एक बरस में इक दिन होली जग दो दिन का मेला
तन का पिंजरा तोड़के इक दिन पंछी जाए अकेला .... उससे पहले जीवन के रंगों को भरपूर जीना ही ज़िन्दगी है, ज़िन्दगी से प्यार है, पनपते नए रिश्तों का सौंदर्य है …
कल हँसते हुए, कुछ यादों के संग, कुछ सपनों के संग हमने अपने अपने हिस्से के रंग को जीया है, आज है थोड़ी खुमारी -
कुछ भांग की,
कुछ प्यार की,
कुछ खोने की,
कुछ पाने की …… और हैं कुछ लिंक्स
8 टिप्पणियाँ:
:) खुमारी है वाकई बाकी होली की होली खेल ली जिसने ।
हमारी तो खुमारी ही खुमारी है :).
आपने गागर में सागर भर दिया..आभार।
Holi ke rang prem bhi sang ...
Abhar meri rachna ka ...
gagar me saagar bhar diya sundar link sanyojan .........aabhar di
अच्छे सूत्रों के साथ अच्छी प्रस्तुति , आ० रश्मि जी व बुलेटिन को धन्यवाद !
खुमारी तो बाकी रहनी भी चाहिए ... रंग और भंग के मेल का असर अगर इतनी जल्द ख़त्म हो जाएगा ... तो होली का क्या लाभ !?
प्रणाम दीदी |
होली के रंगबिरंगे सूत्र।
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