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सोमवार, 2 जनवरी 2017

नूतनवर्षाभिनंदन - पाठकों की ब्लॉग-बुलेटिन - 2


नया साल में जब हमलोग एगो बात सोचे कि हमारा बकबक त साल भर लोग सुनबे करते हैं, काहे नहीं एगो मौक़ा हमलोग के पाठक लोग को भी दिया जाए कि कम से कम ऊ लोग अपना बोरियत के बारे में खुलकर हमलोग से सिकायत कर सकें. मगर सपना मेरा टूट गया वाला इस्टाइल में लोग एतना तारीफ़ किये कि हमलोग फूले नहीं समाये. मगर साथे साथ एगो जिम्मेदारी का भी फीलिंग आया कि हमलोग को अच्छा काम करना है अऊर अच्छाई को बनाए रखना है. 
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आपको नववर्ष,
उपहार में दे हर्ष.
अनुभूतियाँ रचती रहें,
अभिव्यक्ति के उत्कर्ष.
चिन्तन मनन अविराम हो,
उन्नत सृजन अभिराम हो.
संकल्प दढ़ दुद्धर्ष हों,
जय ही वरे संघर्ष .

ब्लाग बुलेटिन की समस्त टीम को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई. जहाँ तक बुलेटिन के विषय में कुछ कहने का प्रश्न है यह कार्य उतना ही कठिन है जितना सागर की लहरों को गिनना . यह ज्ञान का असीम भण्डार है . साहित्य ,राजनीति ,खेल फिल्म इतिहास, भूगोल ,चिकित्सा, अर्थशास्त्र ,विज्ञान ,स्वतन्त्रता-संग्राम के शहीद, वीर सैनिक, महान व्यक्तित्व, भाषा... ऐसा कौन सा क्षेत्र है जहाँ बुलेटिन की दृष्टि नही गई हो. मुझे बहुत सारी नई जानकारियाँ यहीं से मिली हैं. द बीटिंग रीट्रीट, अमर चित्रकथा के जनक अनंत पई, ह्यूमन कम्प्यूटर शकुन्तला देवी, राष्ट्र-ध्वज की श्रद्धाराम फिल्लौरी, परिकल्पना करने वाले पिंगली वैंकैया आदि के बारे में विस्तार से बुलेटिन से ही जाना.
  
शिवम् मिश्रा जी ने महान देशभक्तों व शहीदों के पुण्य-स्मरण से ब्लाग को सबसे अलग बनाया है. बुलेटिन को सबसे अलग बनाने वाली विशेषता यह है कि यहाँ केवल चुनिन्दा ब्लागों से रचनाओं का ही चयन देखने ही नही मिलता बल्कि बुलेटिन टीम के विद्वानों की अपनी प्रस्तुति एक शानदार और जानदार पोस्ट होती है. सलिल जी द्वारा प्रस्तुत ' पोस्ट 'छोटे शहर और सिसकती कला '.का उल्लेख पर्याप्त है. छोटे गुमनाम से शहरों में छुपे कलाकार और गुमनाम होती कला का मार्मिक चित्रण है लेकिन साथ ही और भी बहुत सारी जानकारियाँ अपनी पूरी सरसता के साथ समेटे है. साथ में हर्षवर्धन जी , तुषार जी , रश्मि दी,  देव जी आदि सभी ने अपनी रचनाशीलता से बुलेटिन को समृद्ध किया है. मेरे विचार से साहित्य और हर तरह के ज्ञान का भण्डार है ब्लाग बुलेटिन. इसके विस्तार को इतने संक्षेप में समेटना बेहद संकोचभरा काम है लेकिन पूर्णता के साथ कुछ कहना भी असंभव लग रहा है इसलिये सिर्फ इतना ही कहूँगी कि ब्लाग-बुलेटिन अद्वितीय है और विश्वास है कि इसकी उत्कृष्टता बनी रहेगी

