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बुधवार, 24 अप्रैल 2013

गुरु और चेला.. ब्लॉग बुलेटिन

कई साल पहले एक किस्सा सुना था आईए आज आपको भी सुनाता हूं.. "एक साधू अपनें चेलों को शिक्षा देते थे, नारी की इज्जत करो, सम्मान करो। नारी पूजनीय है और नारी देवी है" सभी चेले अपनें गुरु को अपना आदर्ष समझते और गुरु देव के कहेनुसार ब्रम्हचर्य पालन करते। 

एक बार गुरु जी अपनें एक चेले के साथ दूर किसी देश जा रहे थे और रास्ते में एक नदी पडी। नदी किनारे एक स्त्री रो रही थी गुरुजी नें रोनें का कारण पूछा तो उसनें बताया की उसे नदी पार करनी है और इस धार में उसकी हिम्मत नहीं हो रही अकेले नदी पार करनें की। गुरुजी नें उस स्त्री का हाथ पकडा और उसको नदी पार करा दी। गुरुजी को स्त्री का हाथ पकडे देख चेले की मति भ्रमित हो गई। चेला सोचने लगा की कैसा ढोंगी गुरु है। हम लोग स्त्री से दूर रहें, ब्रम्हचारी बन के रहें और यह मजे करता रहे। पूरा दिन चेला गुरु से कटा कटा रहा। गुरुजी नें शाम होनें पर चेले से उसकी बेचैनी का कारण पूछा तो चेला बोला अब बस करो और तुम एक नम्बर के ढोंगी हो। हमको स्त्री से दूर रहनें की शिक्षा देते हो और खुद एक मौका नहीं चूकते। 

गुरु जी ने धैर्य पूर्वक चेले की बात सुनी और बोले, मैं तो उस स्त्री को नदी किनारे ही रख आया था तुम उसे क्यों दिन भर उठाए घूम रहे हो। गुरु के गूढ वचन सुन कर चेला नतमस्तक हो गया। 

मित्रों यह एक कहानी नहीं है आज कल हम और आप न जानें कैसे कैसे कठिन मानसिक चुनौतियों से गुजरते हैं और उनमें से हर कुछ शायद हमारी खुद ही की करनी का ही फ़ल होता है। अगर हम साफ़ हॄदय से हर काम करे और अपनी दैनिक दिनचर्या में इमानदारी रखें तो फ़िर कितनी आसानी होगी न... 



सोच कर देखिए....

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आपका देव

12 टिप्पणियाँ:

ashokkhachar56@gmail.com ने कहा…

waaaaaah bhot khub kya link hai

Randhir Singh Suman ने कहा…

nice

Tamasha-E-Zindagi ने कहा…

बहुत बढ़िया देव दादा .... खूब भालो | दमदार और बेहतरीन कड़ियाँ | आभार |

स्वप्न मञ्जूषा ने कहा…

गुरु शिष्य की कहानी बहुत प्रभावशाली रही और सारे लिंक्स पढने लायक।

Archana Chaoji ने कहा…

"उनमें से हर कुछ शायद हमारी खुद ही की करनी का ही फ़ल होता है। "... नहीं बहुत कुछ .....
ऐसी सोच को विकसित करना,साफ़ हॄदय होना ही चुनौती है अभी के समय के लिए..

शिवम् मिश्रा ने कहा…

सुबह सुबह बढ़िया ज्ञान मिला ... जय हो देव बाबू !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सुन्दर सीख सुन्दर सूत्र..

Sushil Bakliwal ने कहा…

मन का बोझ ज्यादा भारी जो होता है.

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बढिया बुलेटिंन

मनोज पटेल ने कहा…

तुम उसे क्यों दिन भर उठाए घूम रहे हो। वाह, बहुत बढ़िया!
आभार!!

Akhileshwar Pandey ने कहा…

बहुत बढ़िया

Asha Lata Saxena ने कहा…

बढ़िया सीख दी है लघु कथा के माध्यम से |बढ़िया सूत्र |
आशा

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