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शुक्रवार, 16 नवंबर 2012

एकल चर्चा में मिलते हैं आज रूद्र से




















रूद्र -  नवीन भावना की शरारती छवि - जिसे लम्हे लम्हे जतन से संजोया है रूद्र की माँ भावना पाण्डेय ने . माँ अपने बच्चे के लिए बेहतरीन विडियो कैमरा होती है ..... घुटने से लेकर पहले कदम ,फिर कदम से हर कदम तक माँ अपनी पलकों के क्लिक से लम्हों को कैद करती है . कई बार आँखें विस्फारित हो फ़ैल जाती हैं और कुछ देर के लिए अटक जाती हैं - वह तस्वीर अनोखी होती है ! भावना खुद कहती हैं कि यह है - एक माँ का प्रयास "यादें" संजोने का ....आइये क्लिक किये ख़ास एहसासों से मिलते हैं ..... यानी रूद्र से .

"रूद्र" का जन्म ९ जुलाई २००७ को 10:19 pm हरिद्वार के सिटी हॉस्पिटल में हुआ .जन्म के समय रूद्र के पास उसके पापा (श्री नवीन पाण्डेय जी ) ,नानी(श्रीमती कमला कुकरेती जी ) और दादी (श्रीमती विमला देवी जी ) थे . शिवनाम "रूद्र" को इस अर्थ के साथ रखा कि  "वो जो दुखों का अंत करने वाला है ,जो पहले भी था और हमेशा रहेगा " ओफ़िशिअल नाम "अनंत पाण्डेय " 

बहुत स्वाभाविक और अमूल्य बात है ये, कि माँ पहले दिन से अपने बच्चे से सबकुछ कहती है ..... नन्हीं सी जान माँ रचित महाग्रंथ होती है . यह महान ग्रन्थ माँ की जगी रातों की ज़ुबान होती है .... माँ के चेहरे की लकीरों में इसे पढ़ सकते हैं कहीं भी कभी भी -

7 अगस्त 2008 और माँ की दो पंक्तियाँ गीत के बोल में 

रूद्रrudra pandey

चंदा है तू , मेरा सूरज है तू 

मेरी आँखों का तारा है तू ....

13 अगस्त 2008 को माँ कहती है -

मासूम रूद्र मन ही मन कहता है - माँ चलूँगा चलूँगा .... जल्दी क्या है ? चला तो दौड़ा .... फिर कहोगी - ओह रूद्र , कितना दौड़ाते हो :)

23 अक्टूबर 2008 को  हुई 


27 अक्टूबर को मम्मा ने रूद्र से कहा -


रुद्र आज धनतेरस के दिन तुम्हे हम दोनों पहली बार घर पर किर्तिका मौसी और आशु चाचा जी के साथ छोड़ कर गए । सच मनो बेटा हर पल तुम्हारा ही धयान रहा की कहीं तुम 
हमें पास न पा कर रो न रहे हो, कहीं तुम उदास तो नहीं हो रहे हो ,कहीं तुम्हे बुरा तो नहीं लग रहा । हांलाकि चाचाजी और मौसी के साथ तुम खूब घुलमिल गए हो और वो दोनों भी 
तुम पर जान छिड़कते हैं पर तुम्हारे मम्मी पापा की तुम जान हो, दुनिया हो ।हमेशा खुश रहना

ढेर सारे प्यारके के साथ

तुम्हारी मम्मी और पापा

जीवन में एक बच्चा कितने सारे मायने रखता है, जिधर नज़र जाये वो और उसकी बातें उससे जुड़े ख्याल ही दिखते हैं ....

मेरी बातें रहने दीजिये और रूद्र को माँ की कलम से पढ़िए और देखिये -

रूद्रमम्मी की पहली और आखिरी बार की सॉरी

रूद्रमुंडन

रूद्र: रूद्र की नहाने की तयारी

रूद्र: पापा के जूते में पैर !


2008......2012 समय कितनी तेजी से भागता है ...... अब रूद्र बड़ा हो गया,उसकी शैतानियाँ भी बड़ी हो गयीं तो हुआ 

ब्लॉग लिंक रख लीजिये और देखिये आगे आगे और होता है क्या :):):)





5 टिप्पणियाँ:

vandana gupta ने कहा…

रुद्र से मिलकर और एक माँ की भावनाओं को जानकर अच्छा लगा।

Bhawna Kukreti ने कहा…

pranaam ,kya likhoon bhavuk ho rahi hoon aapka bahut bahut dhanyavaad

ANULATA RAJ NAIR ने कहा…

प्यारे रूद्र से मिलना बहुत अच्छा लगा...
भावना की भावनाएँ समझ सकती हूँ.....माँ हूँ न :-)

प्यार ढेर सारा...
अनु

शिवम् मिश्रा ने कहा…

प्यारे रूद्र को ढ़ेरो स्नेहाशिश और आपका बहुत बहुत आभार दीदी इस अनोखे परिचय के लिए !

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बच्चे के बड़े होने का आनन्द..

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