प्रिय ब्लॉगर मित्रों ,
प्रणाम !
आज आपको एक किस्सा सुनता हूँ ...
एक शरीफ लड़के, (जी हाँ, लड़के भी शरीफ होते है), की सगाई एक बहुत ख़ूबसूरत लड़की, (जी हाँ, लड़कियाँ बहुत खूबसूरत भी होती है), से हुई।
पर वो लड़का उस लड़की से कभी नहीं मिला था, ना ही उस से बात की थी।
(जी हाँ, आज भी ऐसा होता है)
बस सब लोगो से उसकी खूबसूरती की तारीफ ही सुनी थी।
अपनी सुहाग रात पर लड़का बड़ा ख़ुशी-ख़ुशी अपने कमरे में गया और बड़े स्टाइल से अपनी पत्नी का घूंघट उठा कर उससे बोला।
लड़का: "तुम सच में बहुत ख़ूबसूरत हो, समझ नहीं आता की तुम्हे क्या तोहफा दूँ?"
लड़की शर्माती हुई बोली, "दो आप ता दिल तले, वो दे दो।"
इस किस्से से हमें यह सबक मिलता है कि सुनी सुनाई बातों पर यकीन नहीं करना चाहिए खुद भी थोड़ी जांच पड़ताल करनी चाहिए।
अब जैसे मैं तो यहाँ आपको पोस्टो के लिंक दे दूंगा ... पर आप खुद जा कर उनको पढ़ना जरूर ... ;)
सादर आपका
शिवम मिश्रा
अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
प्रणाम !
आज आपको एक किस्सा सुनता हूँ ...
एक शरीफ लड़के, (जी हाँ, लड़के भी शरीफ होते है), की सगाई एक बहुत ख़ूबसूरत लड़की, (जी हाँ, लड़कियाँ बहुत खूबसूरत भी होती है), से हुई।
पर वो लड़का उस लड़की से कभी नहीं मिला था, ना ही उस से बात की थी।
(जी हाँ, आज भी ऐसा होता है)
बस सब लोगो से उसकी खूबसूरती की तारीफ ही सुनी थी।
अपनी सुहाग रात पर लड़का बड़ा ख़ुशी-ख़ुशी अपने कमरे में गया और बड़े स्टाइल से अपनी पत्नी का घूंघट उठा कर उससे बोला।
लड़का: "तुम सच में बहुत ख़ूबसूरत हो, समझ नहीं आता की तुम्हे क्या तोहफा दूँ?"
लड़की शर्माती हुई बोली, "दो आप ता दिल तले, वो दे दो।"
इस किस्से से हमें यह सबक मिलता है कि सुनी सुनाई बातों पर यकीन नहीं करना चाहिए खुद भी थोड़ी जांच पड़ताल करनी चाहिए।
अब जैसे मैं तो यहाँ आपको पोस्टो के लिंक दे दूंगा ... पर आप खुद जा कर उनको पढ़ना जरूर ... ;)
आप सब को होली की हार्दिक शुभकामनायें !
सादर आपका
शिवम मिश्रा
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होली और तुम्हारी याद
वे सारे रंग जो साँझ के वक्त फैले हुए थे क्षितिज पर मैंने भर लिया है उन्हें अपनी आँखों में तुम्हारे लिए वर्षों से किताब के बीच में रखी हुई गुलाब पंखुड़ी को भी निकाल लिया है तुम्हारे कोमल गालों के गुलाल के लिए तुम्हारे जाने के बाद से मैंने किसी रंग को अंग नही लगाया है आज भी मुझ पर चड़ा हुआ है तुम्हारा ही रंग चाहो तो देख लो आकर एकबार दरअसल ये रंग ही अब मेरी पहचान बन चुकी है तुम भी कहो कुछ अपने रंग के बारे में
आओ होली खेले आओ
होली की ढेर सारी शुभकामनाओं के साथ ...... फागुन में ये मन नृत्य करे रंगों के संग मन रास करे राधा और श्याम के संग-संग सबके जीवन में रंग भरे ॥ पिचकारी-गुजिया-रंग-अबीर एक दूजे से प्यार करे जाहिर मिलकर सब खुशियाँ मनाओ आओ होली खेले आओ
एक शाम मेरे नाम ने पूरे किए अपने सात साल !