शुभकामनाओं सहित
  
   
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कुछ लम्हे

भावनाओं की देहरी

लाँघने चले हैं

भरे मन से
यादों की पोटली
काँधे पर टँगी है
विदा होने की
ये कैसी रस्म है
जहाँ लम्हा-लम्हा
मुस्कराना  होता है
....
आने वाला
अंश  मेरा ही है
ये कहते हुए
कोई लम्हा
जब होता है  आर -पार
तो अतीत और वर्तमान
सजग हो उठते हैं
तो आओ अभिनन्दन की
इस रीत को बना के रंगोली
सजा लें कुछ इस तरह
की हर लम्हा मुस्करा उठे
नववर्ष  की शुभकामनाओं के साथ!!
 





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प्रिय ब्लॉग बुलेटिन,
खूब आशीर्वाद. अभी-अभी तुम्हारा पत्र मिला, पढ़ के बेहद खुशी हुई कि तुम अब डे़ढ हज़ार का आंकड़ा छू चुके हो. केवल बेहद खुशी हुईलिखने से ये मत समझना कि ऐसा तो लिखा ही जाता है, सो हमने भी लिख दिया. तुम्हारे साथ मेरा जुड़ाव तो तब से है जब तुमने जन्म लिया, सो तुम समझ सकते हो कि मुझे सचमुच ही हार्दिक प्रसन्नता हुई होगी. जिस तरह अपने बच्चे को बढ़ते और फलते-फूलते देखना खुशी का कारण होता है, ठीक उसी तरह तुम्हारी उन्नति भी मेरी प्रसन्नता को चरम पर पहुंचाने में सक्षम है. ब्लॉग बुलेटिनअपने आप में सम्पूर्ण बुलेटिन है. मुझे नहीं लगता कि फिलहाल इसमें किसी बदलाव की आवश्यकता है. नोट-बंदी की तर्ज़ पर ब्लॉग-बंदीकी ज़रा भी परवाह न करते हुए तुम अपने मिशन में डटे रहे, ये कम है क्या? वरना इस ब्लॉग जगत में तो धुरंधर ब्लॉगिंग करने वाले सूरमा ब्लॉगर भी अब धराशायी हो चुके हैं. लोग भूले-भटके ही यहां झांकते हैं अब. चंद लोगों के नियमित ब्लॉग लिखने की आभारी हूं मैं. नये साल में तुम्हारी दिन दूनी, रात चौगुनी उन्नति हो इसी कामना के साथ एक वादा भी करूंगी तुमसे , कि अब मैं भी नियमित पोस्ट लिखूंगी. शुभकामनाओं सहित.

तुम्हारी
वंदना दीदी
 



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सर्वप्रथम ब्लॉग बुलेटिन को मेरी विगत के गमन पर और आगत के आगमन पर हार्दिक शुभकामनायें ! मेरी सखी सी रही है और एक जागरूक प्रहरी सी  सबकी रचनात्मकता से अवगत कराने  के लिए सक्रिय रही है और हमेशा हमेशा ऐसे ही सक्रिय रहे , यही कामना करती हूँ।  
ऐसे समय में जब ब्लॉग की जगह फेसबुक और अन्य सोशल साइट्स ने ले रखी हों और दम घुटने लगा हो ब्लॉग जगत का तो उसमें साँसे भरने और नव जीवन के लिए प्रेरित करने का काम हमेशा से कर रही है।  ब्लॉग जगत के बंद बाजार में से मोतियों को चुनना और फिर उन्हें एक माला में पिरो कर हमारी नजर करना कोई सहज काम नहीं है और हमारी बुलेटिन इसको अनवरत करती चली आ रही है। 

सिर्फ इतना ही नहीं है बल्कि जिस देश में, जिस धरती पर हम जीवन जी रहे हैं , उस जमीन की संस्कृति , उसकी आजादी के अग्रदूतों और इस जमीन में दफन हमारे हजारों शहीदों के अवतरण दिवस और बलिदान दिवस को कभी भूली नहीं है।  उन महत्वपूर्ण दिवसों की याद हर दिल में नहीं रहती लेकिन याद दिला  कर एक बार सबको न सही लेकिन पढने वालों की श्रद्धांजलि तो उन आत्माओं तक पहुँचाने का काम करती रही है और ये एक सच्चे देशप्रेमी के धर्म का निर्वहन ही तो है और हमें उस पर गर्व है। 

