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गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

700 वीं ब्लॉग-बुलेटिन और रियलिटी शो का जादू


ई रियलिटी-सो का परम्परा भी बहुत पुराना है, सायद 1951 से. समय के साथ-साथ इसमें जादू, कुस्ती, टेकनिकल रस्साकसी सब में बदलाव आया. पहिले जादू का सो में जादूगर टोप के अन्दर से सफेद कबूतर निकालता था अऊर हवा में उड़ा देता था. सफेद कबूतर माने अमन चैन का प्रतीक. आजकल अलग-अलग चैनेल पर एक्के टाइप का सो चालू है. एगो चैनेल पर टोप में एक सबका सामने नोट का बण्डल डालता है अऊर जब पलटता है त उसमें से सब नोट गायब हो जाता है. दोसरा जादूगर चैलेंज करता है कि इसमें हाथ का सफाई है. मगर पहिला डटा रहता है कि हमरा जादू को धोखा साबित करके बताओ. हर चैनेल वाला दोसरा चैनेल को धोखेबाज अऊर अपना जादू को असली होने का दावा करता है. एही नहीं, ईहो दावा किया जाता है कि ऊ जो जादूगर नोट गायब किया है, हम उसको वापस लाकर देखा देंगे.

टी.आर.पी. का त हाले मत पूछिये. कोनो चैनेल अपना ऐंकर के कारन रेटिंग में ऊपर चल रहा है, त कोनो चैनेल का सीरियस सो भी कॉमेडी हुआ जा रहा है, ऐंकर के कारन. सबका दावा है कि हमरा सो बेस्ट है. एगो आर्टिस्ट त अलादीन का चिराग लेकर आया हुआ है. चिराग को घस दिया अऊर जिन्न हाजिर. ऊ आर्टिस्ट बोला कि फॉर द टाइम बीइंग तुम चिराग में जाकर आराम करो. जब टाइम आयेगा त बतायेंगे कि कऊन रोड बनाना है अऊर कऊन पुल, कहाँ रेलवे लाइन लगाना है अऊर कहाँ गाड़ी का डिब्बा.

अभी ई वाला सो चलिये रहा था कि दोसर कलाकार चिराग लेकर आ गये. बोले अलादीन जाते टाइम एही असली चिराग हमरी दादी को दे गया था. ई चिराग का जिन्न जमीन पर गिरा हुआ अमदी को आसमान तक उठा सकता है अऊर ओही आसमान में दस्तरखान लगाकर भरपेट खाना खिला सकता है. कोई भूखा नहीं सोयेगा हमरे जादू से.

अभी जिन्न का खेला चालुये था कि कहीं से एगो जादूगर के बक्सा के अन्दर से लड़की निकल गया. हुआ बबाल. ऊ बोले कि दस साल पहिले तक तो इनके बक्सा से मुर्दा निकलता था, अब जिन्दा इंसान निकलने लगा है, ऊहो जवान लड़की. ओन्ने से आवाज आया कि तीस साल पहिले अऊर अभी तीन चार महीना पहिले त आपका बक्सा से भी मुर्दा निकला था, भुला गये. एही सब के बीच जादूगरी का रियलिटी सो कुस्ती का अखाड़ा बन जाता है, बोली का बर्छी चलता है, भावनाओं का भाला फेंका जाता है, तंज़ का तमंचा चलता है, गाली का गुलेल छूटता है, आरोप का आग अऊर प्रत्यारोप का पानी.

