बुलेटिन । 'उलूक' के सूत्र 'रोज एक नई बात दिखती है पुराने रोज हो रहे कुछ कुछ में' को आज के बुलेटिन में स्थान देने के लिये आभार हर्ष ।
अच्छे सूत्र सहेजे हैं , अब पढ़ते हैं ..... आभार :)
हार्दिक आभार , पण्डित श्रद्धाराम शर्मा फिल्लौरी के बारे में नयी जानकारी मिली ... सुन्दर सूत्रों से सजी आज की बुलेटिन .. :)
बहुत बहुत आभार
सुन्दर सूत्रों से सजी आज की बुलेटिन .. :)
पंडित जी की पुण्यतिथि पे उनको नमन बढ़िया बुलेटिन व लिंक्स , हर्ष भाई व बुलेटिन को धन्यवाद !
I.A.S.I.H - ( हिंदी में समस्त प्रकार की जानकारियाँ )
स्व॰ पंडित श्रद्धाराम फिल्लौरी जी की पुण्यतिथि पर उनको शत शत नमन |
बढ़िया जानकारी मिली ... आभार हर्ष |
आज यह पोस्ट पढकर मुझे अपने बडे ताऊजी ( श्री भूपसिंह श्रीवास्तव ) की बात याद आगई । वे कहा करते थे कि ओम जय जगदीश...ही सच्ची और सर्वश्रेष्ठ आरती है जो ईश्वर के लिये गाई गई है । ईश्वर जो सभी धर्म-सम्प्रदायों से ऊपर है । मैंने पाया कि सचमुच इसमें हर शब्द केवल परम पिता परमेश्वर दीनबन्धु की आराधना कर रहा है । भारतेन्दु जी से पहले खडी बोली के उन्नयन में मुंशी सदासुखलाल , सदल मिश्र ,इंसाअल्लाखां आदि लेखकों के नाम ही लिये जाते हैं । हिन्दी साहित्य की कई किताबों में हिन्दी का पहला उपन्यास परीक्षागुरु को माना गया है लेकिन पं. श्रद्धाराम जी ने उपन्यास लिखा है तो निश्चित ही उसे ही पहला माना जाना चाहिये । इस नई और ुपयोगी जानकारी के लिये आपका आभार ।
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