हम दिल से शुक्रगुजार है अपने बुलेटिन के प्रस्तोताओं के कि हम भले ही चूक जाएँ पढने से लेकिन उन्होंने  कभी भी कोई मौका ही नहीं दिया है।  सदैव समय पर समसामयिक विषयों पर अपने आलेख के साथ सजग प्रहरी सी खड़ी रही है। इसके लिए हम ब्लॉग बुलेटिन परिवार के ह्रदय से आभारी हैं और सबके लिए मंगल कामनाएं देते हैं।


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ब्लॉग बुलेटिन का कारवां बढ़ता रहे अपने अगले पड़ाव के लिये। आने वाली हर नयी पोस्ट के लिये ढेर सारी शुभकामनाएं! नया साल पूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम व उसके समस्त पाठकों को सपरिवार मुबारक हो ! नूतन वर्ष की हार्दिक मंगलकामनाएं !
जारी रहे ब्लॉग बुलेटिन का सफर 
अपनी धुन में चलो मस्त बेफ़िक्र
कुछ खट्टे कुछ मीठे से पल 
काव्य हो जाएं शब्दों में ढल
बना रहे यह रोचक अंदाज़ 
बना रहे हम सबका साथ 



आदरणीय संचालक गण
ब्लॉग बुलेटिन
सादर अभिवादन
सर्व प्रथम नूतन वर्ष की शुभ कामनाएँ स्वीकारें
एक अभूतपूर्व चर्चा ब्लॉग को एवं ब्लॉग के बारे में कुछ कहना 
सूर्य को दीपक दिखाने के समान है
मैं मात्र पाठिका हूँ..विचरते रहती हूँ जहाँ-तहाँ
उत्कृष्ठ रचनाओं की तलाश मेंं
और उत्कृष्ठ रचनाएँ ब्लॉग बुलेटिन में ही दिखाई पड़ती है
अभी बुलेटिन यायावरी को दौर से गुजर रहा है
उत्तरात्तर प्रगति की प्रत्याशा में


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महाशय,
ब्लॉग बुलेटिन से मेरा परिचय तब हुआ जब अपने ब्लॉग को उसमें चयनित देखा।मुझेअतीव प्रसन्नता हुई।मैं समझती हूँ हर चयनित ब्लॉग लेखक को ऐसी प्रसन्नता होती होगी।व्यक्त किए गए विचारों को एक चयनित मंच मिले यह  कौन नहीं चाहता।अतः बीते वर्षों की आपकी सफलता के लिए बधाई एवं नव वर्ष के लिए अनन्त शुभकामनाएँ।
अपने बुलेटिन मेंआप समसामयिक ,समस्याप्रधान, व्यक्तित्वप्रधान तथा सामाजिक राजनीतिक हलचलों से युक्त विविध विषयों से सम्बद्ध तथ्यात्मक जानकारी से युक्त ब्लॉग पोस्टों को स्थान देते रहे हैं जो बुलेटिनको विशेष महत्व प्रदान करता है।नारी शक्ति, आतंकवाद अंतर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस जैसे विषयों से सम्बद्ध विशेष अंकों ने  बुलेटिन की गरिमा बढ़ायी है। इसी प्रकार यह बुलेटिन प्रकाशित होता रहे और कुछ मनोरंजन की सामग्री भी साथ हो तो शायद अधिक अच्छा हो।
पुनः नव वर्ष की शुभकामनाएँ।


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ब्लॉग बुलेटिन उत्तरोत्तर प्रगति पथ पर अग्रसर रहे। ब्लॉग बुलेटिन ने अपनी निस्वार्थ सेवा से हिंदी ब्लॉग जगत को एक नई  ऊंचाई पर पहुंचाया है। ब्लाग बुलेटिन  के फार्मेट में नियमित अंतराल पर बदलाव कलते रहें।  सम्मिलित विषय का चयन विविधतापूर्ण होता है। अतः धन्यवाद व शुभकामनाएँ। 
 सादर



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ब्लॉग बुलेटिन को नव वर्ष की शुभकामनाएं!