असली रियलिटी सो त एही है अऊर असली “बिग बॉस” हम अऊर आप हैं. ई जेतना तथाकथित सेलेब्रिटी लोग है, सब घर में बन्द है. टास्क दीजिये, इनका असलियत देखिये, तब फैसला कीजिये.
ऑडिसन त चालुये है. मध्य पर्देस, छत्तीसगढ़ , दिल्ली, राजस्थान में. आठ को ठाठ से देखियेगा ऑडिसन का रिजल्ट. ई कलाकार लोग को अपना काम करने दीजिये अऊर एक दोसरा का पोल खोलने दीजिये. रियलिटी सो, चाहे टीभी का हो चाहे परजातंत्र का... ग्रैण्ड फिनाले में रिजल्ट कलाकार का टैलेंट पर नहीं, जनता का भोटिंगे पर निर्भर करता है !
आऊर ई मामला मे ब्लॉग बुलेटिन और हमरा टीम काफी किस्मत वाला है ... आप सब का वोट तो है ही शुरू से हमरे साथ ... है कि नहीं !!?? 

७०० वीं बुलेटिन का बधाइयाँ स्वीकार कीजिये !!
- सलिल वर्मा

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केवल बच कर रहना होगा, इतने बदबूदारों से - सतीश सक्सेना

गूगल की नई पहल महिलाओं के ऑनलाइन हेल्‍प सर्विस

Abhimanyu Bhardwaj at MyBigGuide

कोलकाता का नेहरु बाल संग्रहालय

गगन शर्मा, कुछ अलग सा at कुछ अलग सा

फ़ुरसत में ... 113 -- नवाबगंज पक्षी-विहार की यात्रा

मनोज कुमार at मनोज 

पुलिस की रासलीला

रचना त्रिपाठी at टूटी-फूटी

रोज़ के यात्री

देवेन्द्र पाण्डेय at बेचैन आत्मा

अमृता की आन

varsha at likh dala 

करिश्मा

Ramakant Singh at ज़रूरत

आंसुओं के मोल

राजीव कुमार झा at देहात 
 
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फिर मुलाक़ात होगी ७५० वीं बुलेटिन के साथ ... :) 

20 टिप्पणियाँ:

Satish Saxena ने कहा…

७०० वें बुलेटिन और सलिल भाई को पकडे रहने की बधाई !!

अभिमन्‍यु भारद्वाज ने कहा…

700 वें बुलेटिन की बहुत बहुत बधाई आशा है जल्‍द ही 7000 भी होगें

मुकेश कुमार सिन्हा ने कहा…

बड़े भैया का अंदाज और ब्लॉग बुलेटिन का साथ :) प्यारा सा कॉम्बो है :)
शुभकामनायें
लिंक का क्या कहना, वो तो बेहतरीन होंगे ही :)

रश्मि प्रभा... ने कहा…

भाई, आपका टीआरपी असली है - संयत,सच और चेहरे पर मुस्कान देता

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

हम तो दादा आपकी सुन्दर भाषा पढने को इन special blog बुलेटिन के इंतज़ार में रहते हैं....:-)
लिंक्स तो बोनस हैं....
शुक्रिया दादा....
सादर
अनु

HARSHVARDHAN ने कहा…

700 वीं बुलेटिन की हार्दिक शुभकामनाएँ।। सलिल सर की बुलेटिन वाकई अलग और कुछ हटकर होती है :-)

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

बुलेटिन में सलिल भैया को देखना और उनके देखने में खुद को पाना सुख के द्विगुणित हो जाने के बराबर है। ऊ कहते हैं न.. डबल मजा!

राजीव कुमार झा ने कहा…

कहते हैं कि सलिल जी का अंदाजे बयां और !!
आपके अंदाज को सलाम और बोनस में मेरे पोस्ट को शामिल करने के लिए आभार.

सञ्जय झा ने कहा…

@ बोली का बर्छी चलता है, भावनाओं का भाला फेंका जाता है, तंज़ का तमंचा चलता है, गाली का गुलेल छूटता है, आरोप का आग अऊर प्रत्यारोप का पानी............

kya gajnat mare hain bare bhaiji...........mast rapchik cha tapchik...........

balak kilkit-pulkit-pramudit hua.........


pranam.

Arvind Mishra ने कहा…

एक हजारवीं तक जल्दी पहुंचे -शुभकामना

धीरेन्द्र सिंह भदौरिया ने कहा…

बढ़िया,बेहतरीन सूत्र ,७०० वीं पोस्ट के लिए बधाई ........!
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Recent post -: वोट से पहले .

