Subscribe:

Ads 468x60px

कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 1 नवंबर 2012

इन्हें नहीं पढ़ा तो समझो कुछ अधुरा रह गया ...



पढने,सीखने,लिखने,मिटाने,सहेजने .... कोई आखिरी पड़ाव नहीं . नहीं होती कोई बात ऐसी - जो आखिरी बार कही गई हो . प्यार,माँ,बचपन,दर्द,चुनौती .... सबका अपनी आँखों से चलता जाता है सिलसिला,ऐसा नहीं वैसा - कौन नहीं चाहता और चाहने पर नहीं देनेवाला करता है कुतर्क -
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो ...
याद है खामोशी फिल्म के इस गीत को वह लड़की गाती है, जो सबको मुर्ख बनाती थी . सच तो ये है कि -
प्यार नहीं छुपता छुपाने से .... खैर चलिए एक नज़र चुने गए लिंक्स पर डालिए और लम्बी सांस लेकर कहिये - 
वाकई नहीं पढ़ते तो अधुरा रह जाता कुछ !!!










8 टिप्पणियाँ:

Maheshwari kaneri ने कहा…

बहुत सुन्दर ....वाकई नहीं पढ़ते तो अधुरा रह जाता !!!

travel ufo ने कहा…

sach . badhiya links

देवेन्द्र पाण्डेय ने कहा…

काश पढ़ पायें सभी लिंक्स..

Jyoti khare ने कहा…

बहुत ही बढ़िया अच्छा हुआ पढ़ लिया

सु-मन (Suman Kapoor) ने कहा…

bahut bahut shukriya ..padha bhi aur achchha bhi lga ...

Dr.NISHA MAHARANA ने कहा…

badhiya hai ....

शिवम् मिश्रा ने कहा…

अभी पढ़ते है ... :)

महेन्द्र श्रीवास्तव ने कहा…

बढिया लिंक्स

एक टिप्पणी भेजें

बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!

लेखागार