पढने,सीखने,लिखने,मिटाने,सहेजने .... कोई आखिरी पड़ाव नहीं . नहीं होती कोई बात ऐसी - जो आखिरी बार कही गई हो . प्यार,माँ,बचपन,दर्द,चुनौती .... सबका अपनी आँखों से चलता जाता है सिलसिला,ऐसा नहीं वैसा - कौन नहीं चाहता और चाहने पर नहीं देनेवाला करता है कुतर्क -
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो ...
याद है खामोशी फिल्म के इस गीत को वह लड़की गाती है, जो सबको मुर्ख बनाती थी . सच तो ये है कि -
प्यार नहीं छुपता छुपाने से .... खैर चलिए एक नज़र चुने गए लिंक्स पर डालिए और लम्बी सांस लेकर कहिये -
वाकई नहीं पढ़ते तो अधुरा रह जाता कुछ !!!
8 टिप्पणियाँ:
बहुत सुन्दर ....वाकई नहीं पढ़ते तो अधुरा रह जाता !!!
sach . badhiya links
काश पढ़ पायें सभी लिंक्स..
बहुत ही बढ़िया अच्छा हुआ पढ़ लिया
bahut bahut shukriya ..padha bhi aur achchha bhi lga ...
badhiya hai ....
अभी पढ़ते है ... :)
बढिया लिंक्स
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