थोड़ी विकृति सबके भीतर होती है
थोड़ा स्वार्थ सबके अंदर पलता है
क्रोध, झूठ,घृणा,साजिश की भावना
विद्युत सी
सबके अंदर कौंधती है
भूख,प्यार,महत्वाकांक्षा
इन्हीं रास्तों से गुजरती है
…
बिना किसी रुकावट के प्राप्य सम्भव ही नहीं !
रक्तबीज हमारी धमनियों में है
न हो तो ईश्वर करेगा क्या ?
ईश्वर का कार्य है
अन्याय का विनाश
अपने भीतर जो अन्यायी ख्याल पनपते हैं
उनसे हम नज़रें चुरा सकते हैं
ईश्वर नहीं !!
9 टिप्पणियाँ:
बढ़िया प्रस्तुति बुलेटिन की , आ. रश्मि जी व बुलेटिन को धन्यवाद !
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bahut badhiya links sanjoye hain
क्या बात है!! बहुत अच्छी प्रस्तुति!!
सुंदर चित्र और एक अच्छी कविता के आगाज के साथ एक सुंदर बुलेटिन ।
जय हो दीदी जय हो ... बेहद शानदार बुलेटिन ... :)
बढिया लिंक्स की सुंदर प्रस्तुति।
बढ़िया लिंक्स ...आभार साझा करने का
बहुत सुंदर सार्थक सूत्र ! बहुत बढ़िया बुलेटिन !
सारगर्भित लिंख, आभार......
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