प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !
आज विश्व होम्योपैथी दिवस है ... हर
साल 10 अप्रैल को होम्योपैथी चिकित्सा विज्ञान के जन्मदाता
डॉ.क्रिश्चियन फ्राइडरिक सैम्यूल हानेमान के जन्मदिन के अवसर पर विश्व
होम्योपैथी दिवस के रूप मे मनाया जाता है !
डॉ. क्रिश्चियन फ्राइडरिक सैम्यूल हानेमान (जन्म 1755-मृत्यु 1843 ईस्वी) होम्योपैथी चिकित्सा पद्धति के जन्मदाता थे।
आप यूरोप के देश जर्मनी
के निवासी थे। आपके पिता जी एक पोर्सिलीन पेन्टर थे और आपने अपना बचपन
अभावों और बहुत गरीबी में बिताया था।एम0डी0 डिग्री प्राप्त एलोपैथी
चिकित्सा विज्ञान के ज्ञाता थे।डा0 हैनिमैन, एलोपैथी के चिकित्सक होनें
के साथ साथ कई यूरोपियन भाषाओं के ज्ञाता थे। वे केमिस्ट्री और रसायन
विज्ञान के निष्णात थे। जीवकोपार्जन के लिये चिकित्सा और रसायन विज्ञान
का कार्य करनें के साथ साथ वे अंग्रेजी भाषा के ग्रंथों का अनुवाद जर्मन और
अन्य भाषाओं में करते थे।
एक बार जब अंगरेज डाक्टर कलेन की लिखी “कलेन्स मेटेरिया मेडिका” मे वर्णित कुनैन
नाम की जडी के बारे मे अंगरेजी भाषा का अनुवाद जर्मन भाषा में कर रहे थे
तब डा0 हैनिमेन का ध्यान डा0 कलेन के उस वर्णन की ओर गया, जहां कुनैन के
बारे में कहा गया कि यद्यपि कुनैन मलेरिया रोग को आरोग्य करती है, लेकिन यह स्वस्थ शरीर में मलेरिया जैसे लक्षण पैदा करती है।
कलेन की कही गयी यह बात डा0 हैनिमेन के दिमाग में बैठ गयी। उन्होंनें
तर्कपूर्वक विचार करके क्विनाइन जड़ी की थोड़ी थोड़ी मात्रा रोज खानीं शुरू
कर दी। लगभग दो हफ्ते बाद इनके शरीर में मलेरिया जैसे लक्षण पैदा हुये।
जड़ी खाना बन्द कर देनें के बाद मलेरिया रोग अपनें आप आरोग्य हो गया। इस
प्रयोग को डा0 हैनिमेन ने कई बार दोहराया और हर बार उनके शरीर में मलेरिया
जैसे लक्षण पैदा हुये। क्विनीन जड़ी के इस प्रकार से किये गये प्रयोग का
जिक्र डा0 हैनिमेन नें अपनें एक चिकित्सक मित्र से की। इस मित्र चिकित्सक
नें भी डा0 हैनिमेन के बताये अनुसार जड़ी का सेवन किया और उसे भी मलेरिया
बुखार जैसे लक्षण पैदा हो गये।
कुछ समय बाद उन्होंनें शरीर और मन में औषधियों द्वारा उत्पन्न किये गये लक्षणों, अनुभवो और प्रभावों को लिपिबद्ध करना शुरू किया।
हैनिमेन की अति सूच्छ्म द्रष्टि और ज्ञानेन्द्रियों नें यह निष्कर्ष निकाला कि और अधिक औषधियो को इसी तरह परीक्षण करके परखा जाय।
इस प्रकार से किये गये परीक्षणों और अपने अनुभवों को डा0 हैनिमेन नें
तत्कालीन मेडिकल पत्रिकाओं में ‘’ मेडिसिन आंफ एक्सपीरियन्सेस ’’ शीर्षक
से लेख लिखकर प्रकाशित कराया । इसे होम्योपैथी के अवतरण का प्रारम्भिक
स्वरूप कहा जा सकता है।
होम्योपैथी के बारे मे जानने के लिए पढ़ें - विश्व होम्योपैथी दिवस पर विशेष
सादर आपका
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सुकून की तलाश ...
"कन्फेशन " !!
तेरा ख़याल
सार्थक झूठ...
भोर हो गई
भ्रमित हम... आखिर कैसे?
नए सपने भी पल रहे कितने
यूपी रोडवेज में आठ दिन की यात्रा
चले हिमाचल प्रदेश के मणिमहेश कैलाश की यात्रा पर
जे.के.लक्ष्मी सीमेंट : स्थानीय बनाम बाहरी
मुझे आपकी फिर से ज़रूरत है पापा !!!
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!
12 टिप्पणियाँ:
आज भी होमियोपैथी को लोग गंभीरता से नहीं लेते!! मगर आपकी सामयिक प्रस्तुति के लिए आभार!!
हमेशा की तरह अच्छी और सामायिक पोस्ट...
सभी लिंक्स सुन्दर....
भोर हो गयी कविता बहुत प्यारी लगी...
शुक्रिया शिवम्
अनु
Dilchasp link hain sabhi ... Shukriya mujhe shamil karne ka ...
ब्लॉग बुलेटिन की समस्त टीम व सभी सुधि पाठकों को नव वर्ष, नव संवत्सर एवँ गुड़ी पड़वा की हार्दिक शुभकामनायें !
शुभप्रभात भाई !!
नव वर्ष, नव संवत्सर एवँ गुड़ी पड़वा की हार्दिक शुभकामनायें भाई !!
शुभप्रभात!!
नव वर्ष, नव संवत्सर एवँ गुड़ी पड़वा की हार्दिक शुभकामनायें !!
सुन्दर जानकारी और रोचक सूत्र, आभार
बढ़िया बुलेटिन......आभार
बढिया बुलेटिंन
आप सब का बहुत बहुत आभार !
होम्योपैथी समय बहुत लेती है. इतना सब्र कहाँ है आजकल किसी के पास.
होमियोपैथी से बढ़िया कोई इलाज नहीं है | मैं तो सिर्फ देसी आयुर्वेदिक और होम्योपैथिक पर ही विश्वास करता हूँ | बहुत सार्थक लेख भाई | आभार
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