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बुधवार, 14 नवंबर 2012

लो जी फिर आ गया 'बाल दिवस' - ब्लॉग बुलेटिन

प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !

कल बड़ा ही सुखद संयोग रहा ... दिवाली और ब्लॉग बुलेटिन की पहली वर्षगांठ ... और अजय भाई ने इस मौके का सदुपयोग करते हुये बीमारी के बाद बुलेटिन मंच पर अपनी वापसी भी की ! 

कल की ही तरह आज का दिन भी कुछ खास है ... आज 'बाल दिवस ' है ... वैसे यह बात और है कि हमारे देश मे इस का कोई खास मतलब नहीं है ... केवल स्कूल मे मनाए जाने वाली एक नाम मात्र की रस्म ही बन कर रह गया है यह दिवस !
 पर आज मैं आपको बाल दिवस को ले कर कोई राजनीति से भरी बातें नहीं बताने जा रहा हूँ बल्कि कुछ जरूरी बातें बता रहा हूँ ... जो रोज़मर्रा की ज़िन्दगी मे हमारे अपने बच्चो से जुड़ी हुई है ... जिन का अगर हम ध्यान रखें तो केवल साल के एक दिन नहीं बल्कि हर दिन हम बाल दिवस मनाएंगे !

 बच्चों के बौद्धिक विकास के लिए जरूरी है माता-पिता का भरपूर प्यार व सहयोग। उन पर किसी तरह का दबाव बनाने के बजाय हालात के अनुसार उन्हे खुद को ढालना सिखाएं !
पापा की पिटाई, टीचर की डांट, और टयूशन का दबाव। आज हर बच्चे को ऐसी ही उलझनों से गुजरना पड़ता है। बच्चों से जब कोई काम दबाव में करवाया जाता है तो उसका सीधा असर शारीरिक व मानसिक विकास पर पड़ता है। बच्चे होनहार बनें इसके लिए जरूरी है कि उन पर हमेशा निगाह रखी जाए, लेकिन इससे भी कहीं अधिक जरूरी है पैरेट्स बच्चों के साथ दोस्ताना व्यवहार अपनाएं। परवरिश ऐसी की जाए कि वे हर स्थिति में अपने को ढाल सकें।
दबाव न बनाएं
बात पढ़ाई की हो या अन्य किसी विषय की। बच्चों पर कभी काम का दबाव न बनाएं। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. रत्‍‌ना त्रिपाठी कहती है, ''मॉडर्न लाइफ स्टाइल में बच्चों पर उम्र के हिसाब से हर चीज का अधिक दबाव है। स्कूल में अच्छे नंबर लाने की होड़, घर में पैरेट्स और रिश्तेदारों के सामने इमेज बनाने का दिखावा और सार्वजनिक मंच पर एक्स्ट्रा एक्टिविटी साबित करने की जद्दोजहद। अच्छा रहेगा कि पैरेट्स दूसरों की देखा-देखी न करके बच्चे की क्षमता और पसंद को प्राथमिकता में रखें। ऐसा न करे कि बच्चे की किसी भूल या गलती पर सभी डांट लगा रहे हों तो आप भी उस पर हावी हो जाएं। संयम से काम लें और बच्चे को गलत व सही में अंतर करना सिखाएं।''
आत्मविश्वास बढ़ाएं
आप किसी भी परेशानी से आसानी से उबर सकते है, लेकिन बच्चे तो कोरा कागज होते है। इस उम्र में आप उनके दिमाग में जैसी इबारत लिख देंगे, भविष्य में वे वैसा ही करेगे और सोचेंगे भी। एक पब्लिक स्कूल की शिक्षिका आरती दत्ता कहती है, ''किसी भी गलती पर बच्चे को समझाएं और उसे सही करने के लिए उत्साहित करे। इससे आत्मविश्वास बढ़ेगा। बच्चे को नकारात्मक सोच के भंवर में न फंसने दें और हमेशा यह जताएं कि तुम भी वह सब कुछ कर सकते हो जो दूसरे बच्चे कर लेते है। इससे उनका उत्साह बढ़ेगा और कुछ कर गुजरने का जज्बा विकसित होगा।''
जिज्ञासा शांत करे
बच्चों में बड़ों की अपेक्षा किसी भी चीज को जानने की उत्सुकता अधिक होती है। वे किसी भी विषय को बहुत गहनता से जानना चाहते है। स्कूल में बच्चे के कई बार कोई प्रश्न करने पर उसे टीचर की डांट खानी पड़ती है, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ.सी.एस. गांधी कहते है, ''ऐसे में वे अपनी जिज्ञासा पैरेट्स से शेयर करते है। आप बच्चे से टीचर वाला व्यवहार न करके उसकी जिज्ञासा का समाधान करे। यदि आपको भी उस विषय की जानकारी नहीं है तो जानकारी जुटाकर उसे संतुष्ट करे। इससे उनमें किसी भी बात को गहराई से समझने की आदत विकसित होगी।''
खेलने का मौका
पढ़ाई जरूरी है, लेकिन छोटे बच्चों को खेलने का पूरा मौका दें। बच्चे हमेशा पैरेट्स से अपेक्षा करते है कि वे भी उनके साथ खेलें। इस बात पर अक्सर बच्चों को डांट भी खानी पड़ती है। मनोचिकित्सक डॉ. कलीम अहमद कहते है, ''बच्चों के खेलने का समय निर्धारित रखें। कोशिश करे कि यदि समय है तो उनके साथ खुद भी खेलें। इससे वे अधिक प्रसन्नता के साथ खेल का मजा लेंगे।''
डिप्रेशन से बचाएं
कई बार उनके साथियों की उपलब्धि या अच्छे अंक लाने की बात से बच्चे नीरस हो जाते है। उन्हे डांटने की बजाय आगे अच्छा करने के लिए प्रेरित करे। बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. आर.सी. गुप्ता कहते है, ''स्कूल से आने के बाद यदि बच्चा गुमसुम रहता है या खाना ठीक से नहीं खाता है तो वजह जानें और समस्या का शांति के साथ समाधान करे। इससे बच्चा डिप्रेशन की चपेट में नहीं आएगा। हर बच्चे का आईक्यू लेवल अलग होता है। बेहतर रहेगा कि अपने बच्चे की तुलना किसी अन्य से न करे।''
(आलेख जागरण से साभार)
सादर आपका 