ब्लॉग बुलेटिन ब्लॉग के लिंक सहेज कर पाठकों के सामने प्रस्तुत करने का कार्य अहर्निश करता आ रहा है.ब्लॉग बुलेटिन के फॉर्मेट में परिवर्तन की आवश्यकता नहीं है.
बुलेटिन प्रारंभ से वह समसामयिक घटनाक्रम को सहजता से प्रस्तुत करता आ रहा है.
बुलेटिन में शामिल विषय सहज ही पाठकों को आकर्षित करते रहे हैं.बुलेटिन इसी तरह अनवरत चलता रहेइसकी सफलता की कामना करता हूँ 
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स्नेह सदा ,बना रहे, आने वाला समय भी शुभ हो|
 
 


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नया साल पर आप लोगो का संदेस पाकर हमलोग के खुसी का ठिकाना नहीं रहा. हमलोग के लिये ई सब संदेस कोनो अवार्ड से कम नहीं है. अऊर गया साल में अवार्ड वापसी का घटना से परे, हम बिस्वास दिलाना चाहते हैं कि हम आपका आवार्ड अपना दिल में सजाना जानते हैं... काहे कि हम आपके दिल में रहते हैं!! 

रविवार, 1 जनवरी 2017

नूतनवर्षाभिनंदन - पाठकों की ब्लॉग-बुलेटिन - 1



वर्ष २०१७ की हार्दिक शुभकामनाएँ 

सर्वप्रथम हम ब्लॉग बुलेटिन की टीम की ओर से आपका हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं कि आपने हमारे इस ब्लॉग को सराहा और अपना जुड़ाव बनाए रखा. हमें यह स्वीकार करने में तनिक भी संकोच नहीं महसूस हो रहा है कि यह आपके आशीर्वाद का परिणाम है कि हम बिना अवकाश (कुछ अपवादों को छोड़कर) अहर्निश आपके लिये बुलेटिन तैयार करते रहे और आपकी पोस्ट्स के लिंक से उसे सुसज्जित करते रहे. यदि आपकी प्रतिक्रियाओं का प्रसाद हमें न मिला होता तो हम पहली बुलेटिन से डेढ हज़ार से भी अधिक बुलेटिन का विशाल हिमालय नहीं छू पाते. इसलिये यह कहना अतिशयोक्ति नहीं कि हमारी इस यात्रा वीथि में आपकी टिप्पणियों के छायादार वृक्ष हमें शीतलता तथा ऊर्जा प्रदान करते रहे हैं.

वर्ष 2016 इतिहास का अंग बन चुका है और 2017 का आगमन भी हो चुका है. हमने नववर्ष की पहली बुलेटिन आपके विचारों को समर्पित करने का मन बनाया है. वर्ष भर हम अपनी बातें कहते रहते हैं, किंतु अब बारी है आपकी.

सबसे पहले हम आज की कड़ी में प्रस्तुत कर रहे हैं शुभकामना सन्देश, हमारी ब्लॉग-बुलेटिन के दो ऐसे पाठकों के जिनकी टिप्पणियाँ हमारी लगभग प्रत्येक पोस्ट की शोभा बढाती रही है. उनके इस अटूट विश्वास का सम्मान करते हुए आज पेश हैं श्रीमती कविता रावत और श्री सुशील कुमार जोशी की ब्लॉग बुलेटिन. 

