रोज रोज लोग लिखते हैं , भागते भागते थक जाती हूँ .... नए की तलाश में ! नयापन तो सर्वत्र बिखरा पड़ा है - बस एक क्लिक में देर हो जाती है और पौधा वृक्ष बन जाता है . भावनाओं का अमिट संसार है हमारे आगे ... पन्ने दर पन्ने जितना पढ़ सकें पढ़िए और ज़िन्दगी का वह पहलु भी देखिये जो आपने नहीं देखा ..... इसी में कभी गुरु,कभी शिष्य तो कभी कोई सहयात्री मिल जायेगा ...
आइये पाइए सहयात्री ... गुरु ... शिष्य
10 टिप्पणियाँ:
bhaut hi khubsurat links....
सारे लिंक्स पढ़ लिए...वहाँ पर दी गई टिप्पणियाँ गवाह हैं:)
जहां जाओगी खुशबू के तरह मैं भी चली आऊँगी/
अपने अहसास मे महसूस करना मुझे ही मुझे पाओगी
बहुत सुंदर लिंक्स दी(मालिका-ए-आजम) :)):))
बहुत ही सुन्दर सूत्र..
शीर्षक लाज़वाब है। अभी एक भी लिंक नहीं पढ़ पाया।
badhiya charcha jha ji ...
बढिया लिंक्स
बढिया लिंक्स
बेहतरीन लिन्कस.
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