प्रिय ब्लॉगर मित्रो ,
प्रणाम !
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
प्रणाम !
एक खबर के मुताबिक ...
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग [एनएचआरसी] का कहना है कि जन्म लेने से पहले ही देश में हर साल सात लाख लड़कियों की हत्या कर दी जाती है।
एनएचआरसी के सदस्य और पूर्व राजदूत रहे सत्यब्रत पाल ने कहा, 'जैसे ही कोई महिला गर्भवती होती है, उसे बच्चे के लिंग के बारे मे चिंता सताने लगती है। गैरकानूनी तरीके से गर्भ परीक्षण कराने पर जब भ्रूण के लड़की होने का पता चलता है तो उसकी हत्या कर दी जाती है।' उन्होंने कहा, 'भारत में हर साल एक वर्ष की उम्र से पहले ही 10 लाख 72 हजार बच्चों की मौत हो जाती है। लैंगिक भेदभाव वाली हमारी सोच इसकी सबसे बड़ी वजह है। लड़कों के बजाय लड़कियों की मृत्यु दर ज्यादा है।'
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जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
ये कूचे ये नीलाम घर दिलकशी के
ये लुटते हुए कारवां जिन्दगी के
कहाँ हैं, कहाँ हैं मुहाफ़िज़ ख़ुदी के?
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
ये पुरपेंच गलियां, ये बेख़ाब बाज़ार
ये गुमनाम राही, ये सिक्कों की झंकार
ये इस्मत के सौदे, ये सौदों पे तकरार
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
तअफ्फ़ुन से पुर नीमरोशन ये गलीयाँ
ये मसली हुई अधखिली ज़र्द कलीयाँ
ये बिकती हुई खोकली रंगरलीयाँ
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
वो उजाले दरीचों में पायल की छन-छन
तनफ़्फ़ुस की उलझन पे तबले की धन-धन
ये बेरूह कमरों में खांसी की धन-धन
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
ये गूंजे हुए क़ह-क़हे रास्तों पर
ये चारों तरफ़ भीड़ सी खिड़िकयों पर
ये आवाज़ें खींचते हुए आंचलों पर
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
ये फूलों के गजरे, ये पीकों के छींटे
ये बेबाक नज़रें, ये गुस्ताख़ फ़िक़रे
ये ढलके बदन और ये मदक़ूक़ चेहरे
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
ये भूकी निगाहें हसीनों की जानिब
ये बढ़ते हुए हाथ सीनों की जानिब
लपकते हुए पांव ज़ीनों की जानिब
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
यहां पीर भी आ चुके हैं जवां भी
तनूमन्द बेटे भी, अब्बा मियां भी
ये बीवी भी है और बहन भी है, मां भी
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
मदद चाहती है ये हव्वा की बेटी
यशोदा की हमजिन्स राधा की बेटी
पयम्बर की उम्मत ज़ुलैख़ा की बेटी
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
ज़रा मुल्क के राहबरों को बुलाओ
ये कूचे ये गलियां ये मन्ज़र दिखाओ
जिन्हें नाज़ है हिंद पे उन को लाओ
ये लुटते हुए कारवां जिन्दगी के
कहाँ हैं, कहाँ हैं मुहाफ़िज़ ख़ुदी के?
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
ये पुरपेंच गलियां, ये बेख़ाब बाज़ार
ये गुमनाम राही, ये सिक्कों की झंकार
ये इस्मत के सौदे, ये सौदों पे तकरार
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
तअफ्फ़ुन से पुर नीमरोशन ये गलीयाँ
ये मसली हुई अधखिली ज़र्द कलीयाँ
ये बिकती हुई खोकली रंगरलीयाँ
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
वो उजाले दरीचों में पायल की छन-छन
तनफ़्फ़ुस की उलझन पे तबले की धन-धन
ये बेरूह कमरों में खांसी की धन-धन
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
ये गूंजे हुए क़ह-क़हे रास्तों पर
ये चारों तरफ़ भीड़ सी खिड़िकयों पर
ये आवाज़ें खींचते हुए आंचलों पर
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
ये फूलों के गजरे, ये पीकों के छींटे
ये बेबाक नज़रें, ये गुस्ताख़ फ़िक़रे
ये ढलके बदन और ये मदक़ूक़ चेहरे
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
ये भूकी निगाहें हसीनों की जानिब
ये बढ़ते हुए हाथ सीनों की जानिब
लपकते हुए पांव ज़ीनों की जानिब
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
यहां पीर भी आ चुके हैं जवां भी
तनूमन्द बेटे भी, अब्बा मियां भी
ये बीवी भी है और बहन भी है, मां भी
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
मदद चाहती है ये हव्वा की बेटी
यशोदा की हमजिन्स राधा की बेटी
पयम्बर की उम्मत ज़ुलैख़ा की बेटी
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
ज़रा मुल्क के राहबरों को बुलाओ
ये कूचे ये गलियां ये मन्ज़र दिखाओ
जिन्हें नाज़ है हिंद पे उन को लाओ
जिन्हें नाज़ है हिंद पे वो कहाँ है ... कहाँ है ... कहाँ है ???
