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बुधवार, 12 मार्च 2014

वर्ल्ड वाइड वेब को फैले हुये २५ साल - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रों,
प्रणाम |

आज से ठीक २५ साल पहले एक जाल बुना गया था ... ऐसा जाल जो पूरे विश्व के सभी खास ओ आम को एक सूत्र मे बांध सके ... जी हाँ मैं बात कर रहा हूँ इंटरनेट की |

इंटरनेट, एक दूसरे से जुड़े कम्प्युटरों का एक विशाल विश्व-व्यापी नेटवर्क या जाल है। इसमे कई संगठनो, विश्वविद्यालयो, आदि के सरकारी और निजी कम्प्युटर जुडे हुए है। इंटरनेट से जुडे हुए कम्प्युटर आपस मे इंटरनेट प्रोटोकॉल के जरिए सूचना का आदान-प्रदान करते है। इंटरनेट के जरिए मिलने वाली सूचना और सेवाओ मे इंटरनेट पृष्ठ, ईमेल और बातचीत सेवा प्रमुख है। इनके साथ-साथ चलचित्र, संगीत, विडियो के इलेक्ट्रनिक स्वरुप का आदान-प्रदान भी इंटरनेट के जरिए होता है।

संक्षिप्त इतिहास
  • 1969 इंटरनेट अमेरिकी रक्षा विभाग के द्वारा UCLA के तथा स्टैनफोर्ड अनुसंधान संस्थान कंप्यूटर्स का नेटवर्किंग करके इंटरनेट की संरचना की गई।
  • 1979' ब्रिटिश डाकघर पहला अंतरराष्ट्रीय कंप्यूटर नेटवर्क बना कर नये प्रौद्योगिकी का उपयोग करना आरम्भ किया।
  • 1980 बिल गेट्स का आईबीएम के कंप्यूटर्स पर एक माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम लगाने के लिए सौदा हुआ।
  • 1984 एप्पल ने पहली बार फ़ाइलों और फ़ोल्डरों, ड्रॉप डाउन मेनू, माउस, ग्राफिक्स का प्रयोग आदि से युक्त "आधुनिक सफल कम्प्यूटर" लांच किया।
  • Baroness Lane-Fox with the NeXT cube, the original machine on which Sir Tim Berners-Lee designed the World Wide Web
     
  • 1989 टिम बेर्नर ली ने इंटरनेट पर संचार को सरल बनाने के लिए ब्राउज़रों, पन्नों और लिंक का उपयोग कर के वर्ल्ड वाइड वेब बनाया।
  • 1996 गूगल ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में एक अनुसंधान परियोजना शुरू किया जो कि दो साल बाद औपचारिक रूप से काम करने लगा।
  • 2009 डॉ स्टीफन वोल्फरैम ने "वोल्फरैम अल्फा" लांच किया
भारत में इंटरनेट

भारत में अंतरजाल 80 के दशक मे आया,जब एर्नेट (Educational & Research Network) को सरकार ,इलेक्ट्रानिक्स विभाग और संयुक्त राष्ट्र उन्नति कार्यक्रम(UNDP) की ओर से प्रोत्साहन मिला|
सामान्य उपयोग के लिये जाल 15 अगस्त 1995 से उपलब्ध हुआ, जब विदेश सचांर निगम सीमित (VSNL) ने गेटवे सर्विस शुरू की। भारत दुनिया के उन चंद देशों में शामिल है जहां इंटरनेट के बंद होने की सबसे ज्यादा संभावना है। हाल में आई एक रिपोर्ट ने एक बार फिर भविष्य में हमारे यहां इंटरनेट बंद हो जाने की बात को पुख्ता किया है। इसकी मुख्य वजह भारत में इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स (ग्लोबल आईएसपी) की संख्या घटती हुई संख्या है। भारत मे इंटरनेट यूजर्स की संख्या में तेजी से इजाफा हुआ है। यहां 121 मिलियन लोगों तक इंटरनेट की पहुंच हो चुकी है, जो कि कुल जनसंख्या का करीब 10 फीसदी है। दुनिया के सभी इंटरनेट यूजर्स देश में भारत कर हिस्सा 3 फीसदी है। आज भी उपयोग के मामले में भारत में इंटरनेट का उपयोग सबसे ज्यादा पोर्न फिल्में देखने के लिए किया जाता है। साथ ही इंटरनेट का उपयोग व्यक्तिगत जरूरतों जैसे बैंकिंग, ट्रेन इंफॉर्मेशन-रिजर्वेशन और अन्य सेवाओं के लिए भी होता है।

आज कल यही इंटरनेट हम सब के लिए एक मूलभूत जरूरत होता जा रहा है ... एक शे'र पेश कर रहा हूँ इस से अंदाज़ लग जाएगा कि इंटरनेट ने कितनी तगड़ी पैठ बनाई हुई है हम सब की ज़िन्दगी मे ... 

"मौत और मोहब्बत तो बस नाम से बदनाम है,
 .
 ..
 ...
 ....
 .....
 असली दर्द तो 'Slow Internet' देता है !"

सादर आपका 
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दिनचर्या

प्रवीण पाण्डेय at न दैन्यं न पलायनम् 



हिफाजत

JAY SINGH"GAGAN" at गगन
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अब आज्ञा दीजिये ...

जय हिन्द !!!

6 टिप्पणियाँ:

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

हमेशा की तरह अदभुद ब्लाग बुलेटिन :)

HARSHVARDHAN ने कहा…

बढ़िया ज्ञानदायी बुलेटिन भईया। आज कि बुलेटिन में शामिल करने के लिए आपका सादर धन्यवाद।।

shikha varshney ने कहा…

बेहतरीन जानकारी .

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

अभी तो मैं जवान हूँ!

http://anusamvedna.blogspot.com ने कहा…

बढ़िया प्रस्तुति- धन्यवाद

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

वेब ने विश्व बदल दिया, बड़े ही सुन्दर सूत्र, आभार।

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