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

हम त कोनो का धन्नबादो नहीं कर सकते हैं... अपना घरे का बात है अऊर आप लोग का प्यार मिलता है त अच्छा लगता है.. बस जुड़े रहिये अइसहिं सब लोग.. जब तक बदन में जान है अऊर कलम में ताकत है लिखते रहेंगे!! प्रनाम!!

सुशील कुमार जोशी ने कहा…

बहुत बहुत बधाई जी हम तो 7000वीं का इंतजार करेंगे नहीं भी रहे तो भी भूत बनकर ही पहुंचेंगे !

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

"शो चाहे टी वी का हो या प्रजातन्त्र का ग्राण्ड फिनाले में जीत का निर्धारण कलाकार टेलेंट नही वोटिंग से होता है ...".--कम शब्दों में ही इतना कुछ कह पाना आपके वश की बात है सलिल भैया । सात सौ वें पडाव की बधाई । इसकी टीआरपी कम होने का तो सवाल ही नही है ।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

7000 ween post to BHAVISHYA ki baat hai. Fir aap bhala BHOOT kaise honge!! :-)

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma ने कहा…

उत्तम लिनक्स ....अभी पढ़ते हैं एक एक करके

शिवम् मिश्रा ने कहा…

शायद कल ही आप एफ़बी पर कहे थे कि "हम जहां खड़े हो जाते है लाइन वहाँ से शुरू होती है ..."

ब्लॉग बुलेटिन के मामले मे तो यह बिलकुल सटीक है ... हर ५०वीं के बाद से अगली ५० वीं पोस्ट तक की लाइन आप के बाद ही शुरू होती है ... ;)

सभी पाठकों और ब्लॉग बुलेटिन टीम के साथियों को इस पड़ाव की बहुत बहुत मुबारकबाद ... ऐसे ही स्नेह बनाए रहे |

Archana Chaoji ने कहा…

अच्छा है , आप यहाँ मजबूर हैं लिखने को ..... कम से कम एक बहाना तो है लिखने का आपके पास ... ;-) छोड़ने वाले नहीं हम आपको ... समझे के नहीं ..... ? :-)

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

रोचक व पठनीय बुलेटिन

गगन शर्मा, कुछ अलग सा ने कहा…

एगो थैली है जिसमें कुछ चट्टे हैं अउर कुछ बट्टे। एगो हमाम हैं जहां सब ससुरे नंगाई पर उतारू हैं और ई सब लोग बिना आस्तीन का कमीज, बुश-शर्ट या टी शर्ट पहनने में विश्वास रखते हैं. आस्तिनवा ही नहीं रहेगा तो झांकेंगे कहाँ।
कुछ समय पहले दीन, ईमान, सच्चाई, जिम्मेवारी, नैतिकता जैसा कुछ चीज आम मिल जाता था पर अब जैसे चवन्नी-अठन्नी जेब में रखने वाला बुड़बक समझा जाता है वैसे ही ऊ सब बातों का बात करने वाला उजबक माना जाता है।
अब देखिए न बड़का-बड़का लंतरानी मारने वाला एक चैनल फिर पैसा का फेविकोल मुंह पर लगाए निर्मलवा का चटनी-समोसा परोसे जा रहा है.
एक है तो भूते-प्रेत को लोगन का घर-घर ले जा कर उठक-बैठक करवा रहा है।
गोरा-काला क्रिमवा का तो बाते ही मत करिए, ऐसा लगता है कि करिया रंग वाला/वाली बहुत ही बदनसीब हैं उन बेचारों का ना शादी-ब्याह होता है नाही कोनो काम-धाम मिलता है।
अब का-का गिनाएं सब बतियाने लगिएगा तो महाभारतवा भी उसका सामने पॉकेट वाला संस्करण लगेगा। इसी लिए हमरा आप जैसा राम लोग झरोखे पे बईठे हैं और मजबूरी में देख रहे हैं मुजरा !!!

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