सर्वप्रथम सभी ब्लॉगर साथियों एवं ब्लॉग बुलेटिन टीम को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करती हूँ। 

मेरे लिए यह गर्व का विषय है कि बुलेटिन टीम द्वारा नववर्ष 2017 की पहली बुलेटिन प्रस्तुति मेरे विचारों को समर्पित करने का मन बनाया।  बुलेटिन परिवार ने मुझे भी अपने परिवार का हिस्सा माना, इसके लिए तहेदिल से आभारी हूँ।

ब्लॉग को मैं अपने घर से बाहर का एक घर-परिवार मानती हूं। जहाँ मैं अपनी भावनाओं विचारों को बांट पाती हूँ। 2 अगस्त 2009 को मैंने अपनी पहली रचना सबको नाच नचाता पैसा पोस्ट की तो तब मुझे इतना भर मालूम था कि यहाँ ब्लॉग पर लिखने से दुनिया भर के लोग देख-पढ़ लेते हैं। लेकिन जब मैंने 10-15 दिन बाद उस पर प्रोत्साहित करते कुछ ब्लोगर्स के कमेंट देखे तो मुझे बहुत खुशी हुई जिससे मैं उत्साहित होकर ब्लॉग की दुनिया से जुड़ गई। मैं लिखने के लिए कभी भी किसी तीन-पांच में नहीं पड़ती। अपने नित्य-प्रतिदिन की दिनचर्या के बीच जो भी देखती-सुनती हूं उसे ही अपने शब्दों में समेट लेती हूं। मेरा मानना है कि हम भी जब अपने मन की उथल-पुथल या आस-पास के सामाजिक परिवेश की घटनाओंए परिदृश्यों के प्रति गहन संवेदनशीलता महसूस करते हैं तब वह उमड़-घुमड़ कर शब्दों के माध्यम से छलक उठता है।  हरि-अनंत हरि-कथा अनन्ताके समान ही समाज सेवा का क्षेत्र भी अनन्त है, व्यापक है। ब्लॉग लेखन मेरे लिए भले ही पहले स्वान्तः सुखाय रहा है लेकिन अब यह मेरे लिए आचार्य बिनोवा भावे जी के कथन- समाज सेवा छोटी हो या बड़ी, इसकी कीमत नहीं है। किस भावना, किस दृष्टि से वह की जा रही है, इसकी कीमत हैकी तर्ज पर आधुनिक समाज सेवा का एक माध्यम बना हुआ है।

किसी भी कार्यक्रम की सफलता के पीछे प्रयोजकों का अमूल्य योगदान होता है। यह योगदान आम जनता नहीं बल्कि वह व्यक्ति विशेष या समाज बखूबी समझता है जिससे वह सफलता की बुलन्दियों तक पहुंचता है। किसी भी ब्लॉगर की सफलता के पीछे भी ब्लॉग एग्रीग्रेटरों और ब्लॉग चर्चा करने वाले ब्लॉगों का भी विशेष योगदान रहता है। इस दिशा में ब्लॉग बुलेटिन जिस तरह से ब्लॉगरों के लेखन को निःस्वार्थ और निष्पक्ष भाव से मंच प्रदान कर उन्हें उत्साहित और प्रोत्साहित करते हुए उन्हें अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने में अग्रणी भूमिका अदा कर रहा है, वह निःसंदेह सराहनीय व अनुकरणीय पहल है।
  
बुलेटिन में सम्मिलित विषय प्रासंगिक होने से पाठक को पढ़ने के लिए रूचि प्रदान करते हैं, जो कि बहुत बहुत सार्थक प्रयास है। ब्लॉग बुलेटिन टीम समय-समय पर नए प्रयोग कर समर्पित भाव से बुलेटिन प्रस्तुत करता है, जिससे वह भीड़ से अलग नजर आता है। इस दिशा में मेरा एक छोटा सा सुझाव है कि यदि किसी ब्लॉग पोस्ट को बुलेटिन में लगाते समय उस पर थोड़ा संपादकीय की तरह लिखा जाय तो यह एक नूतन प्रयोग होगा, जो निश्चित ही ब्लॉगर की पोस्ट पढ़ने के लिए पाठकों में उत्सुकता उत्पन्न कर सकेगा। जैसे यदि पोस्ट है किशोर बच्चे नशे की गिरफ्त मेंतो इसके लिए कुछ तरह भूमिका हो सकती है। बचपन की परिभाषा निरंतर बदलती जा रही है। सिमटते परिवार, नौकरी पेशा माता-पिता, टी.वी. और कम्प्यूटर की तरफ बढ़ते झुकाव के कारण बच्चे एकाकी जीवन को मजबूर होते हुए स्वप्निल दुनिया में विचरण कर रहे हैं और इन्हीं चिन्ताजनक कारणों के कारण किशोर बच्चे नशे की गिरफ्त में आते जा रहे हैं। प्रस्तुत है (ब्लॉगर का नाम) द्वारा प्रस्तुत चिन्तन के कुछ बिन्दु।