- साहिर लुधियानवी
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ज़रा सोचियेगा इस बारे में ... क्यों कि इस से ज्यादा हम कुछ करते भी तो नहीं है ...
सादर आपका
शिवम् मिश्रा
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posted by रवीन्द्र प्रभात at परिकल्पनावर्ष-२०११ की शुरुआत एक ऐसी घटना से हुई जिसने पूरे देशवासियों का सर गर्व से भर दिया । *"हिंदी ब्लॉगिंग के फलने-फूलने, चहुँओर निखरने का इससे बड़ा प्रमाण और क्या हो सकता है कि जनसत्ता जैसे नामी अखबारों के स...
posted by Rajan Singh Amethia at प्रहार*आप भी जानिये कौन था "मैकाले" और क्या है "कांग्रेस" से कनेक्सन .........!! * मित्रों आप आज जो ये "सेकुलर" नस्ल ,अंग्रेजो की गुलामी वाली मानसिकता ,इनके उत्सवो को जोर -सर से मनाने पीढिया ,और अपने संस्कृति का...
posted by rashmi ravija at अपनी, उनकी, सबकी बातें*(दस जनवरी को मेरे इस ब्लॉग के दो साल हो गए. जैसा कि मैने पहले भी जिक्र किया है...ये मेरा दूसरा ब्लॉग है, 'मन का पाखी ' ब्लॉग पर सिर्फ कहानियां ही पोस्ट करती हूँ....और कहानियों से इतर जो कुछ भी दिमाग में ...
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posted by अमित श्रीवास्तव at "बस यूँ ही " .......अमितहलकी सी भी बारिश अगर लगातार हो रही हो और कार का वाइपर काम न करे ,तो फिर आँख के आगे का पूरा दृश्य धुंधला हो जाता है और आँखे बेमानी हो उठती हैं | कितनी भी ज़ोरों की बारिश हो ,वाइप...
posted by गौतम राजरिशी at पाल ले इक रोग नादां...हमेशा से...हमेशा ही से अटका रह जाता है "पुराना" साथ में...जेब में, आस्तीन में, गिरेबान में, स्मृति में, स्पर्श में, स्वाद में, आँखों में, यादों में...मन में| ग़ालिब की छुटी शराब के मानिंद ही र...
posted by Khushdeep Sehgal at देशनामासरकारें हमेशा बुरा ही काम नहीं करती...कभी-कभार भूले-बिसरे अच्छा काम भी कर लेती हैं...राजधानी दिल्ली की सरकार ने ऐसा ही एक कदम उठाया है...एक ऐसी अनूठी मुहिम शुरू की है, जिसका समाज पर बहुत अच्छा असर पड़ सक...
posted by अजय कुमार झा at बिखरे आखर .खाक कर देती है सियासत को , जब अवाम ,एक बार इस पर आमादा होती है , तुम्हें यकीन हो न हो , जाम में पैदल आदमी की रफ़्तार सबसे ज़ियादा होती है मैं आम आदमी हूं , हर जगह नज़र आऊंगा , खबरदार सियासत , अब मैं भी उधर...
posted by सुमित प्रताप सिंह at सुमित प्रताप सिंहप्रिय मित्रो सादर ब्लॉगस्ते! *इं*सान की शुरू से ही दूसरे के घर में ताक-झाँक करने की आदत रही है. जब हमने विज्ञान में प्रगति की तो हमारी पृथ्वी के वैज्ञानिक अपने ग्रह को छोड़ दूसरे ग्रहों में ताक-झाँक करने ...