वक़्त का पहिया बिना रुके घूमता ही रहता है। आपके इस चिट्ठे ने भी आज समय के साथ चलते हुए अपनी ज़िंदगी के सात साल पूरे कर लिए हैं। सात सालों के इस सफ़र में करीब पौने छः लाख पेजलोड्स, हजार से ज्यादा ई मेल सब्सक्राइबर और उतने ही फेसबुक पृष्ठ प्रशंसक, मुझे इस बात के प्रति आश्वस्त करते हैं कि इस ब्लॉग के माध्यम से मैं आपकी गुज़री शामों में सुकून के कुछ पल मुहैया करा सका हूँ। पिछले साल मैंने इस अवसर (अगर ये विषय आपकी पसंद का है तो पूरा लेख पढ़ने के लिए आप लेख के शीर्षक की लिंक पर क्लिक कर पूरा लेख पढ़ सकते हैं। लेख आपको कैसा लगा इस बारे में अपनी प्रतिक्रिया आप जवाबी ई मेल या more »
युक्तं मधुरं, मुक्तं मधुरं
होली की पदचाप सारी प्रकृति को मदमत कर देती है। टेसू के फूल अपने चटक रंगों
से आगत का मन्तव्य स्पष्ट कर देते हैं। कृषिवर्ष का अन्तिम माह, धन धान्य से
भरा समाज का मन, सबके पास समय, समय आनन्द में डूब जाने का, समय संबंधों को रंग
में रंग देने का, समय समाज में शीत गयी ऊर्जा को पुनर्जीवित करने का। नव की
पदचाप है होली, रव की पदचाप है होली, शान्तमना हो कौन रहना चाहता है।
कौन रंग मैं अंग लगाऊँ मन के भावों को यदि कोई व्यक्त कर सकता है तो वे हैं
रंग, मन को अनुशासन नहीं भाता, मन को कहीं बँधना नहीं भाता, मन शान्त नहीं बैठ
पाता है। मन की विचार प्रक्रिया से हमारा संपर्क 'हाँ या more »
आज होली में.
चलो खेलें, नया खेल आज होली में बदल डाले सारे बेमेल आज होली में. बन्द कर दो ये समाचार-मीडिया जो दिल तोडते हैं हडताल- हुल्लड, अनसन या जो माइक बोलते हैं मुँह पर चिपका दो टेप उनके जो जहर घोलते हैं. कह दो खुल्ले में ना करो बकवास आज होली में. चलो खेलें, नया खेल आज होली में. बदल डालें सारे बेमेल आज होली में. कलमकारो तुम कलम में बिष-बीज मत डालो लिखो कुछ ऐसा तुम समय की धार बदल डालो रंगों-गुलालों में मुहब्बत हो, मन चाहे लगा डालो दिलों का भेद मिट जाये, तमन्ना आज होली में चलो खेलें, नया खेल आज होली में ... more »
होली के रंग
होली के रंग होली के रंग छाँयेगे कोई न हो उदास । मौसम ही सब समायेगे कोई न हो उदास । नदियाँ ही रँग लाई हैं तितली के पँखों से ध्वनियाँ मधुर सुनाई दें पूजा के शँखो से पँछी भी चहचहायेगे आ जाये आस पास । होली के रँग छायेगे कोई न हो उदास । पुरवाईयो ने बाग बाग पात झराये बागो से उड़ी खुशबूओं ने भँबरे बुलाये अमिया हुई सुनहरी मौसम का है अंदाज । बोली के ढँग आयेगें कोई न हो उदास । होली के रँग छाँयेगे कोई न हो उदास । कमलेश कुमार दीवान 26/02/10
मना रहे हैं सब मिलकर होली।
आती है होली हर बार, लेकर रंगों की भरमार, महक रही है प्रेम से धर्ती, मना रहे हैं सब मिलकर होली। सभी गले मिल रहे हैं, प्रेम के फूल खिल रहे हैं, देकर इक दुजे को शुभकामनाएं, मना रहे हैं सब मिलकर होली। नफरत की जगह है दिलों में प्यार, न जाती धर्म की है दिवार, गिले शिकवे सब भूलकर, मना रहे हैं सब मिलकर होली। है होली का ये संदेश, न नफरत न रखो क्लेश, ऐसे लगे नित्य धरा पर, मना रहे हैं सब मिलकर होली। मना रहे हैं सब मिलकर होली।