घर-परिवार और ऑफिस की दौड़-भाग के बीच क्या लिखूं, क्या लिखूं  इसी उधेड़बुन में कुछ नहीं लिख पा रही थी, थोड़ा संकोच भी था कि पता नहीं आप लोग क्या सोंचेंगे, लेकिन फिर आपके अनुरोध के चलते शायद में अपने ही बारे में लिख गई, अन्यथा न समझेगा।  कृपया इसे आप और बेहतर लिखकर प्रस्तुत करें तो मुझे अपार प्रसन्नता होगीक्योंकि मैं यह अच्छी तरह समझती हूं कि बुलेटिन  के सभी रिपोर्टर जितनी अच्छी तरह से किसी भी विषय में लिखने में सक्षम हैं, मैं उनके क्या लिखूं? मैं तो जोड़-तोड़ कर लिखने वाली जो ठहरी! आप सभी के सहयोग व प्रोत्साहन  से ब्लॉग पर लिख पाती हूं।

बुलेटिन परिवार को नववर्ष की हार्दिक शुभकामनाओं सहि 

सादर 



शुभ हो मंगलमय हो 

नव वर्ष दो हजार सत्रह 
सभी चिट्ठों को 
चिट्ठाकारों को  
चर्चाकारों को 
चिट्ठे इक्ट्ठकारों को  
पाठकों को लेखकों को 
टिप्पणीकारों को 
बस देखने भर 
के लिये आदतन 
आने जाने वाले 
सरोकारों को 
नमन है 
ब्लाग बुलेटिन के 
समर्पित निष्ठावान 
सिपहसलारों को 
शुभ हो मंगलमय हो 
नव वर्ष दो हजार सत्रह 
सभी के  परिवारों को 
ब्लाग बुलेटिन:   
दिन ब दिन 
खिल रहा है 
निखर रहा है 
बचपन छोड़ कर 
जैसे जवानी की 
तरफ कोई 
बढ़ रहा है 

सुबह के अखबार 
जैसा हो रहा है 
बदलते दिन और 
वार के संग 
पहली चाय की 
गर्म चुस्की के 
बदलते स्वाद 
अलग अन्दाज में 
बिन्दास लाकर 
इधर का और उधर का 
भरी थालियों में जैसे 
स्वादिष्ट व्यंजन 
कोई ला ला 
कर दे रहा है  
ज्ञानीयों का 
विज्ञानियों का 
मेला रोज 
मौसम बेमौसम 
घर में हो रहा है 
कभी कुछ अपनी 
खींची लकीरों को 
दिखाया देख कर 
मौगैम्बो खुश हुआ 
जैसा महसूस करता
उलूक फूल कर 
कुप्पा हो रहा है 
आभार दे रहा है 
लिखने लिखाने 
पढ़ने पढ़ाने के मौसम 
चलते ही रहें 
बदलते भी रहें 
सब कुछ सही 
और सटीक 
हो रहा है 

टिप्पणी 
करने में 
ही कुछ कंजूसी 
कहीं कोई 
कर रहा है 
इसलिये बस 
टिप्पणियों 
का टोटा 
कुछ यहाँ पर 
और 
कुछ वहाँ पर 
हो रहा है।
  

लेखागार