ब्लॉग बुलेटिन का ख़ास संस्करण -
अवलोकन २०१३ ...
कई भागो में छपने वाली इस ख़ास बुलेटिन के अंतर्गत आपको सन २०१३ की कुछ चुनिन्दा पोस्टो को दोबारा पढने का मौका मिलेगा !
तो लीजिये पेश है अवलोकन २०१३ का २६ वाँ भाग ...
शब्दों की यात्रा में, शब्दों के अनगिनत यात्री मिलते हैं, शब्दों के आदान प्रदान से भावनाओं का अनजाना रिश्ता बनता है - गर शब्दों के असली मोती भावनाओं की आँच से तपे हों तो यकीनन गुलमर्ग यहीं है...सिहरते मन को शब्दों से तुम सजाओ, हम भी सजाएँ, प्रतिभाओं की यात्रा को सार्थक करें....
(अभिषेक)
मै अपराजिता
मिट्टी में पानी में, सब में अलंकृता।
हर पल संजोया है
दुखते हुए मन में।
प्रीति कण बोया है,
फिर भी हर क्षण में।
धरती सा धीरज,
इसे तोड़ नहीं पाओगे।
मोह कहो माया कहो
छोड़ नहीं पाओगे।
प्रकृति ने हर पल लिखा है मेरा पता।
मै अपराजिता।
फूलों से सुरभित,
कांटो से घेरी हुयी।
आदि से अंत तक,
मेरी ही फेरी हुयी।
सारा संसार मेरी,
पग ध्वनि पर नाचा है।
गीता रामायण सबने,
मुझे ही तो बांचा है।
सूरज की किरण मै, चांदनी सी सुष्मिता।
मै अपराजिता।
तुम पढ़ते,
तो किताबों के गट्ठर में
एक दो किताबें
मैं भी लिखता तुम्हारे लिये।
तुम देखते,
तो गली के नुक्कड़ पे
सुबह शाम बैठा
मैं भी दिखता तुम्हारे लिये।
मैं भी लाता सिनेमा की टिकटें खरीद कर।
तुम हँसते,
खुश होते मेरे होने से
लड़ते मुझसे मेरे समय के लिए
तो मैं हारता तुम्हारे लिये।
युद्ध करता अन्दर
जीतता मैं खुद से
बहुतों का करता सर कलम
और मारता तुम्हारे लिये।
मैं भी लाता सिनेमा की टिकटें खरीद कर।
(वसुंधरा पाण्डेय)
शिरा में
रक्त के हर कण में
हड्डियों के जाल में
दिन-रात जो करता है विचरण
वह प्रेम है...
कटुता को मधुर बनाता
असत्य को,सत्य की ओर ले जाता
पापी को पुण्यवान बनाता
अन्धकार में प्रकाश दिखाता
वह प्रेम है...
है जीवन का सार
आकाश के सामान सर्वनिष्ठ
जो करे सौन्दर्य में वृद्धि
जो ईश्वरोन्मक्त हो जाता है
वह प्रेम है...वह प्रेम है...!!
8 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर लिंक्स से सजा....
मुझे भी सामिल करने के लिए ह्रदय से आभार !
aapke chayan me anand aaya.
वाह बहुत खूब !
बहुत सुन्दर प्रस्तुति ...
तीनों रचनाएँ बहुत अच्छी.
सुन्दर संकलन।
पापी को पुण्यवान बनाता
अन्धकार में प्रकाश दिखाता
वह प्रेम है...
सुन्दर
बेहद उम्दा संकलन तैयार हो रहा है इस अवलोकन के बहाने |
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