शिवम मिश्रा

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बाल-दिवस

आज उनका दिन है , जिनके दिलों में ईश्वर बसता है , जिनकी मुस्कान के जरिये अल्लाह हम पर अपना करम बरसाता है | लेकिन एक कड़वा सच ये भी है - झोपड़े के नीचे मुस्कुराता , एक बेचारा बचपन , ना जाने कब बीत गया , उसका वो प्यारा बचपन || कुछ के घर में माँ बाप नहीं , कुछ घर छोड़ कर भागे हैं , कुछ बहकावे में निकल लिए , कुछ पैदा हुए अभागे हैं , चाहे जैसे भी आये हों , सबकी किस्मत कुछ मिलती है , न कागज की वो नावें हैं , न झूलों पर बैठा बचपन || इनके हमउम्र सभी बच्चे , जब खेल खिलौनों में खुश हैं , इनके तो खेल दुकानों में , सुबह से ही सज जाते हैं , जब बाकी सब गिनती सिखने की , घर में कोशिश करते हैं , ये बि... more »

हम बच्चे भारत के !

कालीपद प्रसाद at मेरे विचार मेरी अनुभूति
हम बच्चे भारत माँ के ,चलेंगे सीना तान के चल पड़े हैं राह में ,नया देश हम बनायेंगे, विषमता हम मिटायेंगे ,समानता हम लायेंगे, हम बच्चे भारत माँ के , चलेंगे सीना तान के। गाँधी नेहरू चाहे बन जाएँ ,रहेंगे हम भारत के काम चाहे जो कुछ भी हो , करेंगे हम लगन से, कोई न छोटा कोई न बड़ा ,ऐसा देश हम बनायेंगे हम बच्चे भारत माँ के , चलेंगे सीना तान के। देश के लिए जियेंगे हम , देश के लिए मरेंगे हिन्दु मुश्लिम शिख इशाई, सबसे प्रेम बढायेंगे , जात-पात का भेद भाव को , हम बच्चे न मानेंगे , हम बच्चे भारत माँ के , चलेंगे सीना तान के। भारत एक है ,हम सब एक हैं ,यही हमारा नारा है , भारत माँ के हम बच्चे ... more »