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posted by Devendra Gehlod at Jakhira, Urdu Shayari collectionये दिल, ये पागल दिल मेरा, क्यू बुझ गया, आवारगी इस दश्त में इक शहर था, वो क्या हुआ, आवारगी कल शब मुझे बेशक्ल आवाज़ ने चौका दिया मैंने कहा तू कौन है, उसने कहा, आवारगी इक तू कि सदियों से मेरे हमराह भी, हमराज भ...
posted by noreply@blogger.com (दिगम्बर नासवा) at स्वप्न मेरे................जबकि मुझे लगता है हमारी मंजिल एक थी मैं आज भी नही जान सका क्यों हमारा संवाद वाद विवाद की सीमाएं लांघ कर मौन में तब्दील हो गया अतीत का कौन सा लम्हा अँधेरा बन के तुम्हारी आँखों में पसर गया प्रेम की बल...
posted by वेबसाईट संचालक at Blogs In Media17 जनवरी 2012 को हिन्दुस्तान के नियमित स्तंभ ‘साइबर संसार’ में चोखेर बाली दस्तावेज के साथ
posted by उदय - uday at कडुवा सच ...रंज इस बात का नहीं है, कि वे पढ़कर क्यूँ खामोश हैं ? खुशी इस बात की है, कि वे मेरे जज्बात पढ़ रहे हैं ! ... 'खुदा' जाने, उन्हें सपोर्ट की जरुरत है भी या नहीं ख़ामो-खां दिलों में हल-चल मची है ! ... है त...
posted by रश्मि प्रभा... at मेरी भावनायें.... सरगोशी तो यही रही कि वक़्त ठहरता नहीं पर जाने कितने वक़्त ठहरे हुए हैं ... वो जो दहीवाला आता था हमारे घर और हम उससे आँखें बचा सारी मलाई निकाल लेते थे फिर भी वह हँस देता था ... वो अमरुद के पेड़ की फुनगि...
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अब आज्ञा दीजिये ...
जय हिंद !!!
22 टिप्पणियाँ:
कोई देगा इस प्रश्न का जवाब ? ................... चुनिन्दा लिंक्स , एक मुस्कान कि मैं भी हूँ
बढ़िया लिंक्स हैं ..और समस्या जटिल. सोचने के अलावा कलम से लड़ भी सकते हैं हम.
जिन्हें नाज़ है हिंद पर वे कहाँ हैं ...
बहुत खूब ...
आज की चर्चा भी लाजवाब रही ... शुक्रिया मुझे शामिल करने का ...
बढ़िया लिंक्स मिले...आकांक्षा जी को बधाई ..
बढ़िया संकलन ...
बहुत सुन्दर ... एक शानदार प्रयास ... बधाई ...
बहुत बेहतरीन लिंक्स
बहुत बढ़िया लिंक्स..
बाह मिसर जी ,
बुलेट है आज का बुलेटिन , कलेजा चीर प्रस्तावना के साथ खूबसूरत लिंक्स ने कलेवर को बहुत खूबसूरत बना दिया है । प्रासंगिक और सामयिक सन्नाट बुलेटिन के लिए बधाई । धईले रहिए
बढ़िया हैं लिनक्स
मनवा बोले लैट्स थिंक...
आनंद ही आनंद ,ब्लॉग के साथ भी -ब्लॉग के बाद भी ..
बहुत खूब
आभार |
बढ़िया लिंक्स हैं .. एक शानदार प्रयास ... बधाई ...
मेरे सबसे पसन्दीदा गीत और गीतकार साहिर लुधियानवी को यहा देख कर विस्मित हू । धन्यवाद ।
बढ़िया लिंक्स....बहुत बहुत धन्यवाद,मेरी रचना,शामिल करने का
bahut sarthak prashn ke sath chuninda links ka sanyojan achha raha..
मेरी कविता:वो एक ख्वाब था
सुपर बुलेटिन.....
विचार + भावपूर्ण कविता + सुन्दर लिंक्स = सामाजिक सरोकार की भावना से ओतप्रोत बुलेटिन....
बढिया बुलेटिन।
सार्थक चिंतन।
बहुत सुंदर लिक्स
काफी मेहनत हुई है।
बहुत बढ़िया लिंक्स..
बढ़िया लिंक्स
bahut badiya sarthak link prastuti hetu dhayavaad..
सुन्दर बुलेटिन...
एक टिप्पणी भेजें
बुलेटिन में हम ब्लॉग जगत की तमाम गतिविधियों ,लिखा पढी , कहा सुनी , कही अनकही , बहस -विमर्श , सब लेकर आए हैं , ये एक सूत्र भर है उन पोस्टों तक आपको पहुंचाने का जो बुलेटिन लगाने वाले की नज़र में आए , यदि ये आपको कमाल की पोस्टों तक ले जाता है तो हमारा श्रम सफ़ल हुआ । आने का शुक्रिया ... एक और बात आजकल गूगल पर कुछ समस्या के चलते आप की टिप्पणीयां कभी कभी तुरंत न छप कर स्पैम मे जा रही है ... तो चिंतित न हो थोड़ी देर से सही पर आप की टिप्पणी छपेगी जरूर!