होली और होलिका
*होली और दशहरे में एक समानता है * *होली पर होलिका का दहन होता है * *दशहरे पर रावण का दहन होता है * *दोनों ही बुराईयों के प्रतीक थे * *परन्तु होली स्त्री थी रावण पुरुष था * *रावण अहंकार का प्रतीक था * *तो होली ईर्ष्या की प्रतीक थी * *ईर्ष्या में व्यक्ति दूसरे व्यक्ति का नुकसान करने के दुराग्रह में * *स्वयं का को भी मिटा सकता है * *होली इस तथ्य को चरितार्थ करती है * *रावण का पुरुष होना होलिका का महिला होना * *बुराईयों के बारे में यह दर्शाती है की * *वे कही भी किसी भी रूप में हो सकती है * *उनका विनाश होना यह दर्शाता है की * *चाहे कितने भी वरदान की शक्तिया बुराईयों को मिल जाए * *उन्हें नष्ट ह... more »
विक्रम वेताल १०/ नमकहराम
आज होली पर राजा विक्रम जैसे ही दातुन मुखारी के लिए निकला वेताल खुद लटिया के जुठही तालाब के पीपल पेड़ से उतर कंधे पर लद गया दोनों निकल पड़े नगर के रेल्वे फाटक की ओर रास्ते में एक क़स्बा मिला सोनपुरा राह में एक जीव देखकर वेताल जिज्ञासा से भर उठा सांवला थुलथुल शरीर, खिचड़ी बाल साउथ इंडियन लुक किन्तु बंगाली मिक्स वेताल ने राजन से कहा राजन मै हमेशा एक कहानी सुनाता हूँ और आप मौन रहकर मेरा माखौल उड़ाते हो किन्तु आज ऐसा नहीं करने दूंगा आज की कहानी किसी नमकहराम जीव से सुनें किन्तु प्रश्न मैं ही पूछूँगा आज सही उत्तर चाहिए विधान सभा में प्रजाहित में आज आपके ज्ञान और सत्य की परीक्षा है जो स्वी... more »
होली की शुभकामना के साथ........
चिमटा चला के मारा, बेलन घुमा के मारा फिर भी बचे रहे तो, भूखा सुला के मारा बरसों से चल रहा है, दहशत का सिलसिला ये बीवी ने जिंदगी को, दोजख बना के मारा कैसे बतायें कितनी मनहूस वो घडी थी इक शेर को है जिसने शौहर बना के मारा वैसे तो कम नहीं हैं हम भी यूं दिल्लगी में उसपे निगाह अक्सर उससे बचा के मारा चर्चित को यूं तो दिक्कत, चर्चा से थी नहीं पर बीवी ने आशिकी को मुद्दा बना के मारा - विशाल चर्चित
========================कार्टून :- बैठे-ठाले मेरी तो लंका लुट गई रे
अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिन्द !!!
14 टिप्पणियाँ:
काफी अलग और नए से लिंक्स दिखे इस बार
बढ़िया बुलेटिन
होली की शुभकामनयें.
चर्चा में कार्टून को भी सम्मिलित करने के लिए आपका आभार
आभार
आपको होली की शुभकामनाएं!
जय हिन्द !!
Badhiya Buletin..... Happy Holi
होली के शुभ अवसर पर ढेरों शुभकामनाएं!
badhiya charcha kafi achchhe link mile . holi i badhai ...
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ। मेरी पोस्ट को यहाँ स्थान देने के लिए धन्यवाद !
वाह मित्र वाह क्या बात है
होली की हार्दिक शुभकामनाएँ।
Holi ki sabhi mitro ko subhkaamanaaye
Protsaahit kiye jaane ke liye aabhaar
लिंक्स पसंद आये ...होली की अशेष शुभकामनाएं
देख पड़ताल कर लाये गये सूत्र..बहुत सुन्दर..
एक टिप्पणी भेजें
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!