हैपी दिवाली

माधव( Madhav) at माधव

"अभिमन्यु"- मेरा बेटा

जयदीप शेखर at कभी-कभार
यह एक सुखद संयोग है कि (ईस्वी संवत् के हिसाब से) मेरे बेटे का पन्द्रहवाँ जन्मदिन आज दीपावली के दिन ही पड़ा है। भारतीय पंचांग के हिसाब से उसका जन्मदिन गुरू नानक जयन्ती वाले दिन पड़ता है। उसका जन्म हुआ भी पंजाब में है- जालन्धर छावनी के सेना अस्पताल में। उसके जन्म के साथ गुरू नानक देव का आशीर्वाद भी जुड़ा है, जिसका जिक्र मैंने एक ब्लॉग पोस्ट (‘रक्तदान तथा अभिमन्यु का जन्म’) में कर रखा है। उसके जन्म से पहले ही हमने तय कर रखा था कि अगर बेटी हुई, तो वह “उत्तरा” होगी और अगर बेटा हुआ, तो वह होगा- “अभिमन्यु”! खैर, चित्र में वह अपने इस विशेष जन्मदिन के विशेष तोहफे- एक “एयर गन”के साथ है। ... more »

दीपावली पर कुछ कविताएँ

* * * * * * *(1) **प्लास्टिक का तोरण* * दरवाजे पर लगा देख* * बहुत याद आया * * आम का पेड़ * * जो हाल में कटा था.* *(2) **खिलौने बेचने वाले बच्चों ने ,* * खिलौने खेलने वाले बच्चों से कहा, हैप्पी दीवाली.* * * * * * * * * * * *(3) **जग रंगा है रौशनी से,* * दीवाली है, रौशनी की होली.* * * * * * * * * * * *(4) **प्लास्टिक के फूल,* * प्... more »

दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ..!!

सुख, समृद्धि, सद्बुद्धि, सौभाग्य से परिपूर्ण हो हर दिवस..प्राणी-मात्र के लिए, हर जीव के लिए शुभकारी एवं मंगलकारी हो मंगल त्यौहार.. ढेरों शुभकामनाएँ..!!! ... "अंतर्मन की ज्योति जले.. करो प्रभुवर उपकार.. जीवन का उद्देश्य.. रक्षा प्राणी-मात्र..!!" ...

इक तो सजन मेरे पास नहीं रे...

गौतम राजरिशी at पाल ले इक रोग नादां...
*{मासिक हंस के नवंबर 2012 अंक में प्रकाशित कहानी}* वो आज फिर से वहीं खड़ी थी। झेलम की बाँध के साथ-साथ चलती ये पतली सड़क बस्ती के खत्म होने के तुरत बाद जहाँ अचानक से एक तीव्र मोड़ लेते हुये झेलम से दूर हो जाती है और ठीक वहीं पर, ठीक उसी जगह पर जहाँ सड़क, झेलम को विदा बोलती अलग हो जाती है, एक चिनार का बूढ़ा पेड़ भी खड़ा है जो बराबर-बराबर अनुपात में मौसमानुसार कभी लाल तो कभी हरी तो कभी गहरी भूरी पत्तियाँ उस पतली सड़क और बलखाती झेलम को बाँटता रहता है। कई बार मूड में आने पर वो बूढ़ा चिनार अपने सूखे डंठलों से भी झेलम और इस पतली सड़क को नवाजता है...आशिर्वाद स्वरुप, मानो कह रहा हो कि लो र... more »

..माँ का अपने बेटे के लिए पत्र

on children 's day today ...missing my son... ...माँ का अपने बेटे के लिए पत्र एक पत्र बेटे के नाम मेरे बेटे ...... बंद पलके जब उठाती हूँ तो तू ही नज़र आता है मुझे दिन में हर वक़्त हर पल तू याद आता है मुझे कैसे तुझे अपने पास बुलाऊं या खुद आ जाऊं ये बिलकुल भी समझ न आये मुझे तुझे खुद से दूर करने की तमन्ना न थी तेरी ज़िन्दगी संवर जाए ये बस उम्मीद है मुझे तेरी हर इच्छा पूरी हो हर सपने का आगाज़ हो तेरी हर नेक मुराद पर यकीन है मुझे कठिन राह पे चलते ,मंजिल पाना है भी मुश्किल फिर भी जीत जाओगे ,लक्ष्य अपना पाओगे ये खुदा से दुआ है मेरी और विश्वास है मुझे तुम हमेशा सलामत रहो ,खुश रहो नेक कर्म और पर... more »

एक वज़ह खुशियों की

गिरिजा कुलश्रेष्ठ at Yeh Mera Jahaan
खुशियों की एक खास वज़ह सी जैसे पहली किरण सुबह की । अभी-अभी तो आयीं थीं ये , अरे होगई पूरे छह की

एक दिन का बाल दिवस ,उम्र भर का अंधेरा

अजय कुमार झा at अजय कुमार झा 

चौदह नवंबर , पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिवस , कहते हैं कि नेहरू जी को बच्चों से इतना स्नेह था कि बच्चे उन्हें चाचा नेहरू कहते थे । सच कहें तो अब तो इन बातों पर भी विश्वास नहीं होता , कहीं कल को किसी आरटीआई के जवाब में सुनने को मिले कि नहीं , भारत सरकार के पास ऐसी कोई आधिकारिक सूचना , आदेश , नहीं है जिसमें इस बात का उल्लेख है कि नेहरू जी के जन्म दिवस को देश बाल दिवस के रूप में मनाएगा । फ़िर एक दूसरी वजह ये भी है ये सोचने की , कि पिछली आधी शताब्दी से more>>

सुतली बमों से उड़ा दिए गए तमाम घरौंदों के नाम

Samar at Mofussil Musings
*बचपन का त्यौहार थी दीवाली. *दिए अच्छे लगते थे पर जान तो पटाखों में ही बसती थी और उनमे भी सबसे ज्यादा हरे 'एटम बम' (शहरी हो जाने के पहले के उन दिनों में उच्चारण बम्ब होता था ) और कसबे के आतिशबाज से लाये उन सुतली बमों में जिनकी आवाज पर आज तक कोई और आवाज भारी नहीं पडी. उन बमों के इस्तेमाल भी तमाम होते थे. आख़िरी, पर सबसे प्रिय, काम होता था बीतती रात के साथ कम होते जा रहे सुतली बमों से बहनों के बड़ी मेहनत से बनाए घरौंदों को उड़ा देना. अब फिर कस्बाई सामाजिकता में जिसमे अपनी बहनें ही नहीं बल्कि मोहल्ले की सारी लड़कियां बहनें होती थीं, घरौंदे कम नहीं पड़ते थे बस बम ख़त्म हो जाते थे. फि... more »

टोंका ग़ज़ल ने एक दिन

Anand Dwivedi at आनंद
सुनते थे इश्क से बड़ा मज़हब नहीं होता जाना कि इश्क से बड़ा करतब नहीं होता मैं चाहता था प्यार में थोड़ा वफ़ा का रंग मालुम हुआ कि आजकल ये सब नहीं होता वो द्रोपदी की चीर के किस्से का क्या करूँ बुधिया की आबरू के लिये रब नहीं होता टोंका ग़ज़ल ने एक दिन, जो कह रहे मियां उससे किसी गरीब का मतलब नहीं होता जन्नत की राह होंगी यकीनन तेरी जुल्फें 'आनंद' से जन्नत का सफ़र अब नहीं होता

काहे का बाल दिवस ???

शिवम् मिश्रा at हर तस्वीर कुछ कहती है ...
*आजादी के छह दशक से अधिक समय गुजरने के बावजूद आज भी देश में सबके लिए शिक्षा एक सपना ही बना हुआ है। देश में भले ही शिक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने की कवायद जारी है, लेकिन देश की बड़ी आबादी के गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करने के मद्देनजर सभी लोगों को साक्षर बनाना अभी भी चुनौती बनी हुई है। ऐसे मे सवाल पैदा होता है कि काहे का बाल दिवस ??? 

मैंने जीवन जलाकर रौशन किया तुम्हारे देवता का घर ....

बहुत मंहगा है दीये का तेल और मेरे हाथ हैं खाली मैंने जीवन जलाकर रौशन किया तुम्हारे देवता का घर ....

खोटे सिक्के

shashi priya at दिल से...
'फर्क है, सिक्का दोनों ओर से खोटा होता है.’ फिल्म शोले में ठाकुर ने जेलर से तब कहा जब जय और वीरू को उसने ‘खोटा सिक्का और किसी काम के नहीं’ बता कर ख़ारिज कर दिया था. ये संवाद मशहूर लेखक सलीम-जावेद की जोड़ी की कलम की धार तो दिखलाती है पर जो नहीं जानते उन्हें जानकर आश्चर्य होगा कि शम्मी कपूर की हिट फिल्म ‘प्रोफेसर’ और ‘तीसरी मंजिल’ में उनके दोस्त की अननोटिस रहने वाली भूमिका में सलीम ही थे. अभिनेता के तौर पर सदा खोटे सिक्के की तरह याद किये जाने वाले व्यक्ति. बिलकुल सलीम की तरह की नाकामी देखी सुभाष घई ने. जिनका अभिनय करियर शुरू हुआ और समाप्त हो गया फिल्म उद्योग के ‘हैली कॉमेट’ राजेश खन्... more »

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अब आज्ञा दीजिये ...

पर जाते जाते एक दुआ यह कि भले ही भारत मे बाल दिवस मनाया जाये या न जाये ... इन मासूम चहेरो पर मुस्कान बनी रहे ... आमीन !!

जय हिन्द !!!

14 टिप्पणियाँ:

Akash Mishra ने कहा…

सुन्दर लिंक्स का संग्रह |
और बाल दिवस पर उठाया गया मुद्दा बहुत समसामयिक है |

सादर

जयदीप शेखर ने कहा…

उम्दा रचनाओं का संकलन. बधाई एवं आभार.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' ने कहा…

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
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ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ
(¯*•๑۩۞۩:♥♥ :|| गोवर्धन पूजा (अन्नकूट) की हार्दिक शुभकामनायें || ♥♥ :۩۞۩๑•*¯)
ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ▬▬▬▬▬▬▬▬▬●ஜ

मन्टू कुमार ने कहा…

बढ़िया लिंक्स से संजोया गया बुलेटिन...|

आभार |

Nityanand Gayen ने कहा…

बेहतरीन प्रस्तुति .....

shikha varshney ने कहा…

घर से बहुत दूर है मस्जिद, चलो यूँ कर लें
किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए.
आज यही करना चाहिए.
बढ़िया बुलेटिन.

Unknown ने कहा…

माँ ले कदमो तले स्वर्ग ,सलूट एंड सेलिब्रेट प्यारी माँ

गिरिजा कुलश्रेष्ठ ने कहा…

सभी रचनाएं अच्छी हैं । मेरी प्रस्तुति को यहाँ देने का धन्यवाद ।

चला बिहारी ब्लॉगर बनने ने कहा…

बहुत खूबसूरत संयोजन!!

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बस बच्चों की शिक्षा पर ही चिन्तन चल रहा है..

कालीपद "प्रसाद" ने कहा…

बढिया लिंक ,सुन्दर प्रस्तुति . मेरी रचना को स्थान देने के लिए धन्यवाद

Meenu Khare ने कहा…

बहुत धन्यवाद.दीवाली की अशेष शुभकामनाएँ.

shashi priya ने कहा…

mujhe sthan dene ke liye aabhar. any sabhi rachnayen jyada achchhi hain.

Arushi Gupta ने